संग्रहालय बने गुप्त ठिकाना, सड़क पर शहीदों के वारिस
प्रदीप कुमार ¨सह, फिरोजपुर क्रांतिकारियों के गुप्त ठिकाने को संग्रहालय का दर्जा दिए जाने की मांग
प्रदीप कुमार ¨सह, फिरोजपुर
क्रांतिकारियों के गुप्त ठिकाने को संग्रहालय का दर्जा दिए जाने की मांग को लेकर शहीदों के परिजनों को सड़क पर उतरने के लिए मजबूर होना पड़ा। क्रांतिकारी डॉ. गया प्रसाद के बेटे कांति कुमार व शहीद भगत ¨सह के भतीजे प्रो. जगमोहन रैली में सबसे आगे चल रहे थे। वीरवार को दशहरा ग्राउंड से लेकर तूड़ी बाजार तक की सड़क पीएसयू व नौजवान भारत सभा के झंडों से पटी दिखाई दी।
इससे पहले दशहरा ग्राउंड में हुई जनसभा में अपने विचार रखते हुए प्रो. जगमोहन ने कहा कि अंग्रेजों ने जैसा चाहा वैसा हमें पढ़ाया। अंग्रेजों व अंग्रेजों के समर्थकों ने हमारे शहीदों के बारे में जो किताबों में लिखा वहीं हमारे बच्चे प्राइमरी से लेकर यूनिवर्सिटी तक पढ़ रहे हैं। समय की जरूरत है शहीदों की जीवनियों पर खोज हो। सही बातें हमारी आने वाली पीढ़ी के सामने आ सके। उन्होंने कहा कि फिरोजपुर में रहते हुए शहीद भगत ¨सह ने 15 सितंबर 1928 को अपने केस व दाढ़ी कटवाई थी। उन्होंने यह कुर्बानी देश सेवा के लिए दी थी। उन्होंने सरकार से मांग की कि वह क्रांतिकारियों से जुड़े स्थलों व अन्य वस्तुओं की पहले के आधार पर देखभाल करे।
गुप्त ठिकाने को डॉ. बीएस निगम के जाली नाम से किराए पर लेने वाले कानपुर निवासी क्रांतिकारी डॉ. गया प्रसाद के बेटे कांति कुमार ने कहा कि शहर के तूड़ी बाजार स्थित जिस दो मंजिला इमारत को लेखक राकेश कुमार ने अपने दस्तावेजों के आधार पर क्रांतिकारियों का गुप्त ठिकाना बताया था उसे सरकार ने 15 दिसंबर 2015 को संरक्षित घोषित तो कर दिया, पर इस पर अभी तक कोई काम नहीं हुआ है। उन्होंने कहा कि यह इमारत देश की धरोहर है। इसे संग्रालय का रूप मिलना ही चाहिए।
जनसभा में न पहुंच पाने पर क्रांतिकारी बीके दत्त की बेटी भारती बागची व क्रांतिकारी महावीर के पुत्र आसीम राठौर ने पत्र भेजकर संघर्ष को अपना समर्थन दिया।
पीएसयू के प्रांतीय अध्यक्ष रा¨जदर ¨सह ने कहा कि शहीदों का सपना अंग्रेजों के साम्राज्य को खत्म करना था, परंतु वर्तमान सरकारें साम्राज्यवाद के हक में काम कर रही हैं, जिससे देशवासियों के सामने तरह-तरह की मुश्किलें आ रही हैं। उन्होंने कहा कि आज के समय में बोलने की आजादी पर भी पाबंदी लगाई जा रही है।
गुप्त ठिकाने को अपने दस्तावेजों के आधार पर खोज निकालने का दावा करने वाले लेखक राकेश कुमार ने कहा कि क्रांतिकारियों के इस ठिकाने को सहेजना बहुत ही जरूरी है। इसे संग्राहलय का रूप देने के साथ ही इसमें लाइब्रेरी भी खोली जाए, ताकि लोग शहीदों की सोच से अवगत हो सकें। जनसभा में पचास से अधिक बसों में प्रदेश के विभिन्न हिस्सों से पीएसयू, एनबीएस के सैकड़ों सदस्य पहुंचे। उक्त दोनों संगठनों के मांग के समर्थन में देश के विभिन्न हिस्सों से लेखक, कहानीकार, फिल्मकार, नाटक लिखने वाले, लेखक, शहीदों के वारिश, स्वतंत्रता सेनानियों के वारिस व विभिन्न संगठनों के सदस्य शामिल हुए।
दशहरा ग्राउंड व सड़क पर उतरी भीड़ देख जहां आयोजक खुश हो रहे थे, वहीं पुलिस-प्रशासन के लोग यह देख हैरान थे कि इतनी भीड़ की आशा नहीं की जा रही थी।