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20 रुपये दिहाड़ी पर खेतों में कपास चुगती थी सतनाम कौर, अब बनेगी वेटरनरी डॉक्टर

खेतों में 20 रुपये की दिहाड़ी पर कपास चुगने वाली लड़की अब डॉक्‍टर बनेगी। वह जल्‍द ही वेटरनरी डॉक्‍टर बन जाएगी। उसका सपना सांसद भगवंत मान की मदद से पूरा हुआ है।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Sun, 01 Sep 2019 10:14 AM (IST)Updated: Sun, 01 Sep 2019 09:05 PM (IST)
20 रुपये दिहाड़ी पर खेतों में कपास चुगती थी सतनाम कौर, अब बनेगी वेटरनरी डॉक्टर
20 रुपये दिहाड़ी पर खेतों में कपास चुगती थी सतनाम कौर, अब बनेगी वेटरनरी डॉक्टर

चंडीगढ़, जेएनएन। खेतों में मजदूरी करने वाली गरीब छात्रा सतनाम कौर की कहानी अद्भूत और सपने को सच करने का हौसला देने वाली है। यह प्रतिभावान लड़की गरीबी के कारण खेतों में मजदूरी करने को विवश थी और उसकी पढ़ाई भी छूट गई थी। वह खेतों में रोज 20 रुपये की दिहाड़ी पर कपास चुगती थी। इसके बाद उसकी किस्‍मत जागी और मदद के लिए हाथ बढ़े तो उसका सपना साकार होने लगा।  वह अब जल्‍द ही वेटरनेरी डॉक्‍टर बन जाएगी।

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इससे पहले सतनाम ने एमबीबीएस के लिए 72वां रैक हासिल किया था, लेकिन 12वीं पंजाब से बाहर पास करने और गरीबी के कारण उसे राज्‍य में दाखिला नहीं मिल सका। सतनाम इस समय लुधियाना के गुरु अंगद देव वेटरनरी विज्ञान यूनिवर्सिटी में बीएससी की डिग्री करने के बाद वेटरनरी डॉक्टर बनने जा रही है।

सतनाम कौर फाजिल्का जिले के भारत-पाकिस्‍तान सीमा के पास स्थित गांव दोना नानका की रहनेवाली है। बेहद गरीब परिवार की सतनाम कौर छोटी कक्षा से पढा़ई लिखाई में अव्‍वल रही है। वह अपनी कक्षा में प्रथम स्‍थान हासिल करती थी और शिक्षक भी उससे बुहद प्रभावित रहते थे। बहुत ही गरीब परिवार की सतनाम कौर की शिक्षा आगे बढ़ी तो श्रमिक माता-पिता के लिए उसकी पढ़ाई का खर्च उठाना संभव नहीं रह गया।  

हालात यह हो गए कि उसकी पढ़ाई छूट सी गई और उसे खेतों में मजदूरी करनी पड़ी। वह 20 रुपये की दिहाड़ी पर खेतों में कपास चुनती थी। इसके बावजूद उसने हालात से हार नहीं मानी और मुसीबतों से जूझते हुए अपनी पढ़ाई जारी रखी। सतनाम की प्रतिभा का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि उसने एमबीबीएस में प्रवेश की परीक्षा में 72वां रैक हासिल किया था, लेकिन यहां भी गरीबी आड़े आ गई और वह आगे दाखिला नहीं ले सकी। इसके साथ ही 12वीं बाहर के राज्य से करना भी आड़े आ गया।

सतनाम ने इससे पहले पांचवीं कक्षा की परीक्षा में भी कुल 450 अंकों में 446 अंक हासिल कर प्रदेश में पहला स्‍थान प्राप्‍त किया था। मेडिकल में दाखिला नहीं मिलने से सतनाम निराश हो गई। इस बारे में उसके माता-पिता का कहना था कि वह बेटी की पढ़ाई का खर्च उठाने में सक्षम नहीं हैं। इसी बीच सांसद भगवंत मान को सतनाम के बारे में जानकारी मिली तो उन्‍होंने मदद की पहल की। भगवंत मान कहते हैं कि सिर्फ उच्च शिक्षा ही देश और गांवों में गरीबी का अंधेरा मिटा सकती है। प्रतिभावान बच्‍चों को मदद मिले तो वे अपनी मंजिल हा‍सिल करने के साथ ही समाज को नई दिशा दिखा सकेंगे।

भगवंत मान ने कहा, 'आज सतनाम कौर से मिल कर अत्यंत खुशी हुई। मान ने बताया कि अखबारों में उसके बारे में छपी खबर पढ़ कर उससे मिलने वह उसके गांव पहुंचे। वह जब उसके स्कूल पहुंचे तो पता चला कि सतनाम कौर किसी के खेत में 20 रुपए दिहाड़ी पर नरमा चुगने गई है।'

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भगवंत मान ने कहा, 'यह सुन कर मैं सुन्न हो गया। जब उसके माता पिता के साथ बात की तो उन्होंने कहा कि गरीबी के सतनाम को आगे नहीं पढ़ा सकते। कुछ एनआरआइ मित्रों की सहायता से सतनाम कौर का बड़ू साहिब एकेडमी में दाखिला करवाया।'

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इसके बाद पढऩे में बेहद होशियार सतनाम कौर ने बारहवीं के बाद एमबीबीएस व वेटरनरी डॉक्टर की परीक्षा पास की। सतनाम कौर ने कहा कि भगवंत मान के कारण न सिर्फ मेरी बल्कि मेरे परिवार की जिंदगी भी बदल गई। हमारे गांवों में मेरे जैसे बहुत गरीब और होनहार विद्यार्थी हैं, जिनको सरकार व समाज की मदद की जरूरत है।

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