बच्चों को जमीन निगल रही या आसमां
तपिन मल्होत्रा, लुधियाना : महानगर में नाबालिग बच्चों के अगवा होने के आंकड़े चौकाने वाले हैं। औसतन
तपिन मल्होत्रा, लुधियाना : महानगर में नाबालिग बच्चों के अगवा होने के आंकड़े चौकाने वाले हैं। औसतन हर दूसरे दिन एक नाबालिग बच्चा महानगर से अगवा हो रहा है। इन बच्चों का कोई सुराग नहीं लग पा रहा है। महानगर की पुलिस के लिए यह पहेली बनी हुई है। अधिकांश अगवा बच्चे गरीब परिवारों के हैं। शायद पुलिस इसीलिए निष्क्रिय है।
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पुलिस की मुहिम ठंडे बस्ते में
बच्चों के अगवा होने की बढ़ रही रफ्तार को देखते हुए पुलिस ने करीब एक साल पहले शहर के हर थाने व प्रमुख चौराहों पर अगवा बच्चों के बोर्ड लगाए थे। बाद में ये फट गए या तो खराब हो गए। इसके बाद नए अगवा हुए बच्चों का कोई बोर्ड कहीं नहीं लगाया गया। उधर, जिन बच्चों के बोर्ड लगे थे, उनमें से न के बराबर ही बच्चे ट्रेस हुए।
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30 दिन में अगवा हुए 13 बच्चे
1) 29 अप्रैल को साहनेवाल से बच्ची अगवा।
2) 29 अप्रैल को मोती नगर से घर के बाहर खेल रहा बच्चा अगवा।
3) 11 मई को बस्ती मनी सिंह से घर के बाहर खेल रहा बच्चा अगवा।
4) 4 मई को अंबेदकर नगर से 14 साल का बच्चा अगवा हुआ।
5) 4 मई को गांव सियोड़ा से नाबालिग बच्चा अगवा।
6) 13 मई को हेबोवाल से स्कूल गया बच्चा अगवा।
7) 14 मई हेबोवाल में स्कूल गया बच्चा अगवा।
8) 14 मई जोधेवाल से बच्ची को किया अगवा।
9) 14 मई को मांगट कॉलोनी से 8 साल का बच्चा अगवा।
10) 20 मई को जोधेवाल से स्कूल गई बच्ची अगवा।
11) 22 मई को शेरपुर खुर्द से 12 साल का बच्चा अगवा।
12) 22 मई को डाबा इलाके से 11 साल का बच्चा अगवा।
13) 22 मई को लोहारा रोड से 14 साल की नाबालिग अगवा।
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आधुनिक तरीकों से लग सकता है विराम : कालिया
चाइल्ड राइट्स कमीशन पंजाब के चेयरमैन सुकेश कालिया ने कहा कि प्रशासन को रेलवे स्टेशनों व बस स्टैंडों पर स्क्रीन लगानी चाहिए। जहां अगवा हुए बच्चे की फोटो डिस्पले होगी। इससे अगवा करने वाला आरोपी बच्चे को शहर से बाहर नहीं ले जा पाएगा।
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पुलिस को दिखानी चाहिए तत्परता: डंग
यूथ अकाली दल के नेता दविंदर सिंह डंग ने कहा कि बच्चों के इतनी तेजी से अगवा होने के आंकड़े निंदनीय हैं। पुलिस को सूचना मिलते ही कार्रवाई शुरू करते हुए आरोपियों को दबोचना चाहिए।
फोटो- 148
कोट्स
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पुलिस अगवा हो रहे बच्चों को लेकर पूरी तरह से गंभीर है। बच्चे खुद भी काम करने के लिए घर छोड़ कर दूसरे शहरों में चले जाते हैं। वह 70 प्रतिशत मामलों को सुलझा चुके हैं। पुलिस पूरी सतर्कता से इन मामलों को लेती है।
एडीसीपी क्राइम- मुखविंदर सिंह
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