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होशियारपुर आइसीटीसी में अब तक आए 1527 एचआइवी पॉजिटिव केस

होशियारपुर जरा सी असावधानी लोगों को एचआइवी का शिकार बना रही है। एचआइवी

By JagranEdited By: Published: Fri, 01 Dec 2017 03:01 AM (IST)Updated: Fri, 01 Dec 2017 03:01 AM (IST)
होशियारपुर आइसीटीसी में अब तक आए 1527 एचआइवी पॉजिटिव केस
होशियारपुर आइसीटीसी में अब तक आए 1527 एचआइवी पॉजिटिव केस

व¨रदर बेदी, होशियारपुर

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जरा सी असावधानी लोगों को एचआइवी का शिकार बना रही है। एचआइवी एक तरह की वायरस है, जो शरीर के इम्यून सिस्टम को कमजोर कर बीमारियों से लड़ने की क्षमता को खत्म कर देता है। जो आगे जाकर एड्स जैसी नामुराद बीमारी का शिकार बना देता है। दैनिक जागरण द्वारा विश्व एड्स दिवस पर होशियारपुर के सिविल अस्पताल स्थित आइसीटीसी (इंटरग्रेटिड काउं¨स¨लग टेस्टिंग सेंटर) सेंटर के कौंसलर सरबजीत ¨सह से इस बारे में बातचीत करके जानकारी हासिल की गई।

आंकड़ों से पता चला कि एड्स के केसों में दिन-प्रतिदिन इजाफा हुआ है। देशभर की बात करें तो जुलाई 2017 तक के आंकड़ों के मुताबिक एचआइवी/एड्स के मरीजों की गिनती 21.17 लाख आंकी गई है। इसी तरह पंजाब में 2015 में अंदाजन 36,794 एड्स मरीज थे। अब तक पंजाब के आईसीटीसी सेंटरों में 1993 से लेकर जुलाई 2017 तक 59,483 एचआइवी के केस आए है। इनमें से 47,991 पीड़ित इन सेंटरों में रजिस्टर किए गए हैं। पंजाब में एआरटी सेंटर (एंटीरिट्रो वायरल थेरेपी सेंटर) में 34,685 मरीजों की दवा ले रहे थे। जिनमें से एआरटी सेंटरों के मुताबिक 6,389 लोग इस बीमारी से मौत का ग्रास बन चुके हैं। आंकड़ों के मुताबिक एआरटी सेंटरों में जुलाई 2017 तक 24,856 मरीजों की दवा चल रही है।

होशियारपुर जिले की बात करें तो होशियारपुर में आइसीटीसी में अब तक 1,48,355 लोगों के टेस्ट किए जा चुके हैं। जिनमें 1,527 लोग एचआइवी पॉजिटिव पाए गए हैं। सिविल अस्पताल में मई 2014 में खुले एआरटी सेंटर में अब तक 1,197 मरीज रजिस्टर किए गए थे। जिनमें से 1,017 मरीजों की दवा चल रही है। अगर साल दर साल के आंकड़ों की बात करे तो होशियारपुर के एआरटी सेंटर में 2014 में 84 एचआइवी पॉजिटिव 84 केस थे, जो 2015 में बढ़कर 624 और दिसंबर 2016 में 916 तक हो गई। नवंबर 2017 तक एचआइवी पाजिटिव मरीजों की संख्या 1017 तक पहुंच गई है।

आइसीटीसी सेंटर के कौंसलर सरबजीत ¨सह ने बताया कि आइसीटीसी 429 सेंटर हैं। जिनमें मरीज की अकेले व परिवार की भी काउंसिलिंग के अलावा टेस्ट, दवाएं आदि सरकार द्वारा मुफ्त में दी जाती हैं। बिना झिझक इन सेंटरों में जाकर टेस्ट करवाए जा सकते हैं। सावधानी बरती जाए, तो इस बीमारी की चपेट में आने से बचा जा सकता है।

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एचआइवी/एड्स

एचआइवी एक तरह का वायरस है जो शरीर के इम्यून सिस्टम पर हमला करके शरीर की बीमारियों से लड़ने की शक्ति प्रभावित करती है। एड्स एक ऐसी स्थिति है जिसमें एचआइवी विषाणु शरीर में दाखिल होने से होती है। ऐसे व्यक्ति को कई प्रकार की बीमारियां घेर लेती हैं, उस स्थिति को एड्स कहते है। यह जरूरी नहीं है कि एचआइवी पाजिटिव व्यक्ति को एड्स हो। एचआइवी ग्रस्त व्यक्ति में 8 से 10 साल तक या इसके बाद ही एड्स के लक्षण दिखाई देने पर एचआइवी संक्रमण शुरू समय (3 से 6 माह में) खून की जांच को दौरान पकड़ में नहीं आता। यह शरीर में खून, वीर्य व मां के दूध में मौजूद होता है। शरीर का यह तरल जब किसी के संपर्क में आता है, तो एचआइवी होने का खतरा बन जाता है।

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किस तरह फैलता है यह रोग

-एचआइवी संक्रमित व्यक्ति से यौन संबंध बनाने से।

-एचआइवी संक्रमित खून व खून के उत्पाद चढ़ाने से।

-एचआइवी संक्रमित सीरिंज के प्रयोग से।

-टैटू बनवाने से।

-एचआइवी संक्रमित माता से उसके होने वाले वाले शिशु को प्रसव से या स्तनपान से।

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लक्षण

-एचआइवी पीडि़त व्यक्ति में आमतौर पर यह लक्षण दिखाई नहीं देते, परंतु कुछ सालों बाद इसका पता चलता है।

-एक महीने में शरीर का भार 10 फीसद से ज्यादा कम हो जाता है।

-एक महीने से लगातार या रुक-रुक कर बुखार होना।

-एक महीने से लगातार डायरिया या दस्त लगना। सांस लेने में परेशानी होना।

-घातक निमोनिया होना।

-एक महीने से ज्यादा खांसी आना

-खाना खाते समय गले में दर्द महसूस होना

-लगातार सिरदर्द रहना। खारिश व ग्रंथियों में सोजिश आना।

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बचाव

-यौन संबंध बनाने में कंडोम का इस्तेमाल करें।

-दुर्घटना या बीमारी होने पर मान्यता प्राप्त बल्ड बैंक से खून लें।

-नशे से दूर रहें।

-किसी की प्रयोग की गई सीरिंज इस्तेमाल न करें।

-जरूरत पड़ने पर उबाली हुई या डिस्पोजेबल सी¨रज इस्तेमाल करें।

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कैसे नहीं होता

-सामान्य संपर्क जैसे छूने, हाथ मिलाने, साथ कार्य व खेलने से।

-संक्रमित व्यक्ति द्वारा खाना खाने वाले बर्तनों से।

-संक्रमित व्यक्ति द्वारा उपयोग किए उपकरणों से।


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