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जल बचाने में सरकारी प्रयास असफल

हजारी लाल, होशियारपुर जल को बचाने में सरकारी प्रयास असफल साबित हो रहे हैं। बरसाती जल

By JagranEdited By: Published: Mon, 15 May 2017 07:52 PM (IST)Updated: Mon, 15 May 2017 07:52 PM (IST)
जल बचाने में सरकारी प्रयास असफल
जल बचाने में सरकारी प्रयास असफल

हजारी लाल, होशियारपुर

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जल को बचाने में सरकारी प्रयास असफल साबित हो रहे हैं। बरसाती जल की संभाल न होने से जल भूमिगत होता जा रहा है। नौबत यह बनती जा रही है अगर जल्द ही न चेते तो जल की स्थिति काफी विकराल रूप धारण कर लेगी। वैसे तो जल बचाने के लिए घर बनाते समय सात मरले से ऊपर बनने वाले मकानों में वाटर हार्वे¨स्टग सिस्टम लगाना अनिवार्य है, लेकिन यह सब अभी कागजी कार्रवाई साबित हो रहा है। नक्शा पास करते समय घरों में रेन वाटर हार्वे¨स्टग सिस्टम लगाने की बात दर्ज होती है। बावजूद इसके लोग घरों में वाटर हार्वे¨स्टग सिस्टम नहीं लगाते हैं और न ही नगर निगम ऐसे मकान मालिकों पर शिकंजा कसता है। लिहाजा, बरसाती जल का सदुपयोग नहीं होता है और बर्बाद हो जाता है।

नियमों का पालन करना होगा: शिव सूद

नगर निगम के मेयर शिव सूद ने कहा कि नियमों के अनुरूप लोगों को काम करना होगा। अगर नक्शा में रेन वाटर हास्र्टे¨वग सिस्टम होगा तो घरों में भी बनाना होगा। ऐसा न करने वालों पर कार्रवाई होगी।

शहर की जैन कालोनी बनी आदर्श

शहर की जैन कालोनी जल बचाने में आदर्श बनकर उभरी है। इस कालोनी में 80 घर में है। हरेक घर में रेन वाटर हार्वे¨स्टग सिस्टम लगा हुआ है। इससे बरसाती पानी बर्बाद नहीं होता है, बल्कि रिचार्ज होकर धरती में समा जाता है। नगर निगम ने जल बचाने में इसे माडल के तौर पर पेश करने की बात कही थी, लेकिन जमीनी हकीकत है कि नगर निगम का जल बचाने की तरफ ध्यान ही नहीं है।

जल बचाने में संस्था भूमि का सराहनीय योगदान

साल 2006 में अस्तित्व में आई संस्था भूमि ने बरसाती जल बचाने में अच्छा काम कर रही है। अभी तक संस्था के प्रयास से 27 जगहों पर रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाया जा रहा है। संस्था के सचिव मनोज शर्मा ने बताया कि स्कूलों, आवास और कुछ कालोनियों में रेन वाटर हास्र्टे¨वग सिस्टम लगा है। जैन कालोनी में भी भूमि की प्रेरणा से इस सिस्टम को अपनाया है। संस्था इस प्रयास में लगातार कदम आगे बढ़ा रही है।

डार्क जोन में पहुंचे जिले के चार ब्लाक

जल का अत्यधिक दोहन और बरसाती पानी का संभाल न होने से धरती डार्क जोन में पहुंच रही है। जिले का ब्लाक मुकेरियां को छोड़कर अन्य ब्लाकों की स्थिति ठीक नहीं है। गढ़शंकर, दसूहा, हाजीपुर व टांडा डार्क जोन में चले गए हैं जबकि तलवाड़ा ग्रेन जोन में पहुंच चुका है। 8लाक भूंगा, होशियारपुर -1 और माहिलपुर ग्रे जोन की ओर बढ़ रहा है। कृषि विभाग विभाग के मुताबिक फसली चक्र का न टूट पाना और अत्यधिक दोहन से स्थिति खराब हो रही है। कुआं, तालाब इत्यादि का न होना भी समस्या का कारण बन रहा है।

किस ब्लाक में क्या है जल स्तर की स्थिति

ब्लाक जलस्तर की स्थिति

होशियारपुर -2 14- 58 मीटर

गढ़शंकर 9.5- 33 मीटर

माहिलपुर 12- 34 मीटर

दसूहा 7-21 मीटर

मुकेरियां 2.5-5 मीटर

हाजीपुर 8-40 मीटर

तलवाड़ा 2.5-25 मीटर

भूंगा 3-22 मीटर

होशियारपुर-1 21-24 मीटर

टांडा 5-19 मीटर

(नोट:- धरती का सही जल स्तर 1.5 मीटर से लेकर अधिकतम 6 मीटर तक होता है)

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किस जोन में हैं कौन से ब्लाक

ब्लाक जलस्तर की स्थिति

होशियारपुर -2 सुरक्षित

गढ़शंकर डार्क जोन

माहिलपुर सुरक्षित

दसूहा डार्क जोन

मुकेरियां सुरक्षित

हाजीपुर डार्क जोन

तलवाड़ा ग्रे जोन

भूंगा सुरक्षित

होशियारपुर-1 सुरक्षित

टांडा डार्क जोन

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किन -किन ब्लाक में जल दोहन की क्या है स्थिति

बलाक स्थिति

भूंगा:- 69 प्रतिशत ( सुरक्षित)

दसूहा:- 114 प्रतिशत(ओवर एक्सपलोएटेड)

गढ़शंकर:- 121 प्रतिशत (ओवर एक्सपलोएटेड)

हाजीपुर:- 105 प्रतिशत (ओवर एक्सपलोएटेड)

होशियारपुर-1:- 74 प्रतिशत (सुरक्षित)

होशियारपुर -2:-66 प्रतिशत( सुरक्षित)

माहिलपुर:- 79 प्रतिशत (सुरक्षित)

मुकेरियां:- 110 प्रतिशत( सुरक्षित- क्योंकि यहां का वाटर लेवल बहुत ऊपर है)

तलवाड़ा :- 84 प्रतिशत( सेमी क्रेटिकल)

टांडा:- 175 प्रतिशत (ओवर एक्सपलोएटेड)

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सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट चल रहा

पिपलांवालां में बनाया जा रहा सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट चल रहा है। 25 एमएलडी के इस प्लांट में पानी साफ होता है। सारे शहर का सीवरेज इसी प्लांट में गिरता है। यहां से साफ होने वाले खेती के काम आ रहा है।


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