होटल, रेस्टोरेंट व ढाबे वाले परोस रहे बीमारी
फोटो-21 -सेहत विभाग होटलों में खाना बनाने वालों की शारीरिक जांच को नहीं गंभीर -बाहर
फोटो-21
-सेहत विभाग होटलों में खाना बनाने वालों की शारीरिक जांच को नहीं गंभीर
-बाहर खाना खाने को बेताव लोग हो रहे बीमारियों का शिकार
रोहित शर्मा, मोगा
घर से बाहर होटलों, रोस्टोरेंट या ढाबों पर खाना खाने को हर कोई बेताव रहता है। इस बेतावी में अक्सर लोग होटलों, रोस्टोरेंट और ढाबों में रसोई की सफाई और रसोई में काम करने वाले स्टाफ की शारीरिक फिटनेस को पूरी तरह से नजरअंदाज कर देते हैं। रसोई में खाना बनाने या खाना परोसने वाला कोई कर्मचारी यदि किसी गंभीर बीमारी से पीड़ित है, तो वह आपको लजीज खाने के साथ भयानक बीमारी से संक्रमण भी दे सकता है। सेहत विभाग की ये ड्यूटी है कि वह नियमित रूप से होटलों, रेस्टोरेंट या ढाबों में काम करने वाले लोगों की साल में कम से कम दो बार शारीरिक जांच को अनिवार्य बनाएं। सेहत विभाग ने अपने इस कर्तव्य का कभी गंभीरता से पालन नहीं किया। परोसे जा रहे खाने के सेंपल भरकर औपचारिकता पूरी करते आ रहे सेहत विभाग के लिए जरूरी है कि वह नियमित रूप से फूड एंड सेफ्टी स्टेंर्ड्ड एक्ट के तहत खाना बनाने या परोसने वालों की फिटनेस सर्टीफिकेट हासिल करना अनिवार्य बनाए।
शहर में फूड कॉर्नर की भरमार
सादे भोजन से लेकर फास्ट फूड तक शहर में फूड कॉर्नर की भरमार है। जानकारी के अनुसार शहर में 20 के करीब होटल हैं, जबकि 150 के करीब रेहड़ियां, करीब 50 ढाबे, 20 रेस्टोरेंट और करीब 10 बेकरी हैं। ऐसे में इन होटलों व ढाबों पर लोगों को खाना परोस रहा कोई वेटर या कैटर अगर किसी बीमारी का शिकार है तो वह लोगों को खाने में बीमारियां परोस कर दे रहा है।
खानापूर्ति तक सिमटा सेहत विभाग
बता दें कि सेहत विभाग शहर में रेहड़ी-फड़ी सहित खाने की दुकानों से खाद्य पदार्थों के सेंपल तो भरता है, लेकिन लोगों को खाना परोस रहे लोगों के बारे में सेहत विभाग की कारवाई न मात्र के बराबर है। परिणाम स्वरूप होटल व ढाबा मालिक पैसे बचाने के चक्कर में अपने मुलाजिमों का मेडिकल चैकअप नहीं करवाते और लोगों की ¨जदगियों से खिलवाड़ किया जा रहा है। ऐसे होटल व ढाबा मालिकों के खिलाफ सेहत विभाग ने आज तक कभी तीखे तेवर नही दिखाए हैं।
बाहरी खाने से हो सकती है एचआईवी
निहाल सिंह अस्पताल के सर्जन डॉ हरगुर प्रताप ने किसी होटल या ढाबे पर आपको खाना खिला रहा वेटर या बावरची अगर एचआईवी, हैपेटाइट्स सी, शूगर आदि जैसी बीमारियों से पीड़ित है तो खाने के जरिए उनके शरीर के कण आपके शरीर में दाखिल होना संभव है। ऐसे में समय बीतते बीतते ऐसे कण इंफेक्शन के रूप में पूरे शरीर में फैल जाते हैं। कई बार तो इस चीज का अहसास होते होते सालों बीत जाते है, लेकिन ऐसे संक्रमण शरीर में मरते नही और आखिरी स्टेज पर आकर इंसान को पता चलता है कि वह ऐसी किसी बीमारी का शिकार हो गया है।
फोटो-22
चलाया जाएगा चैकिंग अभियान : डीएचओ
डीएचओ हरप्रीत कौर का कहना है कि फूड कॉर्नर के लिए फूड सेफ्टी लाइसेंस जारी किया जाता है, ऐसे में लाइसेंस जारी करने के दौरान शर्त होती है कि उक्त फर्म में जितने भी मुलाजिम काम करेंगे। उनका छह माह में एक बार मेडिकल चैकअप करवाना होगा। उन्होंने कहा कि अभी नई फाइलें आएंगी तो वह चैक करेंगे कि शहर में ऐसे कौन से फूड कॉर्नर हैं, जिन्होंने अपने मुलाजिमों का मेडिकल नहीं करवाया और इसके अलावा शहर में चैकिंग अभियान चलाया जाएगा।