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निटवियर क्लब के चुनाव को कोर्ट में दी जाएगी दस्तक

मुनीश शर्मा, लुधियाना : होजरी व टेक्सटाइल की प्रदर्शनियों के समाप्त होने के बाद अब निटवियर क्लब का व

By Edited By: Published: Fri, 31 Jul 2015 05:21 PM (IST)Updated: Fri, 31 Jul 2015 05:21 PM (IST)
निटवियर क्लब के चुनाव को कोर्ट में दी जाएगी दस्तक

मुनीश शर्मा, लुधियाना : होजरी व टेक्सटाइल की प्रदर्शनियों के समाप्त होने के बाद अब निटवियर क्लब का विवाद दोबारा चर्चा में आ गया है। उद्यमी लंबे समय से बंद पड़े निटवियर क्लब के तालों को खुलवाने के लिए तत्काल प्रयास किए जाने की वकालत कर रहे है। क्लब के प्रधान दर्शन डावर ने कहा है कि वह कोर्ट में याचिका दायर कर क्लब का चुनाव कराए जाने की मांग करेंगे। इसी माह कोर्ट में आवेदन किया जाएगा। उन्होंने कहा कि ज्यादातर उद्यमी आम सहमति की बजाय चुनाव चाहते हैं। उन्होंने कहा कि वह बाजवा नगर सहित कई प्रमुख एसोसिएशनों में लंबे समय से काम कर रहे हैं और होजरी व टेक्सटाइल से जुड़ी इंडस्ट्री की समस्याओं के समाधान को तत्पर रहते हैं। उधर, चेयरमैन विनोद थापर ने कहा कि वह भी चुनाव को तैयार हैं। लेकिन पहले क्लब के ताले खुलवाए जाएं और कोर्ट केस वापस लिया जाए, तभी चुनाव हो सकता है। ज्ञात हो कि होजरी व टेक्सटाइल इंडस्ट्री के प्रमुख संगठन निटवियर क्लब के दो गुटों के बीच तीन साल से विवाद चला आ रहा है। इसी के चलते फाउंटेन चौक स्थित एसोसिएशन का कार्यालय तालाबंद है। कोर्ट में केस होने के चलते न तो चुनाव हो पा रहा है और आम सहमति न बन पाने के कारण कामकाज भी ठप पड़ा है। क्लब के दो गुटों में बंटे होने के कारण क्लब का वास्तविक प्रतिनिधि कौन है, इसे लेकर अन्य संगठन भी असमंजस में हैं। क्लब के तमाम सदस्य दोनो गुटों के बीच समझौता कराने को प्रयासरत हैं, लेकिन कोई फैसला न होने से मई 2014 में होने वाला क्लब का चुनाव अब तक लंबित है। चुनाव न होने के कारण क्लब का अस्तित्व भी संकट में है।

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तीन साल से जारी है विवाद

निटवियर क्लब की मौजूदा टीम के बीच तीन साल से मतभेद है। एक गुट में प्रधान दर्शन डावर और महासचिव नरिंदर मिगलानी हैं, जबकि दूसरे गुट में चेयरमैन विनोद थापर और कोषाध्यक्ष हरीश केयरपाल। दोनों गुटों के बीच वर्चस्व और अहम का विवाद है। दोनों गुट एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगाते रहे हैं। इसी विवाद के चलते दो साल पूर्व क्लब के कार्यालय में ताला जड़ दिया गया था। अब दोनों गुट अलग कार्यालय और बैंक खाता के जरिए कामकाज कर रहे हैं।


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