राम से मिलाते हैं सतगुरु : महात्मा कविदत्त
संवाद सहयोगी, पठानकोट
जीव को दुनियावी दान बांटने वाले दाता तो बहुत हो सकते हैं, पर जो गुरु निरंकार का ज्ञान रूपी दान सब में बांटे, वही असल में पूर्णगुरु होता है। ये प्रवचन पठानकोट के गांव अजीजपुर में आयोजित मिन्नी संत समागम के दौरान गढ़शंकर से विशेष रूप से उपस्थित हुए महात्मा कवि दत्त जी ने किए। उन्होंने कहा कि प्रभु के ज्ञान रूपी समझ के बिना जीव का पार उतारा होने वाला नहीं है। अच्छे कर्म सोने की बेड़ी और बुरे कर्म लोहे की बेडी हैं, लेकिन ये दोनों कर्म बेड़ियों से बंधे है। इन बेड़ियों से मुक्ति पाने के लिए केवल एक मात्र उपाए ब्रह्मज्ञान की प्राप्ति है। जो केवल पूर्ण सतगुरु की श्ररण में रहकर हो सकती है। जब पूर्ण की शरण मिलती है तो सब बंधन कट जाते हैं। वह गुरु ही होता है, जो ज्ञान से सब बंधन काट देता है। यही उत्तम कार्य आज निरंकारी बाबा हरदेव सिंह जी महाराज विश्व भर में ब्रह्म ज्ञान से बंधनों की बेड़ियों से मुक्त कर रहे हैं। इस मौके पर संचालक महात्मा हरबंस सिंह,महात्मा पंडित सागर, डॉ. बिग आदि उपस्थित थे।