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झुलस रोग से प्रभावित फसल का लिया जायजा

By Edited By: Published: Sat, 22 Sep 2012 05:39 PM (IST)Updated: Sat, 22 Sep 2012 05:41 PM (IST)
झुलस रोग से प्रभावित फसल का लिया जायजा

संवाद सहयोगी, कलानौर(गुरदासपुर)

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सीमावर्ती कस्बा कलानौर व डेरा बाबा नानक के तहत आते कई गांवों में बासमती की फसल के झुलस रोग से ग्रस्त होने संबधी शनिवार को दैनिक जागरण में खबर प्रकाशित होने पर इसे गंभीरता से लेते हुए जिला कृषि अधिकारी डा. रवि कुमार सभ्रवाल के निर्देश पर बासमती के माहिर डा. अमरीक सिंह ने शनिवार सुबह प्रभावित खेतों का दौरा किया।

डा. अमरीक सिंह ने किसानों को बताया कि 1121 बासमती के पत्तों में पीलापन आने अर्थात सूखने शुरु होने को झुलस रोग माना जाता है। झुलस रोग का होना प्रभावित खेत में पहले से ही जड़ का गलना अर्थात फसल की जड़ का गल जाना के बाद का दूसरा दौर होता है। इसके बाद कुछ ही समय में पौधा पूरी तरह सूख कर गिर जाता है। उन्होंने कहा कि बीमारी के दूसरे दौर में यह बीमारी लाइलाज हो जाती है। इससे बचाव का एकमात्र तरीका है कि बासमती की पनीरी की बुआई करने के समय उसकी जड़ों को बविस्टन दवा से शोध लेना चाहिए। इससे न तो पौधे की जड़ गलती है और न ही झुलस रोग होने का अंदेशा रहता है। उन्होंने किसानो को बताया कि पनीरी की जड़ों के संशोधन किए जाने से पत्ता लपेट सुंडी का खतरा भी खत्म हो जाता है व इससे उत्पाद भी बढ़ता है। उन्होंने कहा कि जिस किसान ने बासमती 1121 की बुआई पछेती अर्थात समय के बाद की है उन्हीं की फसल पर उक्त रोगों का हमला हुआ है। अभी भी किसानों को चाहिए कि रोकथाम के लिए प्रति एकड़ एक लीटर कलोपैरीफास में 100 लीटर पानी मिला कर इसका फसल पर छिड़काव करें। इस मौके पर किसान सुच्चा सिंह, दिलबाग सिंह, बगीचा सिंह, गुरमेज सिंह, कुलवंत सिंह, प्रेम सिंह आदि उपस्थित थे।

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