शराब से तेजी से फैल रहा कैंसर
प्रदीप कुमार सिंह, फरीदकोट : शराब के सेवन से लीवर, भोजन की नली का कैंसर होने के साथ ब्लड कैंसर रोगियों की संख्या में भी तेजी से इजाफा हो रहा है। बाबा फरीद यूनिवर्सिटी ऑफ हेल्थ साइंस फरीदकोट में 28 जुलाई को एक सेमिनार आयोजित हुआ था, जिसमें सामने आए इस तरह के तथ्यों और देश-विदेश के विशेषज्ञों की राय को विश्वविद्यालय प्रशासन ने गंभीरता से लेते लिया है। विश्वविद्यालय प्रशासन अब जल्द ही इस मसले पर राज्य भर में सर्वे करवाने के साथ रिसर्च शुरू करने जा रहा है।
यूनिवर्सिटी की जनसंपर्क अधिकारी मनरीत कौर ने बताया कि सेमिनार में भाग लेने अमेरिका स्थित यूनिवर्सिटी ऑफ टैक्सास से आए डॉ. हरमनदीप सिंह, डॉ. किरणदीप सिंह व डॉ. जगतार सिंह ने अपनी खोजों के साथ जो तथ्य प्रस्तुत किए वह बहुत चिंताजनक हैं। इन विशेषज्ञों ने कैंसर के मुख्य कारणों में शराब के सेवन को प्रमुख बताया है, जिसे देखते हुए यूनिवर्सिटी प्रशासन अब इस दिशा में शोध शुरू कर रहा है।
सस्ती व मिलावटी शराब से ब्लड कैंसर की भी आशंका
सिविल अस्पताल में कार्यरत फिजीशियन डॉ. चंद्रशेखर ने बताया कि शराब में मिथाइल अल्कोहल व मैक्सीलिन की अधिकता के कारण लीवर व भोजन की नली का कैंसर तेजी से फैलता है। उन्होंने बताया कि मिलावटी शराब व सस्ती शराब का सेवन करने से ब्लड कैंसर भी होने की आशंका बनी रहती है। देसी शराब बनाते समय लापरवाही या अज्ञानतावश उसमें लोग भारी धातुओं का प्रयोग करते हैं व शराब बनाने के लिए जिंक वाले पात्रों का उपयोग करने से भी इसके कारकों में वृद्धि होती है। क्यों कि ज्यादा तापमान में शराब बनाते समय जिंक वाले पात्र का कुछ अंश शराब में घुल जाता है। जिंक भारी धातुओं में आता है और इस तरह शराब कैंसर का कारक बनती है।
क्या कहते हैं यूनिवर्सिटी के वीसी
बाबा फरीद यूनिवर्सिटी के वीसी डॉ. एसएस गिल ने बताया कि सेमिनार के दौरान जो तथ्य सामने आए हैं वह चौकाने वाले हैं, ऐसी स्थित को देखते हुए पूरे राज्य में यूनिवर्सिटी द्वारा सर्वे किया जाएगा। साथ ही यूनिवर्सिटी इस विषय पर रिसर्च भी करेगी कि आखिर वह क्या कारण हैं जिनके चलते शराब पीने से लोग कैंसर की चपेट में आ रहे हैं।
शराब के नहीं भरे जाते सैंपल
जिला स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. सुरेंद्र कुमार ने बताया कि पिछले कई सालों से शराब के सैंपल नहीं भरे जा रहे हैं। उन्होंने इस आशय का एक पत्र विभाग के उच्च अधिकारियों को भी भेजा है। शराब के सैंपल नहीं भरे जाने से देसी व ब्रांडेड शराब के निर्माता ज्यादा से ज्यादा लाभ पाने के लिए शराब में अपनी सुविधा अनुसार वस्तुएं मिलाकर बेखौफ बेच रहे हैं, जिसे लोग पीकर गंभीर बीमारियों की चपेट में आ रहे हैं।
पंजाब, हरियाणा व दिल्ली में शराब की ज्यादा होती है खपत-
एक सर्वे के अनुसार देश में जितनी शराब की खपत होती है, उसमें से तीन चौथाई शराब पंजाब, हरियाणा व दिल्ली के लोगों द्वारा पी जाती है। ऐसे हालात में यहां पर वैध व अवैध शराब निर्माताओं की भरमार है। इनसे सरकार को मिल रहे प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष लाभ से वह उन पर किसी प्रकार का अंकुश नहीं लगा पा रही है।