सफल ऑपरेशन कर एएमसी गुरदासपुर ने दी बच्चे को नई जिन्दगी
जागरण संवाददाता, गुरदासपुर : अनेक पेचीदा आपरेशन कर रोगियों को नया जीवन दे चुके एएमसी की टीम ने
जागरण संवाददाता, गुरदासपुर :
अनेक पेचीदा आपरेशन कर रोगियों को नया जीवन दे चुके एएमसी की टीम ने एक वर्ष के बच्चे का सफल आपरेशन कर सफलता की लाइन में एक कड़ी और जोड़ ली है। जम्मू कश्मीर से संबंधित बेहद गरीब परिवार से संबंधित धु्रव नाम का यह बच्चा सुडोआर्थोसिस नाम की बीमारी से पीड़ित था। आम तौर पर कोई भी अस्थि रोग विशेषज्ञ इस तरह के रोगी का आपरेशन करने को तैयार ही नहीं होता। अबरोल मेडिकल सेंटर की टीम ने डॉ. अजय अबरोल के नेतृत्व में रशियन तकनीक से बेहद आत्मविश्वास से इस बच्चे का सफल आपरेशन किया और बच्चा शीघ्र स्वस्थ होगा।
क्या होता है सुडोआर्थोसिस टीबिया
डॉ. अजय अबरोल ने बताया कि विशेषज्ञों के अनुसार उक्त रोग पीड़ी दर पीड़ी का रोग है। इसका कारण अभी तक कोई समझ नहीं पाया है। यह रोग बेहद कम संख्या में होता है। ढ़ाई लाख में से केवल एक रोगी इस बीमारी का शिकार होता है। अस्थि रोग विशेषज्ञों के लिए ऐसे रोगी को ठीक करना एक बहुत बड़ा चैलेंज होता है। इस बीमारी में बच्चे के जन्म से ही उसकी टांग की नीचे की हड्डी (टीबिया) में एक दरार सी आ जाती है। रोगी अपनी पीड़ित टांग पर भार कभी भी नहीं डाल सकता। साधारण केसों में तो हड्डियों को जोड़ना कोई जटिल नहीं होता लेकिन यह एक जटिल बीमारी है। बीमारी के स्थायी समाधान के लिए जगह-जगह रिसर्च चल रही है, लेकिन सार्थक परिणाम नहीं मिल पाये है। देश भर में बहुत कम सेंटर है जो इस बीमारी के रोगी के आपरेशन के लिए तैयार होते है। उनके साथ डॉ. एचपी सिंह, डॉ. सतपाल शर्मा और अन्य स्टाफ ने चार घंटे का आपरेशन किया। अब धु्रव कुछ ही माह में पूरी तरह से ठीक हो जायेगा।
उन्होंने बताया किय यह आपरेशन लिसरो तकनीक से किया जाता है।
पहले भी कर चुके है, उज्बेकिस्तान के बच्चे का सफल आपरेशन हो चुका है। डॉ. अबरोल ने बताया कि करीब एक वर्ष पहले भी इसी बीमारी से पीड़ित उज्बेकिस्तान का बच्चा उनके पास पहुंचा था। उस समय उसका आपरेशन किया गया था और अब यह बच्चा बिल्कुल नार्मल है।
बेहद गरीब परिवार से संबंधित है ध्रुव
डॉ. अबरोल ने बताया कि ध्रुव के माता पिता बेहद गरीब है। इलाज बहुत महंगा है, लेकिन उनके अस्पताल और सामाजिक संगठनों के सहयोग से काफी सहायता मिल रही है। बच्चे के माता पिता ने उनसे जम्मू में संपर्क किया था। उसके बाद उन्होंने उन्हे गुरदासपुर स्थित मुख्य अस्पताल में बुलाया जहां बच्चे का सफल आपरेशन हुआ।