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फास्टनर उद्योग के समक्ष कड़ी चुनौतियां

कुलजिंदर सिंह, लुधियाना : प्रदेश की फास्टनर उत्पादन इंडस्ट्री को न सिर्फ चीन, बल्कि घरेलू मार्केट मे

By Edited By: Published: Tue, 01 Sep 2015 01:48 AM (IST)Updated: Tue, 01 Sep 2015 01:48 AM (IST)
फास्टनर उद्योग के समक्ष कड़ी चुनौतियां

कुलजिंदर सिंह, लुधियाना : प्रदेश की फास्टनर उत्पादन इंडस्ट्री को न सिर्फ चीन, बल्कि घरेलू मार्केट में भी कड़ी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। बढ़ते आयात से मैन्यूफैक्चरर्स सेक्टर प्रभावित है ही, ट्रेडर्स भी परेशान हैं। यही वजह है कि बाजार में सूक्ष्म व लघु स्तरीय कारोबारियों का बने रहना मुश्किल हो रहा है। उद्योग माहिरों के अनुसार यदि केंद्र सरकार वास्तव में मेक इन इंडिया को समर्थन करना चाहती है तो घरेलू इंडस्ट्री को बचाने के लिए उचित कदम उठाने होंगे।

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फास्टनर इंडस्ट्री अब उत्तर भारत में ही सीमित होती जा रही है। समुद्रतटीय राज्य चीन आयातित उत्पादों का हब बनते जा रहे हैं। जहां से देशभर में आयातित पुर्जो की सप्लाई की जा रही है। इसका प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष असर उत्पादन इंडस्ट्री व ट्रेडर्स पर हुआ है।

फास्टनर सप्लायर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष राजकुमार सिंगला बताते हैं कि गुजरात, मुंबई, कोलकाता, विशाखापट्टनम व चेन्नई पोर्ट पर ट्रेडर्स जम चुके हैं। वह दक्षिणी, पूर्वी व पश्चिमी राज्यों में माल की सप्लाई कर रहे हैं। वहीं, फास्टनर मैन्यूफैक्चरर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष न¨रदर भमरा व महासचिव कुलदीप सिंह के अनुसार चीन तो दूर, देश में ही मुकाबला करना कठिन हो चुका है। देश की प्रमुख स्टील कंपनियों के सभी राज्यों में सेल्स ऑफिस खोल दिए जाने से अन्य राज्यों में फास्टनर इंडस्ट्री विकसित होने लगी है। लैंडलॉक राज्य पंजाब में कच्चा माल बाहरी प्रदेशों से आता है और तैयार माल भी बाहरी राज्यों में भेजा जाता है। इससे उत्पादन लागत बढ़ जाती है। इससे प्रदेश की इंडस्ट्री देश में ही प्रतिस्पर्धा नहीं कर पा रही है। इसके अलावा प्रदेश में बिजली की उच्च कीमतों के चलते उत्पादन करना महंगा हो रहा है।

कुलदीप सिंह कहते हैं कि यदि प्रदेश की इंडस्ट्री को बचाए रखना है तो केंद्र सरकार को फ्रेट इक्वीलाइजेशन पॉलिसी को लागू करना चाहिए। इससे देशभर में सामान्य कीमतों पर रॉ मैटीरियल की उपलब्धता बनी रहे। वहीं, उद्यमी भरपूर सिंह ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय मार्केट में नवीनतम तकनीक विकसित हो रही है। सूक्ष्म व लघु स्तरीय औद्योगिक इकाइयों को नई तकनीक अपनाना होगा। आवश्यक है केंद्र सरकार ऐसी नीतियों को लागू करे, जिससे छोटे कारोबारी भी अपग्रेड हो सकें और इंडस्ट्री बची रहे।


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