नर्सो ने करवा दी डिलीवरी, अत्यधिक रक्त बहने से महिला की मौत
अनगहली : इव¨नग की ड्यूटी करने के लिए कोई डाक्टर ही नहीं आया, दर्द से कराहती रही रज
अनगहली : इव¨नग की ड्यूटी करने के लिए कोई डाक्टर ही नहीं आया, दर्द से कराहती रही रजनी, नर्सों ही डॉक्टर बन गई
अव्यवस्था : सीएमओ दफ्तर से डॉ. रणवीर कौर की ड्यूटी लगी थी और सिविल अस्पताल के रिकॉर्ड में डॉ. अमरजीत कौर की ड्यूटी थी
असुरक्षा : सिविल में तीन महीने से गाइनकॉलजिस्ट का पद खाली, अधिकतर डिलीवरी नर्से ही करवाती हैं
आरोप : बेटी को कराहते देख पिता बोलते रहे कि हम बाहर से डिलीवरी करवा लेंगे, हमें जाने दो। नर्सो ने एक नहीं सुनीं
हजारी लाल, होशियारपुर
सरकारी अस्पताल की हालत एक करेला, दूसरा नीम चढ़ा वाली है। क्योंकि यहां पर गाइनकॉलजिस्ट डाक्टर तीन महीने से नहीं। एमबीबीस डॉक्टरों के सहारे अस्पताल में डिलीवरी का काम चलाया जा रहा है। और तो और ये डॉक्टर भी अपनी मर्जी से आते हैं। अकसर नर्से ही डिलीवरी करवा देती हैं। उसी का नतीजा है कि इस लापरवाही ने एक महिला की जान ले ली। कारण, घंटों तक महिला बैड पर कराहती रही। डॉक्टर को बार-बार बुलाने पर भी कोई नहीं आया तो नर्से खुद डॉक्टर बन गई। डिलीवरी करवाते समय रक्त अधिक बह गया तो शाम तो निजी अस्पताल में रेफर कर दिया। अंत महिला ने दम तोड़ दिया।
13 ¨सतबर को सुबह साढ़े पांच बजे भगत ¨सह की रजनी (22) को सरकारी अस्पताल होशियारपुर में दाखिल करवाया गया था। इमरजेंसी के बाद उसे गायनी वार्ड में शिफ्ट कर दिया। रात की ड्यूटी डा. पुनीत कर रहे थे। उन्होंने चेकअप किया। इसके बाद सुबह की डॉ. श¨मदर आ गए। इव¨नग की ड्यूटी डॉ. रणवीर कौर की थी। वह ड्यूटी पर नहीं आईं। उधर, रजनी की लेबर पेन बढ़ती गई। जैसे-तैसे बिना डाक्टर के नर्स कविता और राज¨वदर ने शाम साढ़े पांच बजे दर्द से तड़प रही रजनी की डिलीवरी करवा दी। मगर, रजनी की हालत ठीक नहीं थी जबकि परिवार को स्टाफ नर्स तसल्ली देती रहीं। कड़वी सच्चाई यह भी है कि 13 सितंबर को रजनी के अलावा 17 और महिलाएं एडमिट थीं। इनमें से भी अधिकांश की डिलीवरी नर्सों ने ही की। यूं कहें की उनसे भी खिलवाड़ होता रहा।
आनन फानन में कर दिया रेफर
रजनी की हालत अत्यधिक खराब होने का खुलासा उस समय हुआ जब नाइट ड्यूटी करने के लिए डॉ. संगीता वहां पर पहुंची। उन्होंने देखा की कि रजनी की पल्स व बीपी गायब था। उन्होंने रजनी को आनन-फानन में रेफर कर दिया। घबराए परिजन उसे शहर के एक निजी अस्पताल में ले गए। वहां से जालंधर भेज दिया गया और उसकी मौत हो गई।
नर्से बोलीं, रोज हम ही करवाते हैं डिलीवरी
शुक्रवार को अस्पताल का दौरा करने पर वहां पर मौजूद नर्सें बोली, यहां तो हम ही डिलीवरी करवाते हैं। यह तो रोज का काम है। डॉक्टर तो नाम के होते हैं। यहां पर कोई डॉक्टर नहीं टिकता है, क्योंकि काम ज्यादा है। औसतन यहां पर हर रोज 18 से 20 से डिलीवरी होती है। उनमें से रोज एक-दो को रेफर करना पड़ता है।
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ड्यूटी उसकी लगाई जो दो माह पहले ट्रेनिंग पर चली गई
हैरान कर देने वाला पहलू यह था कि 13 सितंबर को सिविल सर्जन आफिस से इव¨नग ड्यूटी डॉ. रणवीर कौर की लगाई गई थी जबकि सिविल अस्पताल के रिकॉर्ड में डॉ. अमरजीत कौर की ड्यूटी दिखाई जा रही है। वह तो दो माह से ट्रे¨नग पर गई हैं। अब सवाल उठता है कि डॉक्टर के मामले में ऐसी लापरवाही किससे और क्यों हुई।
एक गाइनकॉलजिस्ट एसएमओ बनीं, दूसरी का इस्तीफा
सरकारी अस्पताल में तीन माह से गाइनकॉलजिस्ट नहीं है। गाइनकॉलजिस्ट डॉ. र¨जदर राज एसएमओ बनने के बाद जिला फैमिली प्ला¨नग अफसर की जिम्मेदारी संभाल रही हैं। कुछ समय पहले डॉ. नेहा ने ज्वाइन किया था। पर वह इस्तीफा देकर चली गई। उसके बाद कोई नया नहीं आया।
अदालत का दरवाजा खटखटाऊंगा
रजनी के पिता अमरजीत ने कहा कि रजनी की हालत बाद दोपहर से ही खराब होनी शुरू हो गई थी। वहां पर कोई डॉक्टर भी नहीं था। बेटी की हालत देख वह उसे रेफर करने के लिए चिल्लाते रहे, लेकिन नर्सों ने उसकी एक न सुनी। बोले, सेहत विभाग की लापरवाही से उसके बेटी रजनी की जान गई है। जब गायनी वार्ड में कोई डाक्टर नहीं था तो उसके बेटी की डिलीवरी क्यों करवाई गई। अब वह इंसाफ पाने के लिए अदालत का दरवाजा खटखटाएगा।
एक दूसरे पर आरोप लगा झाड़ा पल्ला
-सीएमओ कार्यालय ने डॉ. रणवीर कौर की ड्यूटी लगाई थी। आगे की व्यवस्था देखना एसएमओ का काम है। डॉ. रणवीर कौर क्यों नहीं इसके बारे में अभी उन्हें कुछ नहीं पता है। मैं निष्पक्ष जांच करवाऊंगी। उसकी लापरवाही पाई गई, उसके खिलाफ कारर्वाई होगी।
- डॉ. रेणु सूद, सिविल सर्जन होशियारपुर।
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-सीएमओ दफ्तर को उसी दिन ही बता दिया गया था की कि इव¨नग ड्यूटी पर कोई डॉक्टर नहीं आया है। रजिस्टर में डॉ. अमरजीत कौर की ड्यूटी गलती से लग गई थी। वह इसकी जांच करेंगे। इस लापरवाही के खिलाफ कारर्वाई होगी।
-डा. ओपी गोजरा, एसएमओ, सरकारी अस्पताल होशियारपुर।
पंजाबभर में हालात बुरे
पंजाबभर के सिविल अस्पताल में गाइनकॉलजिस्ट की 16 पोस्ट खाली है। पंजाब सरकार ने भी जनवरी से लेकर अभी तक इन पोस्टों को नहीं भरा। कई जिलों में होशियारपुर की तरह गायनी का कोई स्पेशल डॉक्टर नहीं। सरकार भी एमबीबीएस डॉक्टर्स के सहारे गायनी वार्ड चला रही है। जो नया डॉक्टर ज्वाइन भी करता है, वह काम के बोझ के कारण इस्तीफा देकर चला जाता है।