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बाल विवाह का सच पता लगने में लगे चार माह

जागरण संवाददाता, होशियारपुर : होशियारपुर के एक आरटीआइ एक्टिविस्ट ने जिस बाल विवाह के बारे में प्रशास

By Edited By: Published: Wed, 24 Aug 2016 01:02 AM (IST)Updated: Wed, 24 Aug 2016 01:02 AM (IST)
बाल विवाह का सच पता लगने में लगे चार माह

जागरण संवाददाता, होशियारपुर : होशियारपुर के एक आरटीआइ एक्टिविस्ट ने जिस बाल विवाह के बारे में प्रशासन सहित पूरे स्वास्थ्य विभाग को बता दिया था, उसे जानने में प्रशासन को चार माह लग गए। अब इसे प्रशासन की सुस्ती कहें या लापरवाही लेकिन सच यही है।

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सिविल सर्जन कार्यालय होशियारपुर ने मान लिया है कि सिविल अस्पताल होशियारपुर में एक नाबालिगा ने एक बच्चे को जन्म दिया जिसका बाल विवाह हुआ था। विभाग की ओर से इस मामले पर अपनी सहमति प्रकट होने के बाद होशियारपुर जिला प्रशासन में हड़कंप मच गया है। डिप्टी कमिश्नर को दी गई रिपोर्ट में जिला परिवार भलाई अधिकारी व जांच अधिकारी डा. रा¨जदर राज ने कहा कि मामले की जांच में साबित हो गया है कि सिविल अस्पताल में एक नाबालिगा की डिलिवरी हुई है जो कि विवाहित थी।

बतातें चलें कि आरटीआई अवेयरनेस फोरम पंजाब के संस्थापक व पीसी एंड पीएनडीटी एक्ट सलाहकार कमेटी के सदस्य राजीव वशिष्ट ने होशियारपुर में हुए बाल विवाह संबंधी मामले का पटाक्षेप किया था। वशिष्ट ने बताया था कि पिछले वर्ष होशियारपुर में एक नाबालिगा बच्ची की ओर से एक बच्चे को जन्म दिया गया था। उन्होंने बताया था कि सिविल अस्पताल होशियारपुर में नाबालिगा के परिजनों ने जो प्रमाण पत्र के तौर पर लड़की का जो आधार कार्ड लगाया था उसके हिसाब से उक्त लड़की की जन्मतिथि 20 सितंबर 1999 थी। यानि की उक्त लड़की की आयु डिलिवरी के समय 15 साल बनती थी। 24 जुलाई को डिलिवरी के समय लड़की की उम्र 15 साल दस महीने चार दिन की थी जो कि प्रोव्हिबिशन आफ चाइल्ड मैरिज एक्ट 2006 की उल्लंघना है और गैर कानूनी काम है।

लड़की के परिजनों पर हो कार्रवाई: वशिष्ट

राजीव वशिष्ट ने बताया कि उन्होंने लगातार इस मसले पर काम किया और तथ्यों की पड़ताल व दस्तावेजी सबूत जुटाए। जिसमें साबित हुआ कि उक्त लड़की की शादी उसके परिवार की ओर से गैर कानूनी ढंग से करवाई गई थी। उन्होंने दावा किया है कि पुलिस और प्रशासन इसकी ईमानदारी व गहराई से जांच करे तो और भी बाल विवाह के मामले सामने आ सकते है।

प्रशासनिक अधिकारी जान कर भी बने रहे अंजान

इस मामले संबंधी 8 मई 2016 को दैनिक जागरण में प्रकाशित समाचार का हवाला देते हुए जिला बार सुरक्षा अधिकारी ने एसडीएम होशियारपुर को पत्र लिखा था कि इस संबंधी उन्हें प्रमुख सचिव सामाजिक सुरक्षा महिला व बाल विकास पंजाब की ओर से निर्देश है कि बाल विवाह संबंधी कोई मामला आता है तो तुरंत संबंधित एसडीएम कम प्रोहिबेशन अधिकारी को सूचित किया जाए। इस लिए आप से निवेदन है कि इस मामले में कार्रवाई की जाए। तब से लेकर अब तक होशियारपुर में चार एसडीएम बदल चुके है लेकिन एसडीएम कार्यालय की ओर से अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है और न ही एसएसपी कार्यालय की ओर से।

ऐसा नहीं कि इसके बारे में प्रशासन अंजान है बल्कि राजीव वशिष्ट की ओर से प्रमाण के साथ सारी जानकारी दे दी गई।

निर्देश दिए गए

इस खुलासे के 25 दिनों बाद ही सिविल सर्जन होशियारपुर की ओर से समूह सीनियर मेडिकल अधिकारी सिविल अस्पताल, पीएचसी, सीएचसी को निर्देश दिए गए कि स्वास्थ्य केंद्रों में डिलिवरी के लिए आने वाली महिलाओं की उम्र कई बार 18 साल से कम होती है, इस पर विशेष ध्यान देने की जरुरत है। जब कोई केस डिलिवरी के लिए आपके पास आता है तो उसकी उम्र जरुर वेरीफाई कर सिविल सर्जन कार्यालय दो दी जाए ताकि बाल विवाह पर लगाम कसने के लिए कार्रवाई की जा सके।


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