आर्मी ज्वाइन नहीं कर पाए तो भी कायम रहा देशभक्ति का जज्बा, मोहाली के महेश राणा ने रक्तदान से बचाई सैंकड़ों की जान
मोहाली स्थित टाटा कम्यूनिकेशन कंपनी में जाॅब करने वाले महेश राणा ट्राईसिटी में जरुरतमंद लोगों को निशुल्क ब्लड उपलब्ध करवाते हैं।
चंडीगढ़, [डाॅ. सुमित सिंह श्योराण]। रक्तदान से किसी जरुरतमंद को नई जिंदगी देना किसी देशभक्ति से कम नहीं है। मैं पिता की तरह आर्मी ज्वाइन करना चाहता था, लेकिन कई प्रयासों के बाद भी सफल नहीं हो पाया। पिता ने समझाया कि सिर्फ आर्मी में जाकर ही नहीं, दूसरे तरीकों से भी समाज और देश सेवा की जा सकती है। तब मैने रक्तदान के मिशन से जुड़ने का फैसला लिया।
मोहाली स्थित टाटा कम्यूनिकेशन कंपनी में जाॅब करने वाले महेश राणा ट्राईसिटी में जरुरतमंद लोगों को निशुल्क ब्लड उपलब्ध करवाते हैं। तीन साल पहले इन्होंने गोबिंद ह्यूमेनिटी समाज सेवी संस्था शुरु की थी। जिसके माध्यम से वह सैंकड़ों लोगों की ब्लड देकर मदद कर चुके हैं। हिमाचल स्थित ऊना के मूल निवासी महेश राणा ने बताया कि 12वीं के बाद पहली बार रक्तदान किया। लेकिन बीते पांच सालों से लगातार 26 बार रक्तदान और 7 बार प्लेटलेट्स दे चुके हैं। 33 साल के महेश ने दैनिक जागरण को बताया कि वह स्कूल, काॅलेज और यूनिवर्सिटी में स्टूडेंट्स के सहयोग से रक्तदान जागरुकता अभियान चलाते हैं।
600 लोग जुड़े हैं रक्तदाता ग्रुप में
महेश ने बताया कि ब्लड डोनर को जोड़ने का पूरा प्रोसेस व्हाट्सअप और सोशल मीडिया के माध्यम से चलता है। उन्होंने बताया कि उनके तीन ग्रुप में करीब 600 रेगुलर डोनर जुड़े हैं। खास बात यह है कि इसमें 50 से अधिक महिलाएं हैं। रुटीन में 3 से 4 मरीजों को ब्लड उपलब्ध करवाया जा रहा है। कई बार 15 से 20 तक भी डिमांड आती है। इस अभियान में ट्राईसिटी के साथ ही बाहर के भी कुछ लोग जुड़ चुके हैं। जैसे ही ब्लड की डिमांड आती है, तुरंत उस अस्पताल के आसपास ब्लड डोनर आधे घंटे में पहुंच जाता है। महेश ने बताया कि निशुल्क ब्लड डोनेशन का प्रोजेक्ट ऊना में भी जारी है। ब्लड के लिए कोई भी हेल्पलाइन नंबर 8427781772 पर संपर्क कर सकता है। ग्रुप से जुड़ी मोली जागरा निवासी दीपिका कश्यप ने कहा कि किसी जरुरतमंद की मदद करके अच्छा लगता है। महिलाओं को भी इस नेक काम में आगे आना चाहिए।
मोली जागरा निवासी दीपिका कश्यप।
मरीजों को निशुल्क दवाइयां
राणा ने बताया कि अस्पतालों में काफी ऐसे मरीज भी होते हैं, जिनके पास दवाओं और प्लेटलेट्स किट के लिए पैसे नहीं होते। ऐसे में ग्रुप के सभी सदस्य मिलकर उन लोगों की मदद करते हैं। ग्रुप से जुड़े लोग लाॅकडाउन में खाने के अलावा सर्दी में जरुरतमंदों को कपड़े वितरित करते हैं।