मानसिक रोगों से निपटने को पॉलिसी बनाए पंजाब सरकार
जागरण संवाददाता, चंडीगढ़ : पंजाब में मानसिक रोगों के मामले लगातार बढ़ने को लेकर राज्य सरकार क
जागरण संवाददाता, चंडीगढ़ : पंजाब में मानसिक रोगों के मामले लगातार बढ़ने को लेकर राज्य सरकार को मानसिक रोगों को लेकर नई पॉलिसी बनाने की सलाह दी गई है। कहा गया है कि चाहे तो खुद की नई नीति बना लें या फिर राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य नीति को फॉलो कर लें। कहा गया है कि जिला मानसिक स्वास्थ कार्यक्रम को पंजाब के सभी जिलों में तुरंत प्रभाव से लागू किया जाए। जीएमसीएच-32 के मनोरोग विभाग के हेड प्रो. बीएस चवण और एनआइएमएचएएनएस बेंगलुरु के एक्सपर्ट समूह के डॉ. सुभाष दास ने पंजाब में मानसिक रोगों के भयावह हालातों को लेकर पहले रिपोर्ट जारी की है जिसके बाद राज्य सरकार को कुछ सुझाव दिए हैं। विशेषज्ञ डॉक्टरों ने कहा कि पंजाब सरकार को अपने स्वास्थ्य बजट के अंदर ही मानसिक स्वास्थ्य के लिए एक बजट अलग से भी रखना चाहिए। कुल स्वास्थ्य बजट में से कम से कम 5 प्रतिशत बजट मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं के लिए रखना चाहिए। पंजाब सरकार को राज्य स्वास्थ्य सेवाओं के अंदर ही एक स्पेशलिस्ट कैडर भी तैयार करना चाहिए ताकि मनोचिकित्सक भी राज्य की स्वास्थ्य सेवाओं में शामिल हो सके। इन्हें जिला और सीएचसी स्तर पर तैनात किया जाए। पंजाब के प्रत्येक जिला अस्पताल में 10 बेड साइकेट्री यूनिट के लिए होने चाहिए। इससे पंजाब में काफी हद तक बढ़ चुके मानसिक स्वास्थ्य संकट और इमरजेंसी से निपटने में मदद मिलेगी। सभी मेडिकल अधिकारियों और अन्य हेल्थ केयर स्टाफ को भी मानसिक स्वास्थ्य प्रशिक्षण प्रदान किया जाना चाहिए। पूरा साल जिला अस्पताल और सीएचसी में जरूरी साइकोट्रॉपिक दवाओं की उपलब्धता को भी सुनिश्चित किया जाए। राज्य सरकार को अपनी एक अलग मानसिक स्वास्थ नीति को भी तैयार करना चाहिए। राज्य में मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञों की कमी को देखते हुए सरकार को मानसिक स्वास्थ्य के क्षेत्र में मानव संसाधनों को बढ़ाना चाहिए।
आशा वर्कर्स की संख्या बढ़ाई जाए
एमडी इन साइकेट्री, एमफिल इन क्लीनिकल साइकोलॉजी, एमफिल इन साइकेट्री सोशल वर्क और डिप्लोमा इन साइकेट्री नर्सिग को भी शुरू कर देना चाहिए। मेडिकल अधिकारियों, सोशल वर्कर्स और साइकोलॉजिस्ट्स की कम अवधि की ट्रेनिंग शुरू किए जाने की जरूरत है। सेंटर ऑफ एक्सीलेंस, डिपार्टमेंट ऑफ साइकेट्री, गर्वनमेंट मेडिकल कॉलेज चंडीगढ़ से भी कम अवधि की ट्रेनिंग में मदद के लिए पूछा जा सकता है। स्वास्थ्य विभाग के (आशा वर्कर्स, एएनएम और आगनबाड़ी वर्कर्स) की संख्या को बढ़ाया जाए और छोटे-छोटे वित्तीय प्रोत्साहन के साथ उनकी मदद से जागरुकता बढ़ाई जाए।