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नैरोगेज रेल इंजन बदलने की प्रक्रिया शुरू

श्याम लाल, पठानकोट पंजाब और हिमाचल प्रदेश के बीच नैरोगेज रेलवे को मजबूत करने के लिए नार्दन रेलवे न

By Edited By: Published: Sun, 21 Dec 2014 04:21 PM (IST)Updated: Sun, 21 Dec 2014 04:21 PM (IST)
नैरोगेज रेल इंजन बदलने की प्रक्रिया शुरू

श्याम लाल, पठानकोट

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पंजाब और हिमाचल प्रदेश के बीच नैरोगेज रेलवे को मजबूत करने के लिए नार्दन रेलवे ने बूढ़े हो चुके बारह रेल इंजनों को वाय-वाय कहने का मन बना लिया है।

पठानकोट से जोगिन्द्र नगर के बीच चल रही चौदह रेल गाड़ियों को खींचने का काम कर रहे ये इंजन ठीक एक साल बाद बदल दिए जाएंगे। बूढ़े इंजनों की जगह महाराष्ट्र के परेल रेलवे वर्कशाप में तैयार हो रहे इंजन ले लेंगे। रेलवे ने इस काम के लिए 34 करोड़ रुपये जारी भी कर दिए हैं। नए तैयार होने वाले इंजन अत्याधुनिक तकनीक से लैस होंगे। इनकी आयु पैंतीस वर्ष होगी। रेलवे को उम्मीद है कि नए इंजन जब पठानकोट से पालमपुर के बीच की हसीन वादियों से डिब्बों को लेकर निकलेंगे तो उनका दम नहीं फूलेगा। पठानकोट से पालमपुर व जोगिन्द्र नगर के बीच हर रोज चौदह रेल गाडियां आवागमन करती हैं। इन रेल गाड़ियों में 21000 रेल यात्री रोज सफर करते हैं। इस प्रकार यह रेल जहां पठानकोट की अर्थ व्यवस्था का बड़ा हिस्सा है वहीं हिमाचल प्रदेश में करीब एक सौ किलोमीटर परिधि में बसे लोगों के लिए लाइफ लाइन भी है। इस ट्रैक पर नए रेल इंजनों की मांग पिछले पांच साल से लगातार की जा रही थी परंतु फंड के अभाव में रेलवे यह जोखिम ले पाने के मूड में नहीं था। यही कारण है कि इस रुट के रेल यात्रियों को अनेक बार इंजन के फेल हो जाने के कारण अपना सफर बीच में ही रोक देना पड़ा था। दैनिक जागरण से बात करते हुए रेलवे के फिरोजपुर स्थित सीनियर डीएमई आरके तायल ने पुष्टि करते हुए कहा कि तैयार होने वाले इंजनों का बाडी शेल जहां परेल में तैयार होगा जबकि मकेनिकल जरुरत पठानकोट वर्कशाप में पूरी की जाएगी।

रुट के सत्रह इंजन पूरी कर चुके हैं मियाद

पठानकोट-पालमपुर-जोगिन्द्र नगर के बीच नैरोगेज रेल ट्रैक पर चल रहे सत्रह इंजनों में से अधिकांश अपनी आयु पूरी कर चुके हैं। 1976 में इस ट्रैक को 5 इंजन मिले थे जो आज की डेट में 38 साल पुराने हो चुके हैं। साल 1977 में ट्रैक को 5 इंजन मिले थे जो इस समय 37 साल के हो चुके हैं। साल 1981 में इस रुट को 5 अन्य इंजन मिले थे जिनकी आयु 33 साल की है, जबकि साल 1982 में इस रुट को 2 इंजन मिले थे जिनकी आयु 31 साल हो चुकी है। यह इंजन औसतन 34 साल चलने थे जबकि इनमें से पन्द्रह को आयु पूरी होने के बाद भी लगातार चलाया जा रहा है।


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