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पीजीआइ में दुर्लभ सर्जरी, आपस में जुड़ी बच्चियों को किया अलग

यहां पीजीअाइ में दुर्लभ सजर्री कर आपस में जुड़ीं दो नवजात बच्चियों की नया जीवन दिया गया। जन्नत और मन्नत नाम की ये बच्चियां आपस में पेट और छाती के निचले हिस्से से जुड़ी थीं। दोनों बच्चियां बेहद कमजोर थीं ओर दोनों का वजन मिलाकर महज तीन किलोग्राम था।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Mon, 30 Nov 2015 07:20 PM (IST)Updated: Tue, 01 Dec 2015 11:20 AM (IST)
पीजीआइ में दुर्लभ सर्जरी, आपस में जुड़ी बच्चियों को किया अलग

जागरण संवाददाता, चंडीगढ़। यहां पीजीअाइ में दुर्लभ सजर्री कर आपस में जुड़ीं दो नवजात बच्चियों की नया जीवन दिया गया। जन्नत और मन्नत नाम की ये बच्चियां आपस में पेट और छाती के निचले हिस्से से जुड़ी थीं। दोनों बच्चियां बेहद कमजोर थीं ओर दोनों का वजन मिलाकर महज तीन किलोग्राम था।

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बच्चियाें के परिजन अंबाला के बराड़ा के हैं। जन्म के बाद उनको आपस में जुड़ा देखकर परिजन परेशान हो गए थे। उन्होंने दाेनों को कई अस्पतालाें में दिखाया, लेकिन कोई हल नजर नहीं आया। बच्चियों के पिता सलीम अंबाला के बराड़ा का रहनेवाला है और वहां अनाजमंडी में पल्लेदारी का काम करता है।

लाखों का था खर्च, पीजीआइ ने मुफ्त में किया आपरेशन

सलीम ने बताया कि प्राइवेट अस्पताल में इनके इलाज का खर्च 10 लाख बताया गया था। यह खर्च उसके बूते से बाहर था। इसके बाद वह उन्हें पीजीआइ लेकर आया। पीजीआइ ने मुफ्त में आपेरशन कर उनकी बेटियों को नया जीचन दिया।

आपरेशन के बाद दोनों बच्चियां।

इसके बाद वे दाेनों को लेकर चंडीगए़ पीजीआइ आए। पेडियेट्रिक की सर्जिकल टीम ने बच्चों का आंकलन कर सर्जरी की योजना बनाई। लेकिन, इसमें उनका बेहद कमजोर होना सबसे बड़ी बाधा था। डाक्टरों ने फैसला किया कि सर्जरी दोनों शारीरिक तौर पर मजबूत होने पर किया जाएगा।

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इस दौरान सीटी स्कैन और एमआरआइ से देखा गया कि कहीं दोनों एक ही शारीरिक अंग तो सांझा नहीं कर रहे।जांच में पता चला कि इनका लीवर ही सांझे तौर पर काम कर रहा था। खुशकिस्मती से अन्य सब अंग अलग अलग थे। सर्जरी टीम ने बच्चियों के तीन माह के होने पर सर्जरी की योजना बनाई। इस समय इन बच्चों का वजन 4.2 किलो था।

पेडियेट्रिक सर्जरी टीम के अलावा, एनेस्थीसिया टीम, पेडियेट्रिक आईसीयू और रेडियोलॉजिस्ट्स की टीम ने आपस में विचार-विमर्श कर सर्जरी की योजना तैयार की। बच्चों का परिवार गरीब है लिहाजा पीजीआई प्रबंधन की तरफ से महंगी सर्जरी का सारा सामान मुफ्त उपलब्ध कराया गया। सर्जरी के लिए दो एनेस्थीसिया टीम, दो पोस्ट आपरेटिव केयर टीम तैयार की गई। इसके लिए दो आपरेशन थियेटर तैयार किए गए।

बच्चियों की सर्जरी करनेवाली मेडिकल टीम।

इसके बाद अरीब आठ घंटे की दुर्लभ सर्जरी के बाद दोनों बच्चियों अलग किया गया। सर्जरी के तत्काल बाद जन्नत की तबियत बिलकुल ठीकठाक रही लेकिन मन्नत चूंकि छोटी थी लिहाजा उसे कुछ समय तक वेंटीलेटर पर रखना पड़ा। आपरेशन करने वाली मेडिकल टीम का कहना है कि अब दोनों नन्ही परियां सही सलामत हैं और तेजी से रिकवर कर रही हैं। उनको जल्द ही अस्पताल से डिस्चार्ज कर उनके घर भेज दिया जाएगा।

अस्पताल प्रशासन ने बच्चियों के माता पिता की भी सराहना की जिन्होंने दोनों बच्चियों को बचाने का अथक प्रयास किया और अपनी दृढ़ इच्छा शक्ति दिखाई। डाक्टरों का कहना है कि इस तरह के केस बड़े दुर्लभ होते हैं और अपनी संपूर्ण जिंदगी के दौरान सर्जन या किसी अन्य डाक्टर को महज दो या तीन केस ही देखने को मिलते हैं।

जीवन में लीवर संबंधी कोई दिक्कत नहीं होगी : डा. रवि

सर्जरी टीम के अहम सदस्य रहे पीजीआई के पेडियेट्रिक सर्जरी विभाग के एसोशिएट प्रोफेसर डा. रवि कन्नौजिया ने कहा कि दोनों बच्चों को एक ही लीवर जोड़ रहा था। लीवर को दोनों बच्चों में ऐसे विभाजित किया गया ताकि दोनों सामान्य जिंदगी व्यतीत कर सकें। इस वजह से उन्हें जीवन में लीवर से संबंधित किसी तरह की कोई परेशानी नहीं होगी।


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