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लगातार 32 साल से प्रतिदिन चलता श्रीरामायण पाठ

अमृत सचदेवा, फाजिल्का: कहते है कि आस्था का कोई पैमाना नहीं होता, यह समुंद्र की गहराइयों से भी गहर

By JagranEdited By: Published: Thu, 22 Jun 2017 06:28 PM (IST)Updated: Thu, 22 Jun 2017 06:28 PM (IST)
लगातार 32 साल से प्रतिदिन चलता श्रीरामायण पाठ
लगातार 32 साल से प्रतिदिन चलता श्रीरामायण पाठ

अमृत सचदेवा, फाजिल्का: कहते है कि आस्था का कोई पैमाना नहीं होता, यह समुंद्र की गहराइयों से भी गहरी होती है। कुछ ऐसा ही आस्था का सागर फाजिल्का के सिद्ध श्री हनुमान मंदिर में भी देखने को मिल रहा है, जहां पिछले तीन दशक से श्रद्धालु श्रीरामायण का पाठ करते आ रहे है। बताते चले कि यहां रोजाना श्री रामायण का अखंड पाठ रखा जाता है और अगले दिन सुबह उसका भोग डालकर नए पाठ की शुरुआत की जाती है। मंदिर में पाठ करने वाले श्रद्धालुओं की संख्या दिनों दिन बढ़ती जा रही है, जिसके चलते साल के 365 दिनों में रोजाना अलग-अलग श्रद्धालु परिवार पाठ कराते हैं।

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श्री सनातन धर्म पंजाब महाबीर दल द्वारा संचालित सिद्ध श्री हनुमान मंदिर परिसर में श्री रामायण पाठ की शुरुआत 1985 में नवरात्र के उपलक्ष्य में की गई थी। तभी से यहां पर प्रतिदिन पाठ रखे जाते और अगले दिन भोग डाला जाने लगा।

उस समय श्री रामायण पाठ के संयोजक विनोद शर्मा, पृथ्वीराज नागपाल व पंडित रामकुमार त्रिपाठी ने प्रतिदिन एक पाठ करने का प्रण लिया। उसके बाद से ही मंगलवार को पूरे महीने की सूची बन ली जाती थी और इसी तरह 365 पाठों की श्रृंखला तैयार होने लगी। बता दें कि उस समय 251 रुपये पाठ के लिए श्रद्धालुओं से भेंट स्वरूप लिए जाते थे, जोकि पांच साल तक लिए गए। उसके बाद मंदिर कमेटी के सदस्यों ने फैसला लिया कि पांच साल में इकट्ठा हुआ पैसे को बैंक में जमा करवा दिया गया और उससे आने वाले ब्याज से पाठ होने का सिलसिला शुरू हो गया। जो अब तक जारी है। पाठ करवाने वाले श्रद्धालुओं की सूची मंदिर परिसर में लगाई जाती है। इतना ही नहीं पाठ पढ़ने वाले सेवादारों व श्रद्धालुओं को प्रबंधक कमेटी सम्मानित भी करती है।

मंदिर कमेटी के अध्यक्ष देवेंद्र सचदेवा, उत्सव कमेटी अध्यक्ष काली ठकराल, कोषाध्यक्ष सुभाष व अन्य सदस्यों के नेतृत्व में तीन दशक से श्रीरामायण पाठ चलता आ रहा है। अध्यक्ष देवेंद्र सचदेवा ने बताया कि अखंड पाठ में भक्त बढ़चढ़ कर हिस्सा लेते है और यहां आने वाले भक्तों की प्रार्थना पूरी होती है।


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