शहर ने नवजोत को पलकों पर बिठाया
लोकेश चौबे, होशियारपुर
हमारे खिलाड़ियों के पास एसेट्स की कमी है। खिलाड़ियों को अंतरराष्ट्रीय स्तर की ट्रेनिंग नहीं मिल पा रही है जिसके खिलाड़ियों में तकनीक की थोड़ी कमी आ जाती है। देश के पास बहुत अच्छे खिलाड़ी है बस उन्हें अंतरराष्ट्रीय स्तर को कोच व सुविधा दी जाए।
ग्लासगो में कामनवेल्थ गेम्स में जूडो के 60 किलोग्राम भार वर्ग में रजत पदक लाने वाले होशियारपुर के नवजोत चाना ने मंगलवार घर आने पर दैनिक जागरण से बातचीत की। नवजोत ने फाइनल मैच के अनुभव पर कहा कि उन्हें मलाल है कि वे गोल्ड नहीं जीत पाए जिसके लिए उसने बहुत कड़ी मेहनत की थी। फाइनल मुकाबले में उससे दो-तीन फाउल हो गए जिसके कारण वह पीछे रह गया। अब उसका ध्यान एशियन गेम्स की तरफ है। चाना ने कहा कि नशे से छुटकारा का एक ही उपाय है कि युवाओं को खेलों में लगाया जाए। साथ ही सरकार भी खेलों को अधिक से अधिक प्रोत्साहित करे। चाना के घर आने पर शहर वासियों ने उसे अपनी पलकों पर बिठा लिया। चाना के रिश्तेदारों, दोस्तों व शहर वासी मंगलवार शाम से ही उसके घर आने शुरू हो गए। अपने बेटे के शानदार प्रदर्शन को लेकर पिता पिता पाल सिंह चाना व उसकी माता बलवीर कौर अपने लाडले बेटे को गले लगाकर फूले नहीं समाए। चाना के पिता ने कहा कि पाल सिंह ने कहा कि उन्हें गर्व है कि उनके बेटे ने जिले का नाम रोशन किया है। उन्होंने कहा कि सरकार स्पोर्ट्स को बढ़ावा देने की बात करती है लेकिन अन्य देशों के मुकाबले में खिलाड़ियों को प्रोत्साहन नहीं मिल रहा है। हमारा बेटा देश के लिए मेडल लेकर आया है इस बात का हमें गर्व है लेकिन खिलाड़ियों को उनकी प्रतिभा के हिसाब से प्रोत्साहित भी किया जाना चाहिए।
गौरतलब है कि कामनवेल्थ गेम्स में नवजोत ने तीन राउंड में शानदार प्रदर्शन किया लेकिन अंतिम राउंड ने नवजोत इंग्लैंड के खिलाड़ी से हार गए थे। नवजोत की पत्नी दलजीत कौर अपने पति की इस उपलब्धि पर खुश होकर कह रही है कि कामनवेल्थ में जो कमी रह गई वह एशियन गेम्स में पूरी हो जाएगी।
नवजोत पीएपी जालंधर में एएसआइ पद पर तैनात नवजोत ही नहीं बल्कि उसके छोटे भाई व छोटी बहन भी जूडो के राष्ट्रीय व अंतराष्ट्रीय खिलाड़ी हैं। नवजोत के छोटे भाई नवदीप आईटीबीपी में इंस्पेक्टर है और उनकी छोटी बहन सजदा चाना एनआइएस में हाल ही में एमएड की है। नवजोत ने जूडो में अपना करियर वर्ष 1996 में शुरु किया था।