सीने पर गोली खाकर मुझे शहीद की मां होने का दर्जा दिलाया
राज चौधरी, पठानकोट मेरा बेटा बहादुर था, उसे बचपन से ही पहलवानी का शौक था। इसी दिलेरी के सदके ही उ
राज चौधरी, पठानकोट
मेरा बेटा बहादुर था, उसे बचपन से ही पहलवानी का शौक था। इसी दिलेरी के सदके ही उसने दो आतंकियों को मारकर व खुद सीने पर गोली खाकर मुझे शहीद की मां होने का दर्जा दिला दिया। यह कहना था भारतीय सेना की फर्स्ट पैरा यूनिट के शहीद सिपाही बलविन्द्र सिंह की मा रक्षा देवी का, जिन्होंने शहीद सैनिक परिवार सुरक्षा परिषद के सदस्यों से अपनी सजल भावनाएं व्यक्त कर रहीं थी। उन्होंने कहा कि बलविन्द्र 16 नवंबर को 15 दिन की छुट्टी काटकर गया था। अपनी यूनिट में वापस लौटते समय 23 वर्षीय बलविन्द्र ने कहा कि मां तेरा बेटा कुछ ऐसा कर जाएगा कि सारा देश उस पर गर्व करेगा। अपनी मां से कही हुई इन बातों को बलविन्द्र ने 12 दिन बाद ही जम्मू-कश्मीर के अरनिया सेक्टर में पाक समर्थक दो आतंकियों को मारकर सच साबित कर दिखाया।
परिषद के महासचिव कुंवर रविन्द्र सिंह विक्की व सैन्य अधिकारियों ने शहीद की मां को ढांढस बंधाते हुए कहा कि पठानकोट की वीरभूमि ने अपना एक और बेटा राष्ट्र की बलिवेदी पर कुर्बान कर अपनी गौरवमयी परंपरा को बरकरार रखा है।
उन्होंने कहा कि अगर सरकार ने आतंकवाद का फन कुचलने के लिए कोई ठोस नीति नहीं बनाई तो इन जांबाजों की शहादतों का सिलसिला इसी तरह चलता रहेगा।
शहीद के पार्थिव देह को लेकर आये सूबेदार परविन्द्र सिंह ने कहा कि बलविन्द्र हमारी यूनिट का चहेता जवान था जिसने अपना बलिदान देकर हमारी यूनिट के गौरव को बढ़ाया है। उन्होंने कहा कि हमारी यूनिट नाहन हिमाचल प्रदेश में है। बलविन्द्र ने बालंटियर होकर इस आपरेशन में अपना नाम दिया था तथा सांबा से अपनी सैन्य टुकड़ी के साथ सबसे पहले पहुंचकर दो आतंकियों को मार गिराया और तीसरे आतंकी की ओर से किए गए हमले में शहीद हो गया।