कार ने उड़ाए पीसीआर कर्मी, एडीसीपी ने मदद से हाथ खींचे
जासं, लुधियाना : मेट्रो रोड पर बुधवार आधीरात के बाद करीब एक बजे एक तेज रफ्तार कार ने गश्त कर रही एक
जासं, लुधियाना : मेट्रो रोड पर बुधवार आधीरात के बाद करीब एक बजे एक तेज रफ्तार कार ने गश्त कर रही एक पीसीआर टीम को टक्कर मार दी। इससे दोनों कर्मचारी हवलदार कुलदीप सिंह एवं कांस्टेबल परगट सिंह गंभीर घायल हो गए।
जानकारी के अनुसार, आरती स्टील के सामने निर्माण कार्य चलने के कारण सड़क की एक साइड बंद की हुई थी। दूसरी तरफ से आवाजाही जारी थी। उसी दौरान हवलदार कुलदीप सिंह कांस्टेबल परगट सिंह वहां से गुजरे। उसी दौरान सामने से आ रही तेज रफ्तार कार ने उनको जबरदस्त टक्कर मार दी। आरती स्टील के गार्ड के अनुसार, दोनों मुलाजिम करीब दस फीट हवा में उछलकर सड़क पर गिरे। बाइक चला रहे हवलदार कुलदीप सिंह के पैर की हड्डी टूटकर बाहर आ गई। उसके सिर पर भी गंभीर चोटें आई। परगट सिंह को भी गंभीर चोटें लगीं। उधर, ड्राइवर कार समेत फरार हो गया।
आरती स्टील के गार्ड दोनों घायलों को शेरपुर चौक स्थित एसपीएस अस्पताल ले गए। दुर्घटना का पता चलते ही पीसीआर नंबर 73 एवं पीसीआर टवेरा नंबर 6 के साथ पीसीआर इंचार्ज एएसआइ लाभ सिंह व तजिंदर सिंह के साथ थाना मोती नगर के एसएचओ गगनदीप सिंह पहुंचे। मामला उच्चाधिकारियों के संज्ञान में लाया गया।
पीसीआर कर्मियों ने आरोप लगाया कि मौके पर पहुंचे एडीसीपी (हेड क्वार्टर) ध्रुव दहिया ने कहा कि इलाज का खर्च कर्मचारियों को खुद वहन करना पड़ेगा। विभाग के पास पैसे नहीं है। इस पर पीसीआर मुलाजिमों ने एकजुट होकर 31 हजार रुपये का बिल दिया। उधर, घायल कुलदीप सिंह ने एसपीएस अस्पताल में इलाज कराने से यह कहते हुए मना कर दिया कि वह यहां महंगा अस्पताल नहीं करवा सकता। इस पर उसके साथियों ने उसे टैक्सी करके दी, जिससे वह अपने गांव अजनाला चला गया। वहां एक निजी अस्पताल में उसके पैर का ऑपरेशन किया गया। परगट सिंह को वीरवार सुबह एसपीएस अस्पताल से छुट्टी मिल गई।
उधर, थाना मोती नगर के एसएचओ गगनदीप सिंह ने बताया कि परगट सिंह के बयान पर मामला दर्ज कर कार ड्राइवर की तलाश की जा रही है। इसके अलावा दोनों कर्मचारियों की मदद की जाएगी।
फंड लेने को पूरी करनी होती हैं औपचारिकताएं : एडीसीपी
खुद इलाज कराने संबंधी आरोप के बारे में एडीसीपी ध्रुव दहिया ने स्पष्ट किया कि उन्होंने ऐसा कोई बयान नहीं दिया। कर्मचारियों के लिए मेडिकल फंड होते हैं, जिन्हें जारी करने में औपचारिकताएं पूरी करनी होती हैं। उसके लिए अर्जी देनी पड़ती है। वह दी जा चुकी है। विभाग से जो बन सकेगा, वह किया जाएगा।