देश-विदेश में है देवीदास-योगराज की मट्ठियों के शौकीन, वतन आने वाले इन्हें ले जाना नहीं भूलते Jalandhar News
भले ही समय के साथ शहर में बड़े-बड़े ब्राड्स की स्वीट शॉप्स खुल चुकी हैं फिर भी देवीदास-योगराज की भाजी का स्वाद कभी फीका नहीं पड़ा।
जालंधर, [शाम सहगल]। स्त्री मार्केट चौक से सेंट्रल टाउन की गली नंबर पांच में प्रवेश करते ही उठती सूखी भाजी की महक भरे पेट के बावजूद मूंह में पानी ला देती है। ऐसा हो भी क्यों न, पांच दशक से यहां स्थित देवीदास, योगराज भाजी वाले की दुकान के व्यंजन हैं ही ऐसे। भले ही समय के साथ शहर में बड़े-बड़े ब्राड्स की स्वीट शॉप्स खुल चुकी हैं, फिर भी देवीदास-योगराज की भाजी का स्वाद कभी फीका नहीं पड़ा। खास बात यह है कि इनकी भाजी का स्वाद चख चुके लोग विदेश जाने के बाद भी इसकी महक भूल नहीं पाए हैं। जब भी उनका वतन आना होता है तो देवीदास-योगराज की भाजी खासकर मट्ठियां लेना नहीं भूलते।
क्वालिटी के साथ नहीं किया समझौता
देवीदास बताते हैं कि उनकी भाजी व मट्ठियों की विशेषता स्वाद और लंबे समय तक खराब न होना है। कारण, कच्चे माल का दाम भले ही जितना मर्जी बढ़ जाए लेकिन क्वालिटी के साथ कभी समझौता नहीं किया उन्होंने। कहते हैं, ‘हमारा नाम ग्राहकों ने ही बनाया है, इसकी लोकप्रियता कम नहीं होने देंगे।
करवाचौथ पर एडवांस में करते हैं बुकिंग
सुहाग पर्व पर सरगी व बया में उपयोग होने वाली मट्ठियों की मांग बढ़ जाती है। सीमित संसाधन व स्टाफ होने के कारण लोग उन्हें व्रत के कई दिन पहले ही आर्डर दे जाते हैं। आर्डर का भुगतान और दुकान पर तैयार किए गए माल की ही बिक्री इस दौरान की जाती है।
तड़के 5.30 बजे खुल जाती है दुकान
यह शहर की शायद पहली ऐसी भाजी की दुकान होगी जो सुबह 5.30 बजे खोल दी जाती है। खास बात यह है कि तब से ही ग्राहक की आमद भी शुरू हो जाती है। देवीदास बताते हैं कि तड़के ही माल तैयार करना भी शुरू कर दिया जाता है, जिसकी मांग तभी से ही शुरू हो जाती है। उन्होंने कहा कि ग्राहकों की आमद व मांग को देखते हुए रात 10 बजे तक दुकान खुली रखते हैं।
पांच दशक से ही ले रहे हैं देवीदास की मट्ठी का स्वाद
ब्रांडरथ शॉपकीपर एसोसिएशन के प्रधान अशोक सोबती पांच दशक से ही देवीदास की मट्ठी का स्वाद ले रहे हैं। वह बताते हैं कि कोई भी दिन त्योहार हो देवीदास की मट्ठी लाना नहीं भूलते। उनके कई जानकार विदेश जाकर सेटल हो चुके हैं लेकिन जब भी उनका शहर आना होता है देवीदास की मट्ठियां लेने जरूर पहुंचते हैं।
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