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सात साल बाद पूर्वा फाल्गुन नक्षत्र में होगा होलिका दहन, जानें क्या है पौराणिक कथा

सात वर्षों के बाद इस बार 20 मार्च को होलिका दहन पूर्वा फाल्गुन नक्षत्र में होगा जिससे होली के पर्व का महत्व बढ़ जाता है।

By Edited By: Published: Sun, 17 Mar 2019 07:16 PM (IST)Updated: Mon, 18 Mar 2019 08:57 AM (IST)
सात साल बाद पूर्वा फाल्गुन नक्षत्र में होगा होलिका दहन, जानें क्या है पौराणिक कथा
सात साल बाद पूर्वा फाल्गुन नक्षत्र में होगा होलिका दहन, जानें क्या है पौराणिक कथा

जालंधर, [शाम सहगल]।  सात वर्षों के बाद इस बार 20 मार्च को होलिका दहन पूर्वा फाल्गुन नक्षत्र में होगा जिससे होली के पर्व का महत्व बढ़ जाता है। होलिका दहन के साथ धार्मिक व अध्यात्मिक तथ्य जुड़ा होने के चलते होली मनाने तथा दहन करने के मुहुर्त का भी अलग ही महत्व है। दरअसल, भारतीय संस्कृति में रंगों के पर्व होली को उमंग का त्योहार ही नहीं, बल्कि धार्मिक दृष्टि से भी इसका खास महत्व है। हालांकि, इस पर्व के साथ पौराणिक कथा जुड़ी हुई है। यहीं कारण है कि इसे रंग खेलने के साथ-साथ पूजा के लिए भी खास रूप से मनाया जाता है। इस बारे में श्री भृगु ज्योतिष केंद्र, अर्बन एस्टेट फेस-वन के पंडित एसके शास्त्री भृगु बताते हैं कि फाल्गुन कृष्ण अष्टमी पर 14 मार्च को होलाष्टक की शुरुआत हुई है, जिसका समापन चैत कृष्ण प्रतिपदा 21 मार्च को रंगों के साथ मनाकर होगा। उन्होंने कहा कि वीरवार को होने के कारण होली का महत्व और भी बढ़ जाता है।

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पंडित एसके शास्त्री भृगु।

यह है होलिका दहन की पौराणिक कथा

हिरणाकश्यप नाम का राक्षस राजा था। पूरे साम्राज्य में शक्तिशाली होने के चलते उसने पूरे आवाम को उसकी ही पूजा करने को बाध्य कर दिया जिसे साम्राज्य ने स्वीकार भी कर लिया, लेकिन राक्षस राजा के अपने पुत्र प्रह्लाद ने न सिर्फ उसकी पूजा करने से इंकार कर दिया, बल्कि भगवान विष्णु की पूजा करता रहा। यह बात हिरणाकश्यप नागवार गुजरी। पुत्र के इस फैसले से खफा होकर राक्षस राजा ने बहन होलिका का सहारा लिया। होलिका को आग्नि में न जल पाने का वरदान प्राप्त था। जिसके चलते उसने होलिका को प्रह्लाद को गोद में रखकर अग्नि में बैठ जाने को कहा। इस दौरान जैसे ही प्रह्लाद को गोद में लेकर होलिका अग्नि में बैठी तो होलिका तो जल गई लेकिन प्रह्लाद भगवान विष्णु का नाम स्मरण करते हुए आसानी से बाहर आ गया। तब से लेकर सच्चाई की जीत के रूप में होली का पर्व मनाया जाता है।

लाभकारी है होलिका दहन

पंडित प्रमोद शास्त्री।

इस बारे में श्री हरि मंदिर, अशोक नगर के प्रमुख पुजारी पंडित प्रमोद शास्त्री बताते हैं कि होलिका दहन का न सिर्फ धार्मिक महत्व है, बल्कि बेहतर स्वास्थ्य के लिए भी लाभकारी है। उन्होंने कहा कि होलिका दहन करके अहंकार व नकारात्मकता का त्याग किया जाता है। होलिका दहन करने से सौभाग्य व मान सम्मान मिलता है। उन्होंने कहा कि होलिका की लौ शरीर पर पड़ने से कई तरह के शारीरिक कष्ट दूर होते है।  

होली पर्व तिथि व मुहूर्त होलिका दहन

20 मार्च होलिका दहन मुहुर्त : रात 8.58 से लेकर 12.07 बजे भद्रा पूंछ- शाम 5. 23 से शाम 6. 24 भद्रा मुख- शाम 6. 24 से रात 8.07, रंगों की होली 21 मार्च


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