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जानलेवा सिद्ध हो रही हैं बंद ट्रैफिक लाइटें

तपिन मल्होत्रा, लुधियाना औद्योगिक दृष्टिकोण से देखें, तो गिल रोड औद्योगिक नगरी की लाइफलाइन की तरह

By Edited By: Published: Thu, 26 Nov 2015 01:01 AM (IST)Updated: Thu, 26 Nov 2015 01:01 AM (IST)
जानलेवा सिद्ध हो रही हैं बंद ट्रैफिक लाइटें

तपिन मल्होत्रा, लुधियाना

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औद्योगिक दृष्टिकोण से देखें, तो गिल रोड औद्योगिक नगरी की लाइफलाइन की तरह है। विशेषकर साइकिल एवं इंजीनियरिंग उद्योग इसी मार्ग के इर्द-गिर्द बसने शुरू हुए। साइकिल, फास्टनर, हार्डवेयर, केमिकल या लोहा इत्यादि रॉ मैटीरियल। तमाम तरह के उद्योग से जुड़े विक्रेता यहीं पर ही हैं।

बात गिल चौक से नहर तक जाने वाले मार्ग की करें, तो साइकिल उद्योग की सबसे बड़ी एसोसिएशन यूनाइटेड साइकिल एंड पा‌र्ट्स मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन भी यहीं है। तो ऑटोमोबाइल से संबंधित सबसे पुरानी मार्किट भी इसी रोड से जुड़ी है। इंडिस्ट्रयल एरिया-बी इसी मार्ग पर है। साइकिल उद्योग से जुड़े हीरो, नोवा, भोगल, कुलार, विश्वकर्मा इत्यादि परिवारों के यूनिट आज भी यहीं पर ही हैं। नगर निगम जोन-सी, पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, श्रम विभाग सहित कई सरकारी कार्यालय इसी रोड पर हैं। यूं कहें कि यह क्षेत्र आज भी प्रदेश की आर्थिक राजधानी की धूरी है। आज भी यहां देश, विदेश एवं कस्बों से ग्राहक आर्डर करने पहुंचते हैं।

स्थानीय दुकानदारों के अनुसार भले ही गिल रोड जिले की सबसे औद्योगिक एवं व्यापारिक मार्किट के तौर पर जानी जाती है। मगर, न तो कभी प्रशासन और न ही सरकार ने इस सड़क की सुध ली है। यह क्षेत्र मूलभूत सुविधाओं तक से वंचित है।

जगमोहन सिंह लक्की व बलविंदर विज का कहना है कि जनता नगर चौक पर ट्रैफिक लाइटें तो लगी हैं। मगर, ये लंबे समय से बंद हैं। जिस वजह से अक्सर यहां जाम लगा रहता है। इधर-उधर से निकलने वाले वाहन यहां फंसे रहते हैं। न ही यहां किसी ट्रैफिक कर्मी की तैनाती की जाती है, जिससे ट्रैफिक नियंत्रित हो सके। ऐसे में बंद लाइटें जानलेवा साबित हो रही हैं।

विजय दत्ता एवं बब्बू के मुताबिक जनता नगर बेहद संवेदनशील चौक बन गया है। पिछले एक माह में यहां कई मौतें हो चुकी हैं। ऐसा अनियंत्रित ट्रैफिक की वजह से हो रहा है। ट्रैफिक लाइटें बंद होने के कारण तेज गति से गुजरने वाले वाहन आपस में टकरा जाते हैं।

तनिव मल्होत्रा, राजू गाबा व रजिंदर पाल सिंह के अनुसार बेहद व्यस्त सड़क पर एक भी सुलभ शौचालय नहीं है। यदि सरकारी कार्यालयों में शौचालय हैं, तो वह इस्तेमाल के लायक नहीं है। यहां से उठने वाली दुर्गध से लोग भारी परेशानी का सामना करते हैं। आसपास के दुकानदारों का भी यहां बैठना मुश्किल हो जाता है।

रंजन खुराना व सुशील कुमार बताते हैं कि एटीआई चौक के समीप सड़क ही हालत बेहद खराब है। यहां गुजरने वाले भारी भरकम वाहनों की वजह से यह सड़क टूट जाती है। जिसकी महीनों तक मरम्मत नहीं की जाती है।

राजू कालड़ा, हरीश कालड़ा एवं बलविंदर सिंह के मुताबिक ट्रैफिक पुलिस व प्रशासन को शहर के पुराने एवं अहम मार्गो का भी जायजा लेना चाहिए। वहीं नगर निगम एवं राजनेताओं को भी मूलभूत ढंाचा सुधारने के लिए प्रयास करने चाहिए।

वरुण व ध्रुव के अनुसार स्थानीय रोड से सटी गलियों एवं रोड पर लाइटें को भी दुरुस्त करवाने के प्रयास किए जाने चाहिए, ताकि शाम को लोगों को आने-जाने में परेशानियों का सामना न करना पड़े।

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कैसे हो समस्या का समाधान

स्थानीय दुकानदारों के अनुसार वह मेयर सहित निगम अधिकारियों से मिलकर उक्त क्षेत्र की समस्याओं को सुलझाने की मांग करेंगे।

जिसमें जगह-जगह सुलभ शौचालय तैयार करने, ट्रैफिक लाइटें चालू करवाने आदि की मांग की जाएगी। टूटी सड़कें भी रिपेयर की जानी चाहिए।

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निगम बिल्डिंगों को करवाया जा रहा है रेनोवेट

अतिरिक्त आयुक्त घनश्याम थोरी के अनुसार उक्त क्षेत्र में बनी सभी सरकारी बिल्डिंगों के रेनोवेशन के लिए एस्टिमेट तैयार किया जा रहा है। जिससे मूलभूत ढांचे को दुरुस्त क दिया जाएगा। इसके अलावा स्थानीय लोगों से भी सलाह ली जाएगी। रोड पर मूलभूत ढांचा संवारने के प्रयास किए जाएंगे।


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