किसी से ईष्र्या नहीं करते भक्त : अंबालिका
जासं, लुधियाना दिव्य ज्योति जागृति संस्थान द्वारा राहों रोड पर चल रहे दो दिवसीय श्री सुंदर काड प्र
जासं, लुधियाना
दिव्य ज्योति जागृति संस्थान द्वारा राहों रोड पर चल रहे दो दिवसीय श्री सुंदर काड प्रसंग के अंतिम दिन साध्वी अंबालिका भारती जी ने कहा कि भक्त हनुमान जी ने जैसे यात्रा शुरू की, वैसे ही उनके मार्ग में सोने का पर्वत मैनाक, सुरसा ने मार्ग रोक लिया। तब भक्त के मार्ग पर आलस्य व तृष्ण का बंध लग गया। भक्ति पथ पर आलस्य बहुत बड़ा दुश्मन है। आप देखें यदि जीवन आलस्य धारण करके रखोगे तो असफलता निश्चित आपकी ही होगी। क्या कभी आलसी को उन्नति करते देखा है? जैसे आलस्य भक्ति पथ पर चलने वाले साधक के लिए हानिकारक है, वैसे ही तृष्ण भी जीवन में धनीकरण तृष्ण को आप जितना बढ़ाएंगे यह उतनी ही प्रभल होती जाएगी व आपको लक्ष्य से विचलित कर देगी।
साध्वी भारती ने बताया कि हनुमान जी आगे जाते है तो उनका मार्ग संहिका नामक राक्षसी रोक लेती है। तभी श्री हनुमान जी ने संहिका का उद्धार किया। संहिका प्रतीक है ईष्या का। जैसे लोग किसी की सफलता देखकर खुश न होते हुए सदैव जलते ही रहते है। ऐसे ही ईष्या करने वाले लोग होते है और भक्त किसी से ईष्र्या नहीं करता, वह तो सदैव सभी से प्रेम करता है। वह सभी को ईश्वर की भक्ति के लिए प्रेरित करता है। इस दौरान साध्वी सोमप्रभा भारती ने चौपाईयों व भजनों से भक्तों का मन मोह लिया।