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हरियाणा में गर्मी ने तोड़े रिकार्ड, पानी का संकट भी गहराया

भीषण गर्मी के चलते हरियाणा के कई इलाकों में लोगों क सामने पानी का भारी संकट पैदा हो गया है। राज्य सरकार ने स्थिति की गंभीरता को समझते हुए करीब दो हजार पानी के टैंकर भेजने के निर्देश दिए हैं।

By Rajesh KumarEdited By: Published: Mon, 25 Apr 2016 04:53 PM (IST)Updated: Mon, 25 Apr 2016 05:09 PM (IST)
हरियाणा में गर्मी ने तोड़े रिकार्ड, पानी का संकट भी गहराया

राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। हरियाणा में गर्मी बढऩे के साथ ही पीने के पानी की समस्या गहराती जा रही है। हिसार, नारनौल और महेंद्रगढ़ राज्य के सबसे अधिक गर्म जिले हैं। प्रदेश सरकार ने ग्रामीण और शहरी इलाकों में पानी के करीब दो हजार टैंकर भेजने के निर्देश दिए हैैं, मगर अभी तक जन स्वास्थ्य एवं अभियांत्रिकी विभाग और शहरी निकाय विभाग ने पानी की कमी वाले इलाकों में टैंकर भेजने चालू नहीं किए हैं।

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प्रदेश के करीब 900 गांव ऐसे हैैं, जहां पानी की बेहद किल्लत है और अधिकतर गांव दक्षिण हरियाणा में पड़ते हैैं। दो हजार टैैंकर किन इलाकों में जाएंगे और जल वितरण का क्या फार्मूला अपनाया गया है, इस बारे में जन स्वास्थ्य एवं अभियांत्रिकी तथा शहरी निकाय विभाग के अधिकारी स्पष्ट नहीं हैैं।

प्रदेश में 6804 गांव हैैं। इनमें से 127 गांव ऐसे हैैं, जहां सिर्फ 40 लीटर प्रति दिन प्रति व्यक्ति पानी उपलब्ध कराया जा रहा है। 4062 गांवों में 40 से 55 लीटर और 2615 गांवों में 70 लीटर पानी प्रति दिन प्रति व्यक्ति उपलब्धता का दावा किया जा रहा है, लेकिन दक्षिण हरियाणा के महेंद्रगढ़, रेवाड़ी और गुडग़ांव के ग्रामीण इलाकों में बेहद बुरा हाल है। भिवानी का बड़ा एरिया भी पेयजल किल्लत से जूझ रहा है।

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जल संकट की ओर बढ़ रही दिल्ली, भाजपा ने कहा- पड़ोसी राज्यों से बात करें सीएमप्रदेश के 31 शहर ऐसे हैैं, जहां 135 लीटर पानी प्रति दिन प्रति व्यक्ति उपलब्ध हो रहा है, जबकि 25 शहरों में 110 से 135 लीटर और 22 शहरों में 70 से 110 लीटर पानी की सप्लाई का दावा किया गया है। औसत एक व्यक्ति को 70 लीटर पानी की जरूरत होती है, लेकिन गांवों में यह फार्मूला पूरी तरह से नजर अंदाज हो रहा है।

सूखे की वजह से सूखते जा रहे ट्यूबवेल

प्रदेश में सूखे के हालात हैैं। केंद्र से भी राज्य को आर्थिक सहयोग नहीं मिला है। राज्य के ट्यूबवेल सूखते जा रहे हैैं। दक्षिण हरियाणा में 500 गांवों के लिए पेयजल परियोजना धन के अभाव में लटकी हुई है। प्रदेश का जल स्तर औसत 18 मीटर तक पहुंच गया है। सबसे भयावह स्थिति महेंद्रगढ़ की 34.33 मीटर की है। रेवाड़ी में 24.63 प्रतिशत, कुरुक्षेत्र में 34 मीटर, भिवानी में 23 मीटर, फतेहाबाद में 24 मीटर, गुडग़ांव में 26 मीटर और कैथल में 25 मीटर नीचे तक पानी है। यह दावा सरकारी है, लेकिन असलियत यह है कि जल स्तर इससे भी अधिक नीचे चला गया है।

पानी की गुणवत्ता भी खतरे में पड़ी

प्रदेश में पानी की गुणवत्ता भी खतरे में पड़ गई है। ऐसे क्षेत्र जहां राज्य में पानी गहराई पर है, वहां सिर्फ 36 प्रतिशत क्षेत्र में ही पानी की गुणवत्ता ठीक है जबकि शेष 64 प्रतिशत क्षेत्र में पानी सामान्य या खारा है। ऐसे क्षेत्र जहां भूमिगत जल ऊपर उपलब्ध है, वहां पर अच्छी गुणवत्ता वाला पानी 48 प्रतिशत क्षेत्र में उपलब्ध है और 11 प्रतिशत क्षेत्र पूरी तरह खारा हो गया है।


राज्य का जल स्तर खिसक रहा नीचे

प्रदेश के 44212 वर्ग किलोमीटर भूमिगत जल क्षेत्र में से 5342 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में भूमिगत जल का स्तर 20 मीटर से अधिक नीचे चला गया है जबकि 13899 वर्ग मीटर में भूमिगत जल का स्तर 10 से 20 मीटर पर चला गया। 16356 किलोमीटर क्षेत्र में भूमिगत जल का स्तर 12 मीटर है। 7997 वर्ग किलोमीटर भूमिगत जल का स्तर 8 मीटर पर है जबकि सिर्फ 1218 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र ही ऐसा है जहां भूमिगत जल का स्तर 5 से 7 मीटर तक है।


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