सर्द हवा के चलते लोग घरों में दुबके, फसलें प्रभावित
जेएनएन, लुधियाना प्रदेश सहित मालवा गत तीन दिनों से शीतलहर की चपेट में है। इसके चलते जनजीवन अस्त-व
जेएनएन, लुधियाना
प्रदेश सहित मालवा गत तीन दिनों से शीतलहर की चपेट में है। इसके चलते जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है। एक ओर जहां सड़कों पर वाहनों की गति धीमी पड़ी है, वहीं दूसरी ओर रेलों का देरी से आना जारी है। वहीं, शीतलहर के चलते लुधियाना सहित मालवा के तहत विभिन्न जिलों में रविवार को लोग घरों में दुबके रहे। उधर, फाजिल्का में रेन बसेरा सुविधा न होने के कारण फुटपाथ पर रहने वाले गरीबों को ठंड से बुरी तरह ठिठुरते देखा गया। ये लोग किसी तरह से आग सेंककर ठंड से निजात पाने की कोशिश करते दिखे। वहीं, लुधियाना के फुटपाथों पर भी बेघर कंबल पूरी तरह से तन पर लपेटे ठंड से निजात पाने की कोशिश करते दिखे। उधर, मुक्तसर में रेन बसेरा तो है, पर पर्याप्त जानकारी के अभाव में यह सफेद हाथी ही साबित हो रहा है। यहां अभी तक किसी ने शरण नहीं ली है। उधर, फिरोजपुर में ठंड के मद्देनजर डीएसपी विभोर कुमार शर्मा की अगुआई में एफएमसीजी सेल्स स्टाफ वेलफेयर सोसायटी द्वारा गरीबों को डेढ़ सौ कंबल बांटे गए। वहीं दूसरी ओर फरीदकोट में लोग दिनभर सर्द हवा से परेशान दिखे। वहीं बरनाला में सड़कों पर लोग जगह-जगह आग सेकते दिखे। उधर, संगरूर में सूर्य देव के दिनभर दर्शन न होने के कारण सड़कें लगभग सूनी दिखीं और लोगों ने घरों में ही रहना मुनासिब समझा। वहीं, बठिंडा में पारा गिरकर न्यूनतम 2.2 डिग्री सेल्सियस व अधिकतम 10.2 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। अधिकांश लोगों ने घरों में रहना ही मुनासिब समझा। वहीं बठिंडा में निजी स्कूलों में भी डीसी डॉ. बसंत गर्ग ने 21 से 31 दिसंबर तक छुट्टी करने के निर्देश जारी कर दिए हैं। पटियाला में भी अधिकतर लोगों ने सर्द हवा से बचने के लिए घरों में ही रहना ठीक समझा।
पंजाबी यूनिवर्सिटी मौसम विभाग की मानें, तो तापमान में अचानक आई गिरावट लोगों की सेहत सहित विभिन्न फसलों पर भी गहरा असर दिखा रही है। मटर, टमाटर, गाजर, मूली, शलगम, पालक, साग, मेथी, हरा प्याज, धनिया, पुदीना और गेहूं की फसल पर कड़ाके की ठंड का खास असर देखने को मिल रहा है। कृषि विशेषज्ञ केहर सिंह का कहना है कि गेहूं की अच्छी फसल के लिए जरूरी है कि फसल पर ठंड के कम से कम 100 दिन जरूर असर दिखाएं। तापमान में तेजी से आई गिरावट के कारण सब्जियों के साथ-साथ गेहूं की फसल के पत्ते अभी से पीले पड़ना शुरू हो चुके हैं। ठंड के दिनों में किसी भी फसल का पीला पड़ना बताता है कि फसल अचानक कम हुए तापमान के अनुसार खुद को सही रूप से ढाल नहीं पाई। कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि तापमान में अचानक होने वाले उतार चढ़ाव का सीधा असर गेहूं के झाड़ पर पड़ेगा।