24-29) सड़क पर लगता है बसों का मजमा
मुनेंद्र शर्मा, गढ़दीवाला
पिछले कुछ सालों में कस्बा गढ़दीवाला काफी हद तक फैल चुका है और आबादी में भी इजाफा हुआ है। लेकिन हलके की गंभीर समस्याएं आज भी वहीं की वहीं अटकी हुई है। कस्बे में बस स्टैड की समस्या पुरानी है। चुनाव विधानसभा के हों या लोकसभा के, हरेक राजनीतिक पार्टी के नेता बस स्टैंड बनाने का सब्जबाग दिखा कर वोट हथियाते रहे हैं लेकिन चुनाव के बाद नेता अपने वायदे को भूल कर सत्ता का सुख भोगने में मस्त हो जाते हैं। सच्चाई यह है कि आजादी के इतने साल गुजर जाने के बाद भी हल्का गढदीवाला क ो बस स्टैंड नसीब नही हो सका है। कई नेता मंत्री भी बने पर बस स्टैंड नहीं बनवा पाए। विकास की नजर से से भी कस्बा अब काफी पिछड़ चुका है।
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बस स्टैड बनाना समय की माग
समाज सेवक गोपाल कृष्ण का कहना है कि कस्बा गढ़दीवला में बस स्टैंड की समस्या के कारण बसें सड़कों के दोनों किनारों पर खड़ी होती हैं। जिससे लोगों को आए दिन टै्रफि क की समस्या से भी जूझना पड़ रहा है। इसलिए बस स्टैड समय की माग भी है और जरूरत भी।
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लोगों को खलती है शौचालय की कमी
सीनियर सिटीजन वैद्य किशन मित्र का कहना है कि कस्बे में बस स्टैड की कमी के कारण बाहर से आने वाले यात्रियों खासकर महिलाओं के लिए शौचालय की कमी महसूस होती है। कस्बे में बस स्टैड की सुविधा के साथ-साथ शौचालय जैसी बुनियादी सहूलियत का होना बहुत जरूरी है ताकि लोगो को इस समस्या से निजात मिल सके।
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वर्षो पुरानी बस स्टैड बनाने की माग
विजय कुमार कहना है कि होशियारपुर दसूहा रोड कस्बा गढदीवाला से होता हुआ आगे नेशनल हाईवे से मिलता है। यहां से देश के कोने कोने से यात्री गुजरते है। इसलिए लोगों की कई बर्षो से कस्बा गढ़दीवाला में बस स्टैड बनाने की माग विभिन्न सरकारों से करते आ रहे है। लेकिन गढ़दीवाला के लोगों को अभी तक बस स्टैड नसीब नही हो सका है।
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सबसे बड़ा हलका भी रह चुका है गढ़दीवाला
सुरजीत सिह का कहना है कि कस्बा गढ़दीवाला कभी पंजाब का सबसे बड़ा विधानसभा हलका रह चुका है। बावजूद इसके कस्बा बस स्टैड जैसी बुनियादी सहूलियत से वंचित रहा। अब यह हलका टूटने से यह कहना भी मुश्किल हो गया है कि कस्बे को बस स्टैड नसीब होगा या नहीं।
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खुले में करना पड़ता है बसों का इंतजार
यशपाल का कहना है कि कस्बे में बस स्टैड नही होने से लोगो को आज भी चिलचिलाती धूप व बरसात में खुले आसमान के नीचे बसों का इतजार करना पडता है। जो किसी परेशानी से कम नही है। इसलिए सरकार को कस्बे में बस स्टैड बनाने के लिए सोच विचार करना चाहिए।
बचपन से आज तक कुछ नहीं बदला
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सीनियर सीटिजन ओंकार सिह का कहना है कि जब वह छोटे थे तब भी बसें सड़क के किनारे खडी होती ही देखा करते थे आज वह 67 वर्ष के हो गए है लेकिन आज भी वह कस्बे मे बस स्टैड नही होने से बसों को सड़क किनारे ही खडी देखते हैं। हैरानी है कि इतने सालों में गढ़दीवाला को बस स्टैड जैसी सुविधा नही मिल सकी है।