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जाम हटाने के लिए दांव पर मरीजों की जिंदगी, हर घंटे आती है 15 एंबुलेंस

पीजीआइ में हर एक घंटे में करबी 10 से 15 एंबुलेंस आती हैं। कुल मिलाकर दिन भर में में 100 से भी ज्यादा एंबुलेंस होती हैं। लेकिन जाम हटाने के लिए इन्हें गलत गेट से एंट्री दी जाती है।

By Ankit KumarEdited By: Published: Sat, 29 Apr 2017 12:11 PM (IST)Updated: Sat, 29 Apr 2017 12:11 PM (IST)
जाम हटाने के लिए दांव पर मरीजों की जिंदगी, हर घंटे आती है 15 एंबुलेंस
जाम हटाने के लिए दांव पर मरीजों की जिंदगी, हर घंटे आती है 15 एंबुलेंस

चंडीगढ़, [डॉ. रविंद्र मलिक]। पीजीआइ प्रशासन और ट्रैफिक पुलिस की सहमति से पीजीआइ के गेट नंबर पर एक पर जाम का हवाला देकर पिछले महीने बैरिकेडिंग कर दी गई। एक बार भी यह नहीं सोचा गया कि इस फैसले से गंभीर रूप से बीमार या चोटिल मरीजों का क्या होगा। इस कारण संस्थान में मरीज लेकर आ रहे वाहनों को करीब एक किलोमीटर के बाद यू-टर्न लेकर आना पड़ रहा है।

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इससे जहां मरीजों को अस्पताल पहुंचाने में ज्यादा समय लग रहा है, वहीं उनकी जान भी संकट में पड़ सकती है। क्योंकि गंभीर मरीजों के लिए पल-पल कीमती रहता है और इलाज में जरा सी भी देरी कई बार जानलेवा साबित हो सकती है। इससे बेहतर यह हो सकता था कि मरीजों को लेकर आ रही एंबुलेंस को गेट के सामने से ही आने दिया जाए और अन्य वाहनों के लिए बैरिकेडिंग का विकल्प रखा जाए। ऐसा करने के लिए ट्रैफिक पुलिस कर्मियों की आवश्यकता होती, लेकिन संबंधित विभाग ने सारा पचड़ा ही खत्म कर दिया। इस मामले पर एंबुलेंस चालकों ने भी माना कि एंबुलेंस के लिए बैरिकेडिंग नहीं होनी चाहिए। अन्य वाहनों के लिए यह विकल्प रहना चाहिए।

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लाइफ लाइन एंबुलेंस के ड्राइवर नरेंद्र ने कहा कि जाम जरूर कम हुआ है, लेकिन एंबुलेंस को घूमकर आना पड़ता है। इससे समय खराब होता है। गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज और अस्पताल-16 के एंबुलेंस चालक व सहायक दविंदर और अरविंद ने कहा कि जरी सी भी देरी भारी चूक में बदल सकती है। केयर एट होम एंबुलेस के चालक जगजीत ने कहा कि मुख्य गेट पर बैरिकेडिंग नहीं होनी चाहिए। एंबुलेंस की एंट्री मुख्य गेट से ही होनी चाहिए। पीजीआइ की एंबुलेंस चला रहे सुखविंदर ने कहा कि हम तो अंदर ही वैन चलाते हैं। बाहर से आने वाली एंबुलेंस को घूम कर आना पड़ता है जिससे परेशानी होती है।

कई एंबुलेंस गलत गेट से कर जाती हैं एंट्री

मुख्य गेट पर बैरिकेडिंग के चलते यूटर्न वाली जगह पीजीआइ के एक और गेट भी है जो रिहायशी इलाके की तरफ जाता है। बाहरी राज्यों से आने वाले एंबुलेंस चालकों को पीजीआइ की ज्यादा जानकारी नहीं होती है और वे लोग इसी गेट से एंट्री कर जाते हैं। बाद में उनको पता चलता है कि वे गलत गेट से अंदर आ गए हैं।

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कई राज्यों से हर घंटे करीब 15 एंबुलेंस आती हैं

पीजीआइ में हर एक घंटे में करीबन 10 से 15 एंबुलेंस आती हैं। इस लिहाज से दिन भर में पीजीआइ में 100 से भी ज्यादा एंबुलेंस आती हैं। बाहरी राज्यों से भी एंबुलेंस की लाइन नहीं टूटती है। हरियाणा, पंजाब, हिमाचल प्रदेश और जम्मू कश्मीर से एंबुलेंस मरीजों को लाती हैं। यूपी और बिहार से भी मरीज आते हैं।


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