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पूर्व सांसद मोहिंदर सिंह केपी के हाथ में आज खिल सकता है 'कमल का फूल'

दिल्ली में कांग्रेस हाईकमान से मिलकर लगातार अपना हक मांगने की कवायद में लगे केपी के हाथ मायूसी लगने के बाद वे भाजपा नेताओं के साथ फिर से संपर्क में हैं।

By Pankaj DwivediEdited By: Published: Thu, 18 Apr 2019 10:40 AM (IST)Updated: Thu, 18 Apr 2019 10:44 AM (IST)
पूर्व सांसद मोहिंदर सिंह केपी के हाथ में आज खिल सकता है 'कमल का फूल'
पूर्व सांसद मोहिंदर सिंह केपी के हाथ में आज खिल सकता है 'कमल का फूल'

जालंधर, मनोज त्रिपाठी। टिकट न मिलने से नाराज चल रहे कांग्रेस नेता और पूर्व सांसद मोहिंदर सिंह केपी के हाथ में वीरवार को कमल का फूल खिल सकता है। दिल्ली में कांग्रेस हाईकमान से मिलकर लगातार अपना हक मांगने की कवायद में लगे केपी के हाथ मायूसी लगने के बाद वे भाजपा नेताओं के साथ फिर से संपर्क में हैं। बुधवार को केपी ने कुछ भाजपा नेताओं के साथ मंथन भी किया है कि अगर वह भाजपा का दामन थामते हैं तो उन्हें क्या जिम्मेवारी दी जा सकती है।

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देर शाम बातचीत में केपी ने स्वीकार किया है कि भाजपा के कुछ नेता उनसे लगातार संपर्क कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि वह कांग्रेसी हैं और अंतिम समय तक कोशिश करेंगे कि कांग्रेस का दामन न छोड़ना पड़े। उन्होंने साथ ही कहा कि अब पानी सिर से ऊपर निकल चुका है। मैं भाजपा एक्सप्रेस में सवार होने पर मंथन कर रहा हूं। मेरी टिकट को लेकर कोई बातचीत नहीं हुई है, लेकिन अगर मैं भाजपा में गया तो एक कार्यकर्ता की तरह कांग्रेस के खिलाफ चुनाव प्रचार में कोई कसर नहीं छोडूंगा।

पंजाब में तकनीकी शिक्षा मंत्री रह चुके हैं केपी

केपी ने जालंधर साउथ (वेस्ट) की सीट से विरासत में मिली सियासत को आगे बढ़ाया था। इसके बाद केपी ने तीन बार विधानसभा चुनाव भी जीता और पंजाब सरकार में तकनीकी शिक्षा मंत्री सहित कई जिम्मेदारियां संभाली। पंजाब टेक्निकल यूनिवर्सिटी में अकालियों की 1997 से 2002 तक की सरकार के कार्यकाल में हुए सैकड़ों करोड़ के घोटाले की जांच भी मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने गहनता से करवाने के लिए केपी को 2002 में तकनीकि शिक्षा मंत्री बनाया था। पूर्व अकाली मंत्री जगदीश सिंह गरचा सहित कई अधिकारियों को इसके बाद सलाखों के पीछे भी किया गया था।

2014 में जालंधर की बजाय होशियारपुर से लड़े थे

2014 के लोकसभा चुनाव में केपी का टिकट जालंधर से काटकर पार्टी ने उन्हें होशियारपुर भेज दिया था। कांटे की लड़ाई में केपी भाजपा के विजय सांपला से हार गए थे। इस बार केपी मांग कर रहे थे कि सिटिंग एमपी होने के बाद भी पार्टी ने उन्हें होशियारपुर भेज दिया था। इसलिए इस बार उन्हें जालंधर सीट से टिकट दी जाए। अलग बात है कि टिकट का मैदान चौधरी संतोख सिंह ने मार लिया। केपी इसी से नाराज हैं और पार्टी ने उनकी मांग को पूरी तरह से नजरअंदाज किया है। फिलहाल केपी की कोशिश यही है कि अगर कांग्रेस में ही बात बन जाती है तो उन्हें वर्षों से जिस पार्टी के साथ चले हैं, उसे त्यागना नहीं पड़ेगा। केपी ने इसी कवायद में दलित पंचायत बुलाने के बाद उसे स्थगित किया और दिल्ली में पार्टी हाईकमान तक अपनी बात पहुंचाने की कोशिश में लगे हैं। कांग्रेस की तरफ से केपी को कोई हाथ-पल्ला नहीं पकड़ा रहा है। इसी के चलते केपी भाजपा की चुनावी एक्सप्रेस में सवार हो सकते हैं।

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