ज्यादा फायदेमंद है हर्बल फार्मिग : डा. सुमेश
निर्दोष शर्मा, गुरदासपुर
आर्थिक उन्नति के लिए पारंपरिक बागवानी के चक्र से निकलकर किसान अगर हर्बल फार्मिग की ओर रुख करे तो ज्यादा फायदेमंद होगा। क्योंकि परंपरागत फसलों की अपेक्षा औषधीय गुणों वाली पौधों की फार्मिग में कई गुणा कमाई है। ये विचार डा.सुमेश महाजन ने दैनिक जागरण से बातचीत में सांझा किए। यह 12 साल से हर्बल फार्मिग करने के साथ ही लोगों को भी प्रेरित कर रहे है।
सीमावर्ती कस्बा गाहलड़ी निवासी आर्युवैदिक डा.सुमेश ने दैनिक जागरण से बात में बताया कि उनके पास महज चार एकड़ जमीन है। जिस पर उन्होंने आम, अमरुद, किन्नू, संतरा, केला, नाशपाती, लीची व अंगूर के पौधों के साथ हर्बल गुणों वाले पौधे भी लगाए हुए हैं। फलदार पौधों की बहुत देखरेख करनी पड़ती है। दूसरा फलदार पौधे बड़े होने के पर ज्यादा जगह भी घेरते है। इनमें मौसम के अनुसार फल आते है, जबकि आयुर्वैदिक पौधे सदाबहार होते है। कद में छोटे होने के कारण जगह भी कम घेरते है व इनपर किसी भी तरह की दवा आदि स्प्रे करने की जरूरत नही पड़ती। उन्होंने बताया कि फलदार पौधों के बीच बेहद कम जगह पर उन्होंने अश्वगंधा, गिलोह, शतावरी, नीम, पीपल, कुंवार गंदल, सफेद व काली मूसली, स्टीविया, तुलसी आदि के पौधे लगाए हुए हैं। उन्होंने बताया कि अश्वगंधा व्यक्ति के नर्वस सिस्टम के लिए रामबाण का काम करती है। नर्वस सिस्टम ठीक रखने के साथ यह शारीरिक शक्ति बढाने में भी सहायक है। गिलोह को अमरबेल भी कहा जाता है। यदि किसी मां के स्तनों में बच्चे को पिलाने के लिए दूध न बनता हो उसके लिए शतावरी बेहद गुणकारी साबित होती है। कुंवार गंदल शरीर से हर तरह के जहर को खत्म करने का काम करती है। कई तरह के ला इलाज रोगों में रामबाण है। नीम रक्त को साफ करती है व चमड़ी के रोगों का नाश करती है। पीपल बांझपन की समस्या को दूर करता है। तुलसी कई तरह के शरीरिक रोगो का नाश करती है। इसी तरह सफेद व काली मूसली मर्दाना शक्ति बढ़ाती है। शरीर में रक्त बढ़ाने में सहायक सिद्ध होती है। स्टीविया शूगर के रोगियों के लिए बेहद गुणकारी होती है इसकी दो पत्तियां चाय में उबाली जाए तो चाय में चीनी मिलाने की जरूरत नहीं पड़ती। उन्होंने बताया कि वर्ष भर में वे अपने फलदार पौधों से जितना कमाते है उससे कई गुणा ज्यादा उन्हें आर्युवैदिक पौधों से कमाई होती है। आर्युवैदिक दवाएं बनाने वाली कंपनिया भी इनकी खरीद के लिए तैयार रहती है। पिछले 12 साल से वे जिले के विभिन्न गांवों में जाकर लोगों को आर्युवैदिक पौधे लगाने को प्रेरित कर रहे है। उन्होंने कृषि विभाग से भी अपील की है कि वे बागवानी व अन्य फसलों की तरह आर्युवैदिक पौधे लगाने संबधी भी लोगों को उत्साहित करने में सहयोग दें।
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