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अध्यापक आठ हजार, स्टेट अवार्ड को आया एक ही नाम

लोकेश चौबे, होशियारपुर जिले के सरकारी प्राइमरी व अपर प्राइमरी स्कूलों में अध्यापकों की संख्या बेशक

By Edited By: Published: Tue, 01 Sep 2015 09:03 PM (IST)Updated: Tue, 01 Sep 2015 09:03 PM (IST)
अध्यापक आठ हजार, स्टेट अवार्ड को आया एक ही नाम

लोकेश चौबे, होशियारपुर

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जिले के सरकारी प्राइमरी व अपर प्राइमरी स्कूलों में अध्यापकों की संख्या बेशक आठ हजार के लगभग है, लेकिन इनमें से किसी भी अध्यापक को अपनी योग्यता पर शायद ज्यादा भरोसा नहीं है। यही कारण है कि पांच सितंबर शिक्षक दिवस के उपलक्ष्य में दिए जाने वाले स्टेट अवार्ड के लिए जिले के मात्र एक अध्यापक ने ही अप्लाई किया है। वह अध्यापक है सरकारी सीनियर सेकेंडरी स्कूल चौहाल की प्रिंसिपल इंदिरा रानी। इंदिरा रानी को छोड़कर सेकेंडरी तो क्या प्राइमरी विभाग के भी किसी अध्यापक ने इस अवार्ड के लिए अप्लाई नहीं किया है। इसका मतलब तो यह है कि जिले के अध्यापक नहीं मानते की वे अवार्ड के लिए योग्य है। विभाग की ओर से सभी अध्यापकों से स्टेट अवार्ड संबंधी आवेदन मांगे जाते है और जो अध्यापक आवेदन करते है उनकी फाइल डीईओ, प्रदेश को भेजता है। स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा बनाई गई सेलेक्शन टीम आए आवेदकों को स्कूलों में चेक करती है और निरीक्षण करती है कि आवेदक ने जो फाइल में भेजा है वह कितना सही है। इस दौरान विभाग की सेलेक्शन टीम आवेदक का इंटरव्यू लेती है और उसके बाद अवार्डी का चयन किया जाता है।

चयन प्रक्रिया में इन बातों का रखा जाता है ख्याल

चयन की प्रक्रिया में अध्यापक की एसीआर, उसका विभाग में काम करते हुए शिक्षा व खेल को लेकर उपलब्धियां, किसी प्रकार का कोई जिला या स्टेट अवार्ड, उसके पढ़ाए जाने वाले विषय का नतीजा, स्कूल का प्रिंसिपल या हेडमास्टर है तो स्कूल का प्रबंधन व स्कूल की उपलब्धियों के अलावा अन्य कई विषय होते हैं, जिसके आधार पर इस अवार्ड के लिए चयनकर्ता पूरे प्रदेश के आवेदकों को शार्ट लिस्ट कर चुनाव करते है।

15 अगस्त व 26 जनवरी को सम्मान लेने तक सीमित है अध्यापक

यह नहीं की अध्यापकों को अवार्ड लेने में दिलचस्पी नहीं है, लेकिन 15 अगस्त व 26 जनवरी की तरह स्टेट अवार्ड लेना इतना आसान नहीं है। यह बात किसी से छिपी नहीं है कि स्वतंत्रता दिवस व गणतंत्र दिवस पर सम्मान पाने के लिए अध्यापक किस तरह राजनीतिक दावपेंच लगाते है और कई बार योग्य दावेदार इस सम्मान से वंचित रह जाते हैं।

विभाग ने केस मांगे थे, लेकिन एक ने ही किया अप्लाई: डीईओ

जिला शिक्षा अधिकारी(से) रामपाल सिंह ने कहा कि सेकेंडरी विंग में केवल एक अध्यापिका ने ही आवेदन किया था और उनका नाम स्टेट को भेज दिया गया है।

जिला शिक्षा अधिकारी(ए) मोहन सिंह लेहल ने कहा कि स्टेट अवार्ड के लिए उन्होंने जिले के सभी स्कूलों को पत्र निकाल आवेदन मांगे थे। बार-बार पत्र निकालने पर भी किसी अध्यापक ने अप्लाई नहीं किया। इस कारण प्राइमरी विंग से किसी का नाम स्टेट अवार्ड के लिए नहीं भेजा गया है।


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