पंजाब के लोग किताबों के शौकीन
फोटो 13 से 17 ए संवाद सहयोगी, जालंधर: नेशनल बुक ट्रस्ट की ओर से देश भगत यादगार हाल में लगाई ग
फोटो 13 से 17 ए
संवाद सहयोगी, जालंधर:
नेशनल बुक ट्रस्ट की ओर से देश भगत यादगार हाल में लगाई गई नौ दिवसीय पुस्तक प्रदर्शनी में शनिवार को कवियों का जमावड़ा लगा। यहां देश भर के लेखकों की 50 हजार से अधिक पुस्तकें उपलब्ध हैं। कार्यक्रम की शुरुआत कमेटी के जनरल सेक्रेटरी गुरमीत व विशेष अतिथि कोषाध्यक्ष कमेटी डॉ. रघबीर कौर, बुजुर्ग कामरेड गंधर्व सेन ने की। कुलविंदर कुल्ला ने 'फुटारा होन दे अखां चो हाले, तू महिका भाल न कमला चो हाले' गजल पेश कर कवि दरबार का आरंभ किया। लखविंदर जोहल, अमरीक डोगरा, तजिंदर मारकंडा, हरविंदर भंडाल, नवतेज समेत 25 से अधिक कवियों ने अपनी रचनाएं पेश की। प्रो. सुरजीत जज द्वारा कवि दरबार की अध्यक्षता की गई। कनवीनर डॉ. बलदेव सिंह, कमेटी सदस्य अमोलक सिंह, नोनिहाल सिंह व अन्य सदस्य उपस्थित थे। इस दौरान दैनिक जागरण ने दो कवियों से उनकी रचनाओं व पंजाब के बारे में राय जानी।
मशहूर ुसलक्खन सरहदी
देश के स्वतंत्र होने के बाद पंजाब के लोगों में समय के साथ रहन-सहन व खान- पान में काफी बदलाव आया है, लेकिन यहां के लोगों में किताब पढ़ने का शौंक कम नही हुआ है। यह कहना था गजलकार, शायर, साहित्यकार मशहूर सुलक्खन सरहदी का। सुलक्खन अब तक 53 से अधिक पुस्तकें लिख चुके हैं। उन्होंने बताया कि उनके द्वारा गजल लिखने की तकनीक पर छपी पुस्तक 'पिंगल व आरूस' में किस तरह से अरबी फारसी व पंजाब के शब्द प्रणाली को मिलाकर उर्दू में गजल की शुरुआत की गई थी।
बीबा बलवंत
साल 1970 से शायरी शुरू करने वाले मोहब्बत के शायर के तौर पर मशहूर बीबा बलवंत ने बताया कि शुरू से ही प्यार का मतलब एक सा ही रहा है, बस लोगों की सोच के मुताबिक उसका मतलब बदल गया है। प्यार को आज औरत के शरीर के रूप में देखा जाता है जबकि प्यार औरत ही नहीं हर उस वस्तु, इंसान से है जो इस धरती पर है। फूलों व कुदरत से भी तो इनसान मोहब्बत करता है। बीबा बलवंत पंजाबी में शायरी की छह तेरीयां गल्लां तेरे नां, फूलां दे रंग काले, तीजे पहर दी धुाप, कथा सरापे बिरख दी, अथरू गुलाब होय व मन नाहीं दस बीस किताबें लिख चुके हैं और दो पर तो बाकायदा एमफिल की जा चुकी है। अपनी शायरी को लोगों तक पहुंचाते हुए बीबा बलवंत ने इंग्लैंड व जर्मन समेत कई देशों का दौरा किया और पाकिस्तान में वर्ल्ड पंजाबी कांफ्रेंस में भी शामिल हो चुके हैं। बीबा जी का कहना है कि पंजाब में पुस्तक पढ़ने का रुझान तो है पर पश्चिम बंगाल आदि राज्यों से कम है।