विजन के साथ 85 अंकों का दावा करेगा निगम
जागरण संवाददाता, जालंधर स्मार्ट सिटी बनने की दौड़ में शामिल जालंधर मापदंडों पर खरा उतरने के अपने दा
जागरण संवाददाता, जालंधर
स्मार्ट सिटी बनने की दौड़ में शामिल जालंधर मापदंडों पर खरा उतरने के अपने दावे सात जुलाई को पंजाब सरकार के सामने रखेगा। इसके लिए तैयारी अंतिम चरण में है, जिसमें सारी कसरत अंकों के गणित में लुधियाना व अमृतसर निगम से आगे निकलने को लेकर चल रही है। स्मार्ट सिटी बनने के लिए निगम के विजन के साथ ही कम से कम 85 अंक हासिल करने का दावा निगम रखने वाला है।
निगम के दावे को पहले सरकार स्तर पर निकाय विभाग के प्रमुख सचिव अशोक गुप्ता की अगुवाई में बनी कमेटी परखेगी। फिर केंद्र सरकार की एजेंसी पड़ताल के अंकों के गणित को हकीकत के साथ तुलनात्मक अध्ययन करेगी। इसके बाद केंद्र सरकार को जालंधर के नाम रिपोर्ट भेजने का काम शुरू होगा। बी एंड आर शाखा के एसई कुलविंदर सिंह ने बताया कि सात जुलाई की बैठक में मापदंडों पर निगम अपनी रिपोर्ट पेश करेगा। अब तक की तैयारी व रिपोर्ट कार्ड से 85 फीसद अंक मिलना तो तय है, लेकिन कोशिश है कि इससे भी ऊपर जाया जाए। इसके लिए अन्य कमियां पूरी करने का भी काम चल रहा है। अब पंजाब सरकार से केंद्र को जालंधर का रिपोर्ट कार्ड भेजे जाने के बाद दूसरे चरण की तैयारी शुरू की जाएगी।
कहां कमजोर है रिपोर्ट कार्ड
-विकास कार्यो की पारदर्शिता पर ई-मासिक पत्रिका की सुविधा नहीं है।
-विकास योजनाओं पर वार्ड स्तर पर नागरिकों से परामर्श करने का रिवाज नहीं है।
-कर, शुल्क, किराया सहित अन्य राजस्व से कुल बजट में हिस्सेदारी 50 फीसद से कम होने पर अंक कटना तय है।
-जलापूर्ति व पाइप लाइन के रख-रखाव पर खर्च का प्रतिशत सिर्फ पांच फीसद के आसपास होने से नुकसान होगा।
-जेएनएनआरयूएम के तहत शहरों में किया गया विकास। गिनती के प्रोजेक्ट होने से निगम कमजोर पड़ेगा।
- इंटीग्रेटेड स्लम हाउसिंग डवलपमेंट प्रोजेक्ट में देरी के कारण अधूरे प्रोजेक्ट हुए बंद।
कहां पूरे अंक ले सकता है निगम
-बेवसाइट पर दो साल के बजट का ब्यौरा।
-निर्वाचित प्रतिनिधियों द्वारा पारित प्रस्ताव का बेवसाइट पर ब्यौरा।
-बीते तीन साल में टैक्स व अन्य शुल्क से जुटाए गए फंड का ब्यौरा।
-कर्मचारियों के मासिक वेतन भुगतान का ब्यौरा।
-निगम खाते के बीते दो साल का ऑडिट ब्यौरा।
-नागरिक सुविधाओं में देरी होने पर जुर्माना व उसकी वसूली का ब्यौरा।
-करीब पौने दो लाख रिहायशी मकानों वाले निगम दायरे में सिर्फ 536 घरों में शौचालय नहीं हैं।
-जेएनएनआरयूएम के तहत 2012 तक पूरी की गई परियोजना।