अस्पताल प्रबंधन से समझी जिम्मेदारी, बदलवाए खराब नल
वरिंदर बेदी, होशियारपुर
आखिरकार सिविल अस्पताल के अधिकारियों ने पानी के महत्व को समझते हुए सिविल अस्पताल में खराब नलों की वजह से हो रही पानी की बर्बादी को रोकने के लिए नए नल लगवा दिए। जल ही जीवन है, बिन पानी सब सून, जे बूंद-बूंद न बरतोगे- फिर बूंद-बूंद नू तरसोगे, सेव वाटर सेव फ्यूचर ऐसे ही कई तरह के स्लोगन से विश्व भर के लोगों को पानी का महत्व समझाने व पानी व्यर्थ बहाने से रोकने को लिए जागरूक किया जा रहा है। पानी बिना धरती पर जीवन भी संभव नहीं है। गुरुबानी में भी पानी को पिता का दर्जा दिया गया है। समाज सेवी संगठन भी पानी का महत्व बताने के लिए समय-समय पर सेमिनार लगाकर लोगों में जागरूकता लाने के लिए प्रयत्नशील रहते है। मगर इसके बिल्कुल विपरीत होशियारपुर के सिविल अस्पताल में रोजाना हजारों लीटर पानी की बर्बादी हो रही थी। आखों के विभाग के सामने व इमरजेंसी विभाग में लगा पानी का नल खराब होने से पानी व्यर्थ बह रहा था। जिसे दैनिक जागरण द्वारा पिछले मंगलवार को सिविल अस्पताल में हो रही पानी की बर्बादी के शीर्षक तहत प्रमुखता से प्रकाशित कर यह बात अधिकारियों के ध्यान में यह बात लाई गई थी। जिसके बाद सिविल अस्पताल प्रबंधन द्वारा तुरंत हरकत में आते हुए खराब नलों को बदलवा दिया गया।
पानी बचाने के लिए सुझाव
- अपने घरों में रेनहारवेस्टंग सिस्टम लगाना चाहिए।
- ब्रश करते समय व हाथ धोते समय थोड़ा नल खोलें।
- वाहन धोने के लिए पाइप की बजाए एक बाल्टी में पानी लेकर गीले कपड़े से साफ करे।
- कहीं भी कोई नल व्यर्थ खुला हो तो उसे बंद करें।
- कपड़े धोने के लिए भी कम से कम पानी का इस्तेमाल करे।
- नहाते वकत भी पानी का नल खुला छोड़ कर न नहाएं।
- ऐसी छोटी-छोटी बातों पर अमल कर हम रोजाना काफी पानी की बचत कर सकतें है। ताकि हमारी आने वाली पीढि़यां पानी के लिए न तरसें।