चंडीगढ़ खो रहा कार्बूजिए की नियोजित विरासत
जागरण संवाददाता, मोहाली : किसी भी शहर का मास्टर प्लान उसकी रीढ़ की हड्डी साबित होता है।
जागरण संवाददाता, मोहाली : किसी भी शहर का मास्टर प्लान उसकी रीढ़ की हड्डी साबित होता है। इसलिए शहर का मास्टर प्लान तैयार करते समय आधुनिक तकनीक तथा उस जगह की धरोहर को बरकरार रखने के उद्देश्य से संतुलन बनाए रखना महत्वपूर्ण है। यह बात यूनेस्को यूनिवर्सिटी इस्टीटयूट ऑफ आर्किटेक्चर के सलाहकार डॉ. गोफ्रेडो सेरिनी ने चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी द्वारा ट्रेंड इन आर्किटेक्चर एंड कंस्ट्रक्शन पर आयोजित अंतरराष्ट्रीय काफ्रेस आइसीटीएसी-2017 दौरान प्रकट किए। डॉ. गोफ्रेडो ने कहा कि हालाकि चंडीगढ़ एक आदर्श और भविष्यवादी शहर है, लेकिन फिर भी बदलते समय के साथ कई समस्याएं उत्पन हुई हैं, जिनका समाधान फ्रेंच आर्किटेक्ट ली कार्बूजिए के मास्टर प्लान में संभव नहीं हो सका। चंडीगढ़ स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट पर काम करने वाले आर्किटेक्ट माहिरों को ली कार्बूजिए की विचारधारा तथा विरासत बरकरार रखने की जरूरत है। डॉ. गोफ्रेडो ने चंडीगढ़ को स्मार्ट सिटी बनाने हेतु स्मार्ट पब्लिक ट्रासपोर्ट, सड़क यातायात पर नियंत्रण तथा हरियाली बरकरार रखने जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्र में काम करने की जरूरत पर बल दिया।
खो दिए खुले मैदान
यूनेस्को के सलाहकार के अनुसार चंडीगढ़ शहर ने पिछले पाच दशकों में ली कार्बूजिए द्वारा नियोजित खुले मैदान खो दिए हैं। जिसके कारण मौजूदा हालात में चंडीगढ़ शहर को भीष्ण गर्मी तथा वर्षा के अभाव जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। उन्होंने सुखना झील की सराहना करते हुए कहा कि यह मानव निर्मित झील चंडीगढ़ में बस रहे विभिन्न समुदायों के लोगों में साझेपन के प्रतीक के रूप में उभरकर सामने आई है तथा मानव और प्रकृति के बीच एक संपर्क बिंदु का काम भी करती है। चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी घड़ूंआ में आयोजित इस एक दिवसीय अंतरराष्ट्रीय कांफ्रेंस में भारत, स्पेन, इटली, यूएस, यूके और फलीस्तीन जैसे 6 देशों के आर्किटेक्ट प्रोफेशनल, रिसर्च स्कॉलर्स और आर्किटेक्ट विशेषज्ञों ने भाग लिया। यूनिवर्सिटी ऑफ लोरेंस, इटली के प्रो. फ्रासेस्को अल्बर्टी ने कहा कि, फ्लोरेंस और चंडीगढ़ शहर को अपने देशों के लिए एक प्रतीकात्मक शहर कहा जा सकता है। क्योंकि दोनों शहर आधुनिक प्रगति तथा योजनाबद्ध तरीके से की गई शहरीकरण का उदाहरण पेश करती है। प्रो. अल्बर्टी ने कहा कि आधुनिक शहर फ्लोरेंस में कई भवनों को चंडीगढ़ में इस्तेमाल की गई कंक्रीट द्वारा निर्मित संरचनाओं के आधार पर बनाया गया है। चीफ आर्किटेक्ट, पंजाब सरकार सपना ने ऊर्जा संरक्षण तकनीकों के उपयोग के लिए बल दिया क्योंकि भारत सरकार विकास नीतियों की दिशा में काम कर रही है जो निर्माण उद्योग में आवश्यक ऊर्जा की बचत करने में मदद कर सकती हैं। उन्होंने कहा कि पंजाब में बीईई (ऊर्जा दक्षता ब्यूरो) और पेडा (पंजाब ऊर्जा विकास एजेंसी) जैसी एजेंसिया ऊर्जा संरक्षण निर्माण कोड (ईसीबीसी) के अंतर्गत राज्य में सभी इमारतों के निर्माण के लिए न्यूनतम ऊर्जा मानकों को स्थापित करने का प्रयास कर रही है।
इन्होंने भी रखे विचार
आइसीटीएसी-2017 के दौरान भाग लेने वाले अन्य प्रमुख वक्ताओं में प्रो डॉ. रोमेल मेहता, परिदृश्य वास्तुकार व विशेष सदस्य, विरासत संरक्षण समिति, शहरी विकास मंत्रालय, भारत सरकार, प्रो. डॉ. मोहम्मद गमाल, चेयर इन आर्किटेक्चर यूनिवर्सिटी लीड, नाटिंघम ट्रेंट यूनिवर्सिटी अध्यक्ष, वैश्विक विरासत अनुसंधान, प्रो. पाऊ सोलमोलिरिस, डीन, स्पेन विश्वविद्यालय, प्रो. एंथनी टेतेरत, रिसर्च असिस्टेंट लेक्चरर, होवेस्ट यूनिवर्सिटी, प्रो. रफाएल पलोसिआ, डिपार्टमेंट ऑफ आर्किटेक्चर, यूनिवर्सिटी ऑफ फ्लोरेंस आदि शामिल हुए। संस्थान प्रबंधन ने आए हुए वक्ताओं का स्वागत किया।