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ध्या.गोरखपुर, पंजाब..गटर में गिरी पांच साल की सलोनी, मौत

By Edited By: Published: Sun, 21 Sep 2014 07:33 PM (IST)Updated: Sun, 21 Sep 2014 07:33 PM (IST)
ध्या.गोरखपुर, पंजाब..गटर में गिरी पांच साल की सलोनी, मौत

जागरण संवाददाता, लुधियाना

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नगर निगम के वार्ड नंबर 75 के कंगनवाल इलाके में गुलाब सिंह के वेहड़े में पांच साल की बच्ची सलोनी की शौचालय के बाहर बनाए गए अस्थाई गटर में गिरने से मौत हो गई। शनिवार दोपहर सलोनी घर के बाहर खेल रही थी। कुछ देर बाद वह शौच करने खाली प्लाट में बने शौचालय में चली गई। शौचालय से बाहर निकलकर वह वापस आने लगी तो शौचालय के दरवाजे के आगे बने गटर (खुई) पर रखा ढक्कन बच्ची का वजन सह नहीं पाया और वह गंदगी से भरे गटर में गिर गई। करीब 12 से 15 फीट गहरे गटर से उसकी आवाज तक बाहर नहीं आई।

घंटों ढूंढते रहे मां-बाप

दोपहर को बाहर खेलते हुए सलोनी को वेहड़े के बच्चों और बाकी लोगों ने भी देखा था। शाम तक सलोनी नजर नहीं आई तो पहले उसकी मां सभावती ने उसे ढूंढा। बाद में काम से घर लौटे सलोनी के पिता राजू ने अपने वेहड़े के साथियों को साथ लेकर उसे ढूंढा। सलोनी नहीं मिली तो वेहड़े के ही एक बच्चे ने शौचालय के पास पड़े पानी के डिब्बे और सलोनी की चप्पल देख टूटे ढक्कन की तरफ इशारा किया। बाद में टूटे हुए ढक्कन को उठाकर देखा तो आशंका हुई कि लड़की इसी में ही गिरी है। इसके बाद यह बात इलाके में फैली तो मौके पर भीड़ इकट्ठा हो गई। सभी लोग वेहड़ा मालिक को कोस रहे थे कि उसकी लापरवाही के चलते ही हादसा हुआ।

सरिया डालकर निकाली लाश

इसी बीच वेहड़े के नजदीक रहने वाले एक व्यक्ति ने सरिए की मदद से सलोनी की लाश बाहर निकाली और तब तक इलाका पुलिस भी पहुंच गई। पुलिस ने बच्ची का शव कब्जे में लेकर रविवार को सिविल अस्पताल में पोस्टमार्टम करवाया।

गोरखपुर महाराजगंज के विरमी का है परिवार

कंगनवाल में अपने परिवार के पालन-पोषण के लिए मजदूर राजू अपनी पत्नी व बच्चों को लेकर पांच साल पहले गोरखपुर महाराजगंज के गांव विरमी से आया था। राजू की चार लड़कियां थी। हादसे के बाद से परिवार का रो-रोकर बुरा हाल था। हर आने-जाने वाले के पांव पकड़कर बच्ची की मां यही कह रही थी कि मेरी सलोनी को ला दो, मैं वापस गोरखपुर चली जाऊंगी।

आमने-सामने दो वेहड़ों में 90 से अधिक कमरे

कंगनवाल के जिस गुलाब सिंह के वेहड़े में यह हादसा हुआ, उसमें 56 कमरे है। इसी मालिक के दूसरे वेहड़े में भी 36 कमरे बताए जाते है। इन दोनों कमरों में रहने वाले करीब चार सौ लोगों के लिए मात्र तीन-चार ही शौचालय बनाए गए है। इलाके में सीवरेज सुविधा नहीं होने के कारण सारी गंदगी शौचालय के आगे बने गटर में ही जमा होती है।

नरक-सी जिंदगी जीने की मजबूरी

कंगनवाल के इन वेहड़ों में जिंदगी नरक से कम नहीं है। अन्य प्रदेशों से आए मजदूर मजबूरीवश यहां रहते हैं। किराया कम होने के कारण यह लोग यहां रहते हैं। इलाके के लोगों ने बताया कि मालिक तो यहां खुद किराया लेने भी नहीं आता। उसने किराया वसूलने के लिए एक आदमी रखा हुआ है, जो किराया वसूलकर मालिक को दे देता है, लेकिन सुविधा के मामले में कोई नहीं सुनता। वेहड़े के लोगों ने बताया कि कुछ साल पहले इसी वेहड़े में सिलेंडर फटने की घटना हुई थी। उस समय बिल्डिंग को हुए नुकसान की अब तक मरम्मत नहीं करवाई गई।


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