रेगुलर चेकअप करवाएं ताकि आंखें रहें सुरक्षित
जासं, लुधियाना : भागदौड़ की जिंदगी में हरेक अपने काम मोबाइल व कंप्यूटर पर बिजी है। आधुनिक उपकरणों से काम तो फटाफट होने लगे हैं लेकिन इसका विपरीत असर पड़ रहा है हमारी आंखों पर। आंखों की रोशनी कम हो रही है। चश्मा लगता है तो पर्सनेलिटी कहीं बिगड़ न जाए यह सोचकर कई लोग सर्जरी करवा लेते हैं। 18-19 वर्ष की उम्र में चश्मा उतारना संभव है बशर्ते कि चश्मे का नंबर एक वर्ष तक स्थिर हो। यह कहना है फिरोजपुर रोड स्थित वासन आई केयर के चीफ मेडिकल अफसर व आंख रोग विशेषज्ञ डॉ. आजाद गौरव का। मौका था शनिवार को दैनिक जागरण कार्यालय में आयोजित हैलो जागरण का। डॉ. आजाद ने फोन पर लोगों के सवालों के जवाब भी दिए।
आंखों की बीमारियां :
बच्चों में : चश्मा, भैंगापन, एलर्जी, आंखों का लेजी होना इससे एक आंख की रोशनी बैठ जाती है जोकि कई बार ठीक नही हो पाती।
टीन-एजर में : चश्मों का नंबर अधिक होना, कंप्यूटर विजन सिंड्रोम होना।
40 वर्ष की उम्र के बाद : नजदीक का चश्मा लगना, काला-सफेद मोतिया होना, आंखों में सूखापन।
60 वर्ष के बाद : काला सफेद मोतिया, पर्दे में शूगर बैठ जाना, पर्दे पर शूगर का असर, डायबटिक रैटीनोपैथी होना।
क्या करें आप : बच्चा कभी खुद नहीं बताता कि उसे आंखों की कोई बीमारी है ऐसे में मां-बाप को बच्चे जन्म के तीन से छह माह के भीतर रेगुलर जांच करवानी चाहिए। अगर बच्चे की लेजी आई है तो उससे एक आंख की रोशनी भी जा सकती है। इसके अलावा बच्चों में भैंगापन होता है इसके लिए एक्सरसाइज करवाई जाती है यह एक्सरसाइज आठ वर्ष की उम्र तक ठीक होती है इससे आंख की रोशनी पूरी विकसित हो सकती है।
सफेद मोतिया : आंखों के लैंस में सफेदपन आ जाता है, तो उससे रोशनी पूरी तरह पर्दे पर नहीं पहुंच पाती है और सफेद मोतिया के लक्षण आ जाते है जैसे धुंधलापन, कलर कम दिखना, रात को आंखों की रोशनी फैलना।
इलाज : इसके लिए फेको सर्जरी फायदेमंद है जिसमें न टांका, न दर्द व न टीका होता है। इस सर्जरी में सफेद मोतिया को निकालकर लैंस लगा दिए जाते हैं जोकि उम्र भर ठीक रहते हैं।
काला मोतिया : आंखों में पानी एकत्रित होना शुरू हो जाता है इससे आंखों का प्रेशर बढ़ जाता है, जोकि नसों को नुकसान पहुंचाता है और काला मोतिया का नुकसान कभी ठीक नहीं होता है। काला मोतिया जड़ से नहीं खत्म होता। इसको आंखों में डॉक्टरी सलाह पर दवाई डालकर ठीक किया जा सकता है। काला मोतिया जैनेटिक, शूगर, आंखों में चोट लगने की वजह से होता है। काला मोतिया साइलेंट किलर माना गया है। इसके लिए आंखों का रेगुलर चेकअप करवाना चाहिए।
आपके सवाल, हमारे जवाब
प्र. : आंखों के साथ क्रॉस का निशान हमेशा दिखाई देता है?
राकेश परमार, फोकल प्वाइंट
उ. : आंख के पर्दे के पीछे की जांच से ही पता चलेगा कि आंखों से धुंधला व क्रॉस का निशान क्यों दिखाई देता है। आंखों को चेक करवाएं।
प्र. पांच महीने के बच्चे को नजर नही आता है?
मीनू, रिशि नगर
उ. : कई बार बच्चे की जमांदरू आंखों के चश्मे का नंबर अधिक होता है, अगर बच्चे के सामने हाथ हिलाने पर कोई रिस्पांस नहीं आता तो आंखों के डॉक्टर को जरूर दिखाएं। क्योंकि आंखों में ट्यूमर व कैंसर होने का खतरा भी हो सकता है।
प्र. : आंखों में पानी भरा रहता है?
जसवंत सिंह, महाराज नगर
उ. : आंख से नाक को जोड़ने की नाली होती है जो कभी ब्लॉक हो सकती है कई बार आप्रेशन से खोलना पड़ता है। इसलिए नाली ब्लॉक होने से आंखों में पानी भरा महसूस होता है।
प्र. : आंखों में दर्द व पानी आता है?
राजिंदर, समराला चौक
उ. : वाहनों के धुएं से आंखों में एलर्जी होती है जिससे आंखों दर्द होती है और पानी आता है। इसलिए दोपहिया वाहन चलाते समय गोगल्स जरूर लगाएं।
प्र. : आंखों के आगे सूजन रहती है?
दलजीत सिंह, गिल रोड
उ. : गुर्दे की प्रॉब्लम के कारण आंखों के आगे सूजन रहती है इसलिए ब्लड-यूरिया की जांच करवाएं।
प्र. : आंखों के लिए कौन से बेहतर लैंस हैं?
हरीश गुप्ता, सिविल लाइंस
उ. : आंखों के लिए फोल्डेबल लैंस अमेरिकन कंपनी के बढि़या हैं।
प्र. : 19 वर्ष की उम्र में आंखों में सफेद मोतिया उतर आया है?
राहुल, आरती चौक
उ. : कई बार कमजोरी के कारण सफेद मोतिया आता है, कई बार नशे के सेवन व बिना डॉक्टर की सलाह के आंखों में दवाइयां डालने से सफेद मोतिया होता है।
प्र. : आंखों से डबल दिखाई देता है?
कमलेश रानी कौर, हैबोवाल
उ. : शूगर से आंखों को घुमाने की नसें दब गई हैं इसलिए पहले शूगर व ब्लड-प्रेशर को कंट्रोल करें। चार-पांच महीने में आंखें ठीक हो सकती हैं।