समय के साथ बदले अध्यापन विधि
लोकेश चौबे, होशियारपुर: शिक्षण कार्यो के लिए टीचर्स का चयन बहुत सावधानीपूर्वक किया जाना चाहिए। टी
लोकेश चौबे, होशियारपुर:
शिक्षण कार्यो के लिए टीचर्स का चयन बहुत सावधानीपूर्वक किया जाना चाहिए। टीचर्स में बच्चों की साइकोलाजी समझना, क्वालिटी नालेज, खेल-खेल में सिखाने जैसे गुण होना चाहिए।
बदलते परिवेश में टीचर्स की भूमिका में भी काफी बदलाव आए है। स्टूडेट्स के साथ-साथ टीचर्स को भी एक्टिव रहना जरूरी है। शहर के अधिकांश स्कूलों का मानना है कि टीचर्स बच्चों के लेवल तक जाकर पढ़ाने वाला होना चाहिए। 45 मिनट की क्लास में किताबी नालेज से बच्चे जल्दी बोर हो जाते हैं। इसलिए अध्यापक इस तरह पढ़ाएं कि उसमें बच्चे की रुचि बने।
---
फोटो- 03 में है।
वुडलैंड ओवरसीज स्कूल की प्रिंसिपल डा. सिमरजीत कौर का कहना है कि किसी भी नई टीचर को नियुक्त करते समय सबसे पहले टीचर में विषय का नालेज देखा जाता है। इसके साथ यह क्वालिटी भी देखी जाती है कि बच्चों में अध्यापक किस तरह से मारल वैल्यूज डेवलप कर सकते है क्योंकि एक टीचर केवल पढ़ाने तक सीमित नहीं रह सकता है। एक टीचर में धैर्य का होना तो बहुत जरूरी है।
फोटो- 04 में है।
अध्यापक ऐसे कर सकते हैं मदद
उप जिला शिक्षा अधिकारी (ए) शैलेंद्र ठाकुर कहते हैं कि कमजोर विद्यार्थियों का मनोबल बढ़ाने लिए उनकी कमी न निकालें बल्कि उनको प्रोत्साहित करें। क्लास में अलग-अलग सोच के विद्यार्थी होते हैं सभी को बारी-बारी से जिम्मेदारी देनी चाहिए, इससे उनमें समानता की भावना पैदा होगी। शरारती बच्चों को प्राइज देने की बात कहकर भी उसका ध्यान पढ़ाई में लगाया जा सकता है।