अज्ञात शवों के लिए मुक्ति के द्वार खोलता मदन लाल
विकास शर्मा, चंडीगढ़ : आंखों पर चश्मा, बाल पूरी तरह से सफेद, चेहरा गंभीर, जुबान बिल्कुल धीमी, लेि
विकास शर्मा, चंडीगढ़ : आंखों पर चश्मा, बाल पूरी तरह से सफेद, चेहरा गंभीर, जुबान बिल्कुल धीमी, लेकिन सेवा का जज्बा एकदम बुलंद। इसी तरह की शख्सियत के मालिक हैं 63 साल के मदन लाल वशिष्ठ, जोकि पिछले 19 सालों से चंडीगढ़ में मिलने वाले अज्ञात शवों का दाह संस्कार कर रहे हैं। मूल रूप से हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर के रहने वाले मदन लाल फिलहाल मौलीजागरां में रहते हैं और रोजी रोटी के लिए कानून की किताबों को कमीशन पर बेचने का काम करते हैं, बावजूद इसके जब भी उन्हें पुलिस या जीआरपी की तरफ से अज्ञात शव मिलने की सूचना मिलती है तो वह सब कुछ छोड़कर उसका दाह संस्कार करने के लिए चल पड़ते हैं। प्रति शव का संस्कार करने के बाद नगर निगम ऑल इंडिया सेवा समिति उन्हें दो हजार रुपए देती है।
मदन लाल ने बताया कि साल 2014 में उन्होंने 167 अज्ञात शव, साल 2015 में 185 व 2016 में 158 शवों का दाह संस्कार किया। इतना ही नहीं सभी शवों का दाह संस्कार करने के बाद अस्थ विसर्जित करने के लिए विशेष तौर पर हरिद्वार जाते हैं, जहां पूरे धर्मकर्म के साथ उनका अंतिम संस्कार किया जाता है। मदन लाल अभी तक 1540 लोगों का अंतिम संस्कार कर चुके हैं।
ऑल इंडिया सेवा समिति चंडीगढ़ के सदस्य से लेकर कर्ताधर्ता सब कुछ मदन लाल वशिष्ठ ही हैं। उन्होंने बताया कि ऐसे संगठन से कौन जुड़ना चाहेगा, जोकि गले-सड़े शवों का दाह संस्कार करता हो। समाज तेजी से बदल रहा है, लोगों की सोच बदल रही है। लोग अपने बूढ़े मां-बाप को घर में बर्दाश्त नहीं करते, तो किसी दूसरे के शव के साथ क्यों हाथ लगाएंगे। इसलिए पिछले कई सालों से अकेला ही इस सेवा में जुटा हूं। कुछ लोग आगे बढ़ते हैं, लेकिन दो-चार बार श्मशानघाट जाने के बाद दोबारा नहीं दिखते हैं।
समाज से भी मिलता है सहयोग
मदन लाल वशिष्ठ ने बताया कि वह सालों से इस सेवा में जुटे हुए हैं। इन सब कामों को करने में किसी तरह की कोई परेशानी नहीं होती है। कई बार एक दिन में पांच-पांच अज्ञात शवों को जलाया है। एंबुलेंस, कपड़ा व्यापारी, पंडित व श्मशानघाट वाले सब ऐसे अज्ञात शवों का दाह संस्कार करने के लिए मदद करते हैं।
चंडीगढ़ पुलिस नहीं करती सहयोग
मदन लाल वशिष्ठ ने बताया कि हरियाणा व पंजाब जीआरपी पुलिस तो अज्ञात शव मिलने पर पूरी तरह से सहयोग करती हैं और शिनाख्त के 72 घंटे बाद शव को दाह संस्कार के लिए दे देती है। लेकिन कुछ मामलों में चंडीगढ़ पुलिस शव को 120 दिन तक रोके रखती है। इसके बाद शव का दाह संस्कार करना काफी मुश्किल हो जाता है।