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सरकारी अस्पताल में मरीजों को नहीं मिलती दवाएं

वरिंदर बेदी, होशियारपुर स्वास्थ्य विभाग की तरफ से मरीजों को बेहतर सुविधाएं देने व सस्ती दवाएं मुहै

By Edited By: Published: Tue, 31 Mar 2015 05:57 PM (IST)Updated: Tue, 31 Mar 2015 05:57 PM (IST)
सरकारी अस्पताल में मरीजों को नहीं मिलती दवाएं

वरिंदर बेदी, होशियारपुर

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स्वास्थ्य विभाग की तरफ से मरीजों को बेहतर सुविधाएं देने व सस्ती दवाएं मुहैया करवाए जाने के बड़े-बड़े दावे किए जाते है। मगर जमीनी हकीकत कुछ और ही है। एक ओर गरीब मरीजों के लिए सरकारी अस्पताल में डिस्पेंसरी बनाई गई हैं। वहीं वाजिब रेटों पर दवाएं मुहैया करवाने के लिए सिविल अस्पताल परिसर में जन औषधि केंद्र व स्वास्थ्य विभाग की डिस्पेंसरी हैं। फिर भी सरकारी अस्पताल में इलाज करवाने आए गरीब मरीजों को डॉक्टरों द्वारा लिखी गई दवाएं इन दोनों जगहों पर बामुश्किल ही मुहैया हो पाती है।

दैनिक जागरण ने अस्पताल का मुआयना कर जमीनी हकीकत देखी तो पता चला कि मरीजों को डॉक्टरों द्वारा लिखी गई दवाएं तकरीबन बाहर स्थित मेडिकल स्टोर पर ही मंहगे दामों पर खरीदने को मजबूर होना पड़ रहा था, क्योंकि ज्यादातर दवाएं न तो अस्पताल की डिस्पेंसरी में उपलब्ध होती है और न ही जन औषधि केंद्र में। इससे दाल में कुछ काला नजर आता है।

बता दें कि सिविल अस्पताल में स्थित डिस्पेंसरी के पास लगे बोर्ड में 159 किस्म की दवाएं व 26 किस्म की पट्टियां व सिरिंजों के अलावा अन्य सामान का बोर्ड लगा है, जिसमें सभी दवाएं उपलब्ध नहीं हो पातीं।

इसी तरह जन औषधि केंद्र पर भी विभाग द्वारा 166 किस्म की दवाएं की लिस्ट है, जिनमें से मुश्किल से आधी दवाएं ही उपलब्ध होती है।

सरकारी अस्पताल में अपनी पुत्रवधू परमिंदर कौर का चेकअप करवाने आई भीखोवाल निवासी बलबीर कौर ने बताया परमिंदर कौर थायरड व पेट में इंफेक्शन है। डॉक्टर द्वारा पांच किस्म की दवाएं लिख कर दी गई हैं। मगर उसे दवाइयां अंदर से नहीं मिली।

आंखों का चेकअप करवाने आए नंगल शहीदां के जसवीर सिंह को भी दवाएं बाहर से खरीदनी पड़ी।

साधु से आए सुरिंदर सिंह, नसराला से आई रंजीत कौर, काहरी निवासी बलजिंदर कौर जैसे कई मरीज रोजाना सिविल अस्पताल में इलाज के लिए आते है। इन्हे दवाएं बाहर मेडिकल स्टोर से ही खरीदनी पड़ती है।

डिस्पेंसरी पर सभी दवाएं उपलब्ध है: डिस्पेंसरी इंचार्ज

इस संबंध में डिस्पेंसरी इंचार्ज से बात की गई तो तो उन्होंने कहा कि डिस्पेंसरी में तकरीबन सभी मरीजों को दवाएं मिल जाती है। डिस्पले बोर्ड पर लिखी दवाओं की उपलब्धता के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि बोर्ड पर लिखी सभी दवाएं तो उपलब्ध नहीं हैं। मगर उन दवाओं का साल्ट मौजूद रहता है।

सिविल सर्जन के ध्यान में लाया गया है मामला : एसएमओ

एसएमओ विनोद सरीन ने कहा कि सिविल अस्पताल की डिस्पेंसरी में सरकार द्वारा जारी की गई सभी दवाएं मिल रही है। जन औषधि केंद्र जिलाधीश व सिविल सर्जन के अधीन आता है। उनके ध्यान में यह मामला लाया जा चुका है। जहां तक अस्पताल में तैनात डॉक्टरों द्वारा लिखी जाने वाली दवाओं की बात है। उनमें से तकरीबन दवाएं जन औषधि केंद्र व डिस्पेंसरी में मिल जाती हैं। कुछ दवाएं ही बाहर के स्टोर से खरीदनी पड़ती हैं।


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