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अपने हाथों से लिखी तकदीर

लोकेश चौबे, होशियारपुर अपनी कमजोरी को लेकर घबराया नहीं बल्कि मन के दृढ़ संकल्प से अपने मिशन को पूर

By Edited By: Published: Sun, 05 Jul 2015 01:02 AM (IST)Updated: Sun, 05 Jul 2015 01:02 AM (IST)
अपने हाथों से लिखी तकदीर

लोकेश चौबे, होशियारपुर

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अपनी कमजोरी को लेकर घबराया नहीं बल्कि मन के दृढ़ संकल्प से अपने मिशन को पूरा करने के लिए जी जान लगा दी। निश्चय इतना पक्का था कि शारीरिक अक्षमता तो पीछे ही छूट गई। बस मेरे पास मजबूत इरादा था और लक्ष्य सामने और आखिरकार मैंने अपने लक्ष्य को पा लिया।

यह कहना है सिविल सर्विसेज परीक्षा पास करने वाले तहसील गढ़शंकर के गांव मैरा के योग राज का। योग राज 75 प्रतिशत तक देख नहीं सकते लेकिन दृढ़ निश्चय के चलते उन्होंने सिविल सर्विसेज जैसी कठिन परीक्षा को भी पास कर दिखाया। योगराज कहते हैं कि सच की राह से पीछे न हटो और मेहनत से न घबराओ तो सफलता कदम चूमती है।

हेड मास्टर हैं योगराज

योगराज सरकारी हाई स्कूल बीरमपुर में हेडमास्टर के पद पर तैनात है। दैनिक जागरण के साथ बातचीत में उन्होंने बताया कि उन्होंने मैट्रिक सरकारी स्कूल पंडोरी बीत से की और उसके बाद 12वीं, ग्रेजुएशन, एमए ज्योग्राफी, एमए पालिटिकल साइंस प्राइवेट की। इसके बाद बीएड व यूजीसी नेट क्लीयर किया। वर्ष 2001 में स्कूल शिक्षा विभाग में बतौर एसएस मास्टर ज्वाइन किया और वर्ष 2012 में हेडमास्टर के तौर पर पदोन्नत हो सरकारी हाई स्कूल बीरमपुर ज्वाइन किया।

पढ़ने के लिए पैसे नहीं थे तो की दिहाड़ी

योगराज ने बताया कि उसके पिता व माता अनपढ़ थे। पिता सरवन सिंह विदेश में मजदूरी करते थे, उनका देहांत हो चुका है। वे तीन भाई हैं। बड़ा भाई गांव का सरपंच है, मझला भाई भी दिहाड़ीदार है। लेकिन उसे पढ़ने का बहुत शौक था जिसके कारण दसवीं के बाद उसने अपनी पढ़ाई प्राइवेट तौर पर जारी रखी। पढ़ने के लिए पैसे नहीं थे तो राज मिस्त्री, मजदूर का काम किया। दाना मंडी में भी लेबर का काम किया जो पैसे मिलते उसे पढ़ाई में लगाता गया।

सिविल सर्विस की तैयारी के लिए की कड़ी मेहनत

योगराज ने बताया कि वह तीन बार सिविल सर्विस प्रारंभिक परीक्षा में रह गया। यह उसका चौथा अटेंप्ट था। उन्होंने बताया कि सेल्फ स्टडी की। इंटरव्यू के लिए उसने चंडीगढ़ के एक संस्थान में कोचिंग ली। तैयारी के लिए वह जाब के बाद रोजाना आठ घंटे पढ़ाई करते थे। योगराज ने बताया कि सिविल सर्विसेज परीक्षा के लिए उसने पंजाब लिटरेचर विषय को चुना और परीक्षा का माध्यम भी पंजाबी ही था। योगराज की पत्नी रोजी भी गांव के सरकारी एलीमेंट्री स्कूल में अध्यापिका हैं। उनके दो बच्चे हैं।

गांव में बन चुके हैं और भी अफसर

गढ़शंकर तहसील का गांव मैरा काफी पिछड़ा हुआ गांव है। बावजूद इसके इस गांव से पिछले वर्ष पीसीएस ज्यूडिशरी में राम पाल ने क्लीयर किया था। वे नाभा में तैनात हैं। इसके अलावा इसी गांव के हरि लाल फतेहगढ़ साहिब में तहसीलदार हैं।


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