कुर्बानी की प्रेरणा देती है ईद
संवाद सहयोगी, कादियां (गुरदासपुर) : आज ईद-उल फितर का पवित्र त्यौहार पूरे भारत में धूमधाम एवं धार्मिक आस्था से मनाया जा रहा है। ईद के शाब्दिक अर्थ ख़ुशी के हैं, मुसलमान वर्ष में दो बार ईद मनाते हैं। एक 'ईद-उल-फितर' जिसे सेवीईयों वाली ईद भी कहते हैं, दूसरी 'ईद-उल-जुहा' जिसे कुर्बानी की ईद भी कहा जाता है।
ईद-उल-फितर रमजान माह के 30 रोजे समाप्त होने पर बतौर शुक्राना मनाई जाती है। दोनों ईदें मनुष्य को परोक्ष रूप से मानव-जाति के लिए कुर्बानी की प्रेरणा देती हैं। ईद-उल-फितर का संबंध रमजान से है। माह रमजान में ही पवित्र कुरान शरीफ को अल्लाह ने पैगम्बर इस्लाम हजरत मुहम्मद सल्लाहो अलैहि वसल्लम पर उतारा था। इस माह मुसलमान रोजे रखते हैं तथा कुरान को विशेष तौर पर पढ़ते हैं, अच्छे कार्यो की ओर ध्यान देते हैं तथा अपना समय अल्लाह की इबादत में गुजारते हैं। ईद का फलसफा अच्छे कार्यो के बदले अपनी ख़ुशी को प्रकट करना है। वास्तविक तौर पर त्यौहार कौमों को जिंदा रखने के लिए मनाए जाते हैं। संस्थापक जमाअत अहमदिया मुस्लमा हजरत मिर्जा गुलाम अहमद साहिब का कथन है कि सच्ची ईद तभी कहला सकती है जब आप गरीबों की ईद मनाएंगे फिर स्वयं अपनी ईद मनाएगा। गरीबों के दुख दर्द में शामिल होना ही ईद की सच्ची ख़ुशी है।
-ईद कैसे मनाएं
-ईद की नमाज बिना अजान के दो रकात (सिजदे) नफल (शुकराने) के तौर पर पढ़ी जाए।
-नमाज अदा करने पूर्व स्नान करना तथा वज़ू करना आवश्यक है।
-ईद की नमाज से पूर्व कुछ मीठा खाकर जाना चाहिए।
-ईद के दिन नए कपड़े पहनकर जाना तथा सुगंध लगाना सुन्नत है।
-नमाज ईद के उपरात खुत्बा ईद (भाषण) पढ़ा जाता है यह ईद का ही भाग है। नमाज के बाद गरीबों को सदका (दान) दिया जाना चाहिए।
-ईद का दिन अल्लाह की इबादत करना तथा उसकी नेमतों का शुक्राना अदा करने का दिन है। ईद के दिन रोजा नहीं रखना चाहिए।
-ईद के दिन अपने रिश्तेदारों-दोस्तों, गरीब बीमार कम्तियों से सहानुभूति करने तथा उन्हें अपनी ख़ुशी में शामिल करना चाहिए।
-छोटे बच्चों को ईदी देनी चाहिए।
-ईद की नमाज ईदगाह या अपने घर से दूर खुले स्थान पर जाकर इकट्ठे होकर पढ़नी चाहिए।
-ईद का चांद नजर आने पर ही अगले दिन नमाज ईद अदा करनी चाहिए। ईद के दिन यदि नए कपड़े उपलब्ध न हो तो हालात के अनुसार कपड़े पहने जा सकते हैं।
ईद से पूर्व एक अनिवार्य फर्ज
सभी मुसलमानों को इस्लाम में यह फर्ज किया है कि ईद की नमाज अदा करने से पूर्व यह अनिवार्य है कि वह अपने गरीब भाइयों के लिए जो इस ख़ुशी में शामिल नहीं हो सकते, को फितराना अदा करें जो जारी पैमाने के अनुसार ढाई किलो अनाज है।
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