.अब दवाई के लिए भिड़ रहे नशेड़ी
संवाद सूत्र, फिरोजपुर पंजाब में नशे के दलदल में डूब रही युवा पीढ़ी को बचाने के लिए बीते दो सालों स
संवाद सूत्र, फिरोजपुर
पंजाब में नशे के दलदल में डूब रही युवा पीढ़ी को बचाने के लिए बीते दो सालों से जिस तरह राज्य सरकार ने नशा छुड़ाओ मुहिम शुरू की थी। उससे नशे के दलदल से निकलने के लिए युवा इलाज के लिए तो सामने आए, लेकिन उन्हें केंद्रों में दवाई के लिए झगड़ने को मजबूर होना पड़ रहा है। इसकी ताजा उदाहरण फिरोजपुर के सिविल अस्पताल स्थित नशा छुड़ाओ केंद्र (ओएसटी )में बुधवार को देखने को मिला।
सरकार के इस प्रयास की सेंटर में प्रबंधों की पोल खुलती नजर आई वहीं घर से रोजाना डोज लेने वाले युवाओं की तड़प भी देखने को मिली कि किस तरह वह दवाई की लत पूरी करने के लिए झड़गे पर ऊतारू हो गए।
सुरक्षा प्रबंधों की बात करें तो ओएसटी सेंटर में विभाग से लेकर जिला प्रशासन की तरफ से ऐसा कोई भी कदम नहीं उठाया गया जिससे ¨हसक होने वाले नशेड़ियों पर काबू पाया जा सके।
करीब 450 मरीजों का चल रहा इलाज: सेंटर इंचार्ज
ओएसटी सेंटर के इंचार्ज डाक्टर राजेंद्र ने बताया कि उनके यहां उन युवाओं का इलाज चल रहा जो टीका लगाकर अपने नशे की पूर्ति करते थे। यहां करीब 450 नशेड़ियों का इलाज चल रहा है और रोजाना वह दवा लेने के बाद घर वापस लौट जाते हैं। दवा देने का सिलसिला सुबह से दोपहर बाद एक बजे तक चलता है। दवा के लिए उनमें तपड़ ऐसी होती है कि वह दूसरे से पहले दवा लेने का प्रयास करने लगते हैं। सुरक्षा प्रबंध न होने के कारण वह कई बार आसप में झगड़ पड़ते हैं।
सिविल सर्जन प्रदीप चावला से पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि महकमे के पास दवाई की कोई कमी नहीं है। उन्होंने कहा कि नशा छोड़ने वाले मरीजों की संख्या सैकड़ों में होने के कारण उनकी लंबी लाइन सेंटर के बाहर लग जाती है और कई बार वह झगड़ भी पड़ते है।
बुधवार को भी दो युवाओं को बीच दवाई लेने की होड़ में झगड़ा हो गया था। सुरक्षा प्रबंधों के बारे में उन्होंने कहा कि सेंटर में आने वाले युवाओं का दाखिला नहीं होता बल्कि डोज लेने के बाद वह घर वापस लौट जाते हैं। इस लिए सुरक्षा प्रबंधों की जरूरत ही नहीं पड़ती ।
डोज लेने के बाद फिर करने लगते है नशा
सिविल अस्पताल के ओएसटी सेंटर में जिन नशेड़ियों का इलाज चल रहा है उनके बारे में जानकार सूत्रों की मानें तो रोजाना डोज लेने के बाद घर लौटते समय यही युवक फिर किसी न किसी तरह का नशा ले लेते हैं। ऐसे सरकारी इलाज का क्या फायदा जो नशा छोड़ने वाले मरीजों पर शिकंजा न कस सके। सूत्रों का यह भी कहना है कि इलाज करवाने वाले नशेड़ी हेरोइन का टीका लगाने के साथ साथ अन्य किस्म के नशे के आदी थे ।