स्मार्ट बन रहे सरकारी स्कूल
लोकेश चौबे, होशियारपुर होशियारपुर जिले के सरकारी स्कूल स्मार्ट बन रहे है। अब इन स्कूलों में ब्लैक
लोकेश चौबे, होशियारपुर
होशियारपुर जिले के सरकारी स्कूल स्मार्ट बन रहे है। अब इन स्कूलों में ब्लैक बोर्ड व चाक का इस्तेमाल नहीं बल्कि डिजिटल तरीके से पढ़ाई हो रही है। इन स्कूलों के बच्चे स्पेशल इफेक्ट्स के माध्यम से चीजें समझते व जानते है और निजी स्कूलों के बराबर सरकारी स्कूलों के बच्चे उच्च तकनीक से पढ़ाई कर रहे है।
खास बात यह है कि इस पढ़ाई के लिए उन्हें अतिरिक्त फीस नहीं देनी पड़ती। होशियारपुर की पूर्व जिलाधीश तनु कश्यप की ओर से वर्ष 2014 में पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर जिले के छह सरकारी स्कूलों में स्मार्ट कक्षाएं का प्रोजेक्ट शुरु किया गया था लेकिन प्रोजेक्ट सफल हुआ तो जिला प्रशासन ने इसे बढ़ाकर 17 सरकारी स्कूलों तक कर दिया है। वर्ष 2014 में शुरु इस प्रोजेक्ट के अंतर्गत सरकारी स्कूल के बच्चे भी निजी स्कूलों की तर्ज पर स्मार्ट क्लासिज से रूबरू हो रहे है। हालांकि अभी जिले में 17 स्कूलों को ही इन प्रोजेक्ट के अंतर्गत लिया गया है लेकिन जिला प्रशासन द्वारा उठाया गया कदम बेहद सराहनीय है। संभावना है कि आने वाले समय में और ज्यादा स्कूल भी स्मार्ट क्लासरूम से जुड़ेंगे। इस प्रोजेक्ट की सबसे खास बात यह है कि इसे स्कूल शिक्षा विभाग या सर्व शिक्षा अभियान के माध्यम से शुरू नहीं किया गया बल्कि यह जिला प्रशासन के प्रयास से शुरु किया जा रहा है। कुछ बड़े निजी स्कूलों में जहां इस प्रोजेक्ट के माध्यम से विद्यार्थियों से मोटी फीस वसूली जा रही है वहीं सरकारी स्कूलों के विद्यार्थियों को इसके लिए अतिरिक्त कुछ नहीं देना पड़ेगा। जिला प्रशासन की ओर से जिले के सरकारी स्कूलों में पढ़ाई के स्तर को और बढि़या बनाने के लिए स्मार्ट क्लास रुम स्थापित शुरु किए गए हैं।
क्यों खास स्मार्ट क्लासरूम
स्मार्ट क्लासरूम में ब्लैक बोर्ड व चाक का इस्तेमाल बिल्कुल नहीं होता। चूंकि यह पढ़ाई डिजिटल तरीके से होती है तो इसमें अध्यापक स्क्रीन के माध्यम से बच्चों को पढ़ाता है। पढ़ाई के समय अमूमन तौर पर कई प्रयोग ब्लैक बोर्ड पर दिखा नहीं सकते लेकिन स्मार्ट क्लास में ऐसा संभव है। बच्चों को किताब से बाहर भी पढ़ाई का यह एक अनूठा प्रयास है। स्मार्ट कक्षाएं के माध्यम से विद्यार्थी के लिए पढ़ाई रोचक तो होती ही है साथ में उसे किसी विषय को समझने में बहुत ही सुविधा मिलती है। बच्चों और अध्यापक दोनों का ही समय बचता है। इसके लिए अध्यापकों को भी खास ट्रेनिंग दी गई है।
कहां-कहां चल रहे
जिले सरकारी सीसे स्कूल गढ़शंकर, सरकारी सीसे स्कूल माहिललपुर (लड़के), सरकारी सीसे स्कूल (लड़कियां) होशियारपुर, सरकारी सीसे स्कूल पिपलांवाला, सरकारी सीसे स्कूल ढड्डे फतेह सिंह, सरकारी हाई स्कूल मेघोवाल गंजिया, सरकारी हाई स्कूल मिर्जापुर, सरकारी सीसे स्कूल खुड्डा (लड़के), सरकारी सीसे स्कूल तलवाड़ा सेक्टर-तीन, सरकारी सीसे स्कूल कमाही देवी, सरकारी सीसे स्कूल बसी कलां, सरकारी सीसे स्कूल कोट फतूही, सरकारी सीसे स्कूल टांडा (लड़कियां), सरकारी सीसे स्कूल धूत कलां, सरकारी सीसे स्कूल दसूहा, सरकारी सीसे स्कूल बागपुर सतौर, सरकारी सीसे स्कूल रामगढ़ सीकरी है। जिला एजुसेट कोआर्डिनेटर मुनीष मोदगिल ने बताया कि जिले के 17 स्कूलों में स्मार्ट क्लासरूम जिलाधीश अनिंदिता मित्रा के नेतृत्व व जिला शिक्षा अधिकारी (से) सुखविंदर कौर की निगरानी में चल रहे हैं।