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भूख हड़ताल से चाय कारोबारी रजनीश की हालत बिगड़ी

जागरण संवाददाता, जालंधर : टैक्सेशन विभाग के अधिकारियों पर कार्रवाई की मांग को लेकर भूख हड़ताल बैठे व्

By Edited By: Published: Thu, 05 Mar 2015 11:05 PM (IST)Updated: Thu, 05 Mar 2015 11:05 PM (IST)
भूख हड़ताल से चाय कारोबारी रजनीश की हालत बिगड़ी

जागरण संवाददाता, जालंधर : टैक्सेशन विभाग के अधिकारियों पर कार्रवाई की मांग को लेकर भूख हड़ताल बैठे व्यापारी रजनीश कुमार की हालत वीरवार शाम को खराब हो गई। सूचना मिलने पर एसडीएम-1 डॉ. रजत ओबराय भी पहुंचे, जिन्होंने एम्बुलेंस बुलाकर रजनीश कुमार को पिम्स में दाखिल करवाया गया। वहां देर शाम तक चले इलाज के बाद उन्हें छुंट्टी दे दी गई।

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रजनीश कुमार चार दिन से भूख हड़ताल पर बैठे हुए थे, जिसके चलते वीरवार सुबह से ही उनकी हालत खराब थी। शाम को हालत काफी ज्यादा खराब हो गई, जिसकी खबर लगते ही एसडीएम मौके पर पहुंचे। डॉक्टरों ने बताया कि चार दिन से भूखे रहने की वजह से ऐसा हुआ है। काफी मशक्कत के बाद भी जब रजनीश की हड़ताल नहीं टूटी तो एसडीएम ने धरने पर बैठे ह्यूंमन राइट प्रेस क्लब संस्था के पदाधिकारियों के साथ बैठक की। संस्था के प्रधान कमलदीप सिंह की अगुवाई में हुई बैठक के बाद सोमवार तक हड़ताल स्थगित करने का फैसला लिया गया। एसडीएम ने सोमवार तक इस मामले में कार्रवाई का आश्वासन दिया। इसके बाद एसडीएम ने रजनीश कुमार को जूस पिलाकर उनकी हड़ताल खुलवाई। रजनीश कुमार चाय के कारोबारी हैं व ट्रेडिंग का काम करते हैं। ह्यूंमन राइट प्रेस क्लब संस्था में वह जिला कन्वीनर हैं।

गौर हो कि कुछ दिन पहले टैक्सेशन विभाग की इंस्पेक्टर नरिंदर कौर की अगुवाई में एक टीम ने नैना मैटल के मालिक नरेश अग्रवाल को घर जाकर हिरासत में लिया था जबकि नरेश अग्रवाल के पास हाईकोर्ट का एक स्टे आर्डर था। हिरासत में लेने के बाद अग्रवाल को बीएमसी चौक स्थित टैक्सेशन विभाग के कार्यालय में नजरबंद कर दिया गया, जिसके बाद कई व्यापारी व मानवाधिकार संगठन के कार्यकर्ता मौके पर पहुंचे। डिपार्टमेंट ने व्यापारी नरेश अग्रवाल को रिहा तो कर दिया, लेकिन मानवाधिकार संगठन के कार्यकर्ता नरिंदर कौर को निलंबित करने की मांग पर अड़े हुए हैं। चार दिन से कमलदीप सिंह समेत चार लोग भूख हड़ताल पर थे, जिनमें से रजनीश कुमार की सेहत वीरवार शाम को खराब हो गई। उधर, टैक्सेशन अधिकारियों ने पहले ही स्पष्ट कर दिया था कि उन्होंने कार्रवाई कानून के दायरे में रहकर की है, जिसमें कुछ भी गलत नहीं है।


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