15 अप्रैल से सफेदे के पेड़ और नए टयूबवेल कनेक्शनों पर लगी रोक: राणा
जागरण संवाददाता, होशियारपुर
सफल भारत गुरु परंपरा एनजीओ के चेयरमैन पीके राणा ने मीडिया को इसकी जानकारी देते हुए बताया कि नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने पंजाब में 15 अप्रैल तक सफेदे के पेड़ और नए टयूबवेल कनेक्शन लगाने पर कड़ा संज्ञान लेते हुए पंजाब सरकार को हिदायत दी है कि वह इस पर रोक लगाए।
इस दौरान राणा के साथ जिलाध्यक्ष डॉ. आशीष सरीन, उपाध्यक्ष अंकुर वालिया भी साथ थे। राणा ने बताया कि नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल नई दिल्ली ने उनकी याचिका पर सुनवाई करते हुए पंजाब सरकार को 26 अगस्त को फैसला सुनाना था, परंतु 8 अगस्त को पहले ही पंजाब सरकार ने उनकी पानी बचाने की मांग को ठुकरा दिया है। इस बार 26 तारीख फैसला था व एन मौके पर पेपर एसोसिएशन के मेंबर पंजाब सरकार के इशारे पर वहां पहुंच गए व अदालत ने अगली सुनवाई 16 जनवरी 2014 को डाल दी।
पीके राणा ने कहा कि पंजाब में गिरते भू जलस्तर की असली वजह यहां पर बेइंतहा पानी के दोहन के साथ-साथ अत्यधिक मात्रा में सफेदे के वृक्ष लगाना है।
उन्होंने कहा कि 1842 में सफेदे के पेड़ को भारत आस्ट्रेलिया से लाया गया था। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि सफेदे का एक पेड़ जमीन के नीचे 45 से 90 फुट नीचे तक का पानी सोखने की क्षमता रखता है वहीं इस सफेदे का पेड़ रोजाना 750 से लेकर 1000 लीटर तक पानी को खर्च करता है।
पीके राणा ने बताया कि पहले ही पंजाब घोर जल संकट से गुजर रहा है पीके राणा ने बताया कि सेंट्रल ग्राउंड वाटर अथॉरटी पहले ही 100 से ज्यादा ब्लाक को डार्क जोन बता चुका है तो नए कनेकशन से तो बचा हुआ पानी जो 40 साल में खत्म होना था वह 10 साल में ही खत्म हो जाएगा।