घुग्गी के स्वर भी तीखे, कहा-दूसरे दल बना सकते हैं आप विधायकों को शिकार
पंजाब में आम आदमी पार्टी में बयानबाजी का दौर थम नहीं रहा है। भगवंत मान के बाद अब पार्टी के पंजाब कन्वीनर गुरप्रीत सिंह बड़ैच घुग्गी के स्वर भी तीखे हो गए हैं।
जेएनएन, चंडीगढ़। आम आदमी पाटीं की पंजाब इकाई में बगावत के स्वर लगातार तेज हो रहे हैं। सांसद भगवंत मान के बाद आप के पंजाब संयोजक गुरप्रीत सिंह बड़ैच घुग्गी के भी स्वर बगावती हो गए हैं। उन्होंने पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व पर हमले किए हैं। इसके साथ ही उन्होंने पार्टी के संजय सिंह और दुर्गेश पाठक के इस्तीफे पर भी सवाल उठाए हैं। इसके साथ ही उन्होंने पंजाब में आप के विधायकों के अन्य दलों में जाने का खतरा भी बताया।
संजय और दुर्गेश के इस्तीफे को देरी से उठाया कदम बताया
घुग्गी ने पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व पर गंभीर सवाल उठाए हैं। घुग्गी ने कहा कि पार्टी नेतृत्व स्थानीय नेतृत्व वालियंटर्स से कट चुका है। पार्टी नेतृत्व को चाहिए था कि वह इस दूरी को खत्म करता। दोनों को साथ मिलकर चलना चाहिए था, लेकिन ऐसा नहीं हुआ आैर विधानसभा चुनाव में आप को इसका खमियाजा भुगतना पड़ा।
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उन्होंने कहा कि पार्टी की स्थिति को देखते हुए आप के विधायकों का प्रतिद्वंद्वी पार्टियों का शिकार बनने का खतरा है। उन्होंने कहा कि पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व ने स्थानीय नेतृत्व और वालियंटर्स से दूरी बना ली है व उनकी उपेक्षा कर रहा है। इससे वालियंटर्स अौर जनता के पार्टी से दूर होेने की संभावना बढ़ सकती है। ऐसे में हमें हालात पर चिंतन करने चाहिए। हम हालात के ऐसे नहीं छोड़ सकते और सुधार के लिए तुरंत कदम उठाने की जरूरत है। उन्होंने कहा, मैं पार्टी के राजनीतिक मामलों की समिति (पीएसी) की अगली बैठक में इस मामले को उठाऊंगा।
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संजय व दुर्गेश के इस्तीफे को पहले इस्तीफा देना चाहिए थे
घुग्घी ने पार्टी के पंजाब प्रभारी संजय सिंह और उप प्रभारी दुर्गेश पाठक के इस्तीफे में देरी पर भी सवाल उठाया। उन्होंने कहा कि दोनों के इस्तीफे का अब कोई मतलब नहीं बनता था। जब पंजाब विधानसभा चुनाव के परिणाम सामने आए थे और पार्टी के निराशाजनक प्रदर्शन के बाद ही संजय सिंह व दुर्गेश पाठक को इस्तीफा दे देना चाहिए था। उन्होंने उम्मीद जताई कि दोनों के इस्तीफे के बाद पार्टी संगठन में नए सिरे से फेरबदल होगी।
पार्टी में तेज हुई वर्चस्व की लड़ाई
संजय सिंह व दुर्गेश पाठक के इस्तीफे के बाद पंजाब में पार्टी के नेताओं में वर्चस्व की जंग भी तेज हो गई है। अंदरखाते पंजाब के नेता संजय सिंह व दुर्गेश पाठक के इस्तीफे को लेकर खुश हैं। साथ ही पंजाब में आप की कमान के लिए नेताओं में पहले से ही जारी शीतयुद्ध तेज हो गया है।
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विधानसभा चुनाव से पहले आप टिकट बंटवारे के लिए मोटी रकम वसूलने के आरोप-प्रत्यारोप के बाद से ही पंजाब के नेताओं में असंतोष का माहौल बन गया था। संजय सिंह व दुर्गेश पाठक पर कई बार मोटी रकम लेने के आरोप भी लगे थे। स्थानीय नेताआें का दर्द है कि नेृतत्व ने इन आरोपों की अनदेखी की। विधानसभा चुनाव के बाद से दोनों नेता दोबारा पंजाब में दिखाई भी नहीं पड़े। इसके बाद ही पार्टी में नेतृत्व को लेकर शीत युद्ध शुरू हो गया था।
पंजाब चुनाव में हार के बाद चुप्पी साध कर बैठे आप नेताओं को दिल्ली की हार के बाद पार्टी के दिग्गजों पर भी सवाल उठाने के मौके मिले और उसी का नतीजा है कि बीते तीन-चार दिनों से भगवंत मान, सुखपाल खैहरा, घुग्घी तथा फूलका खुल कर सवाल उठाने लगे हैं।
पार्टी के प्रवक्ता व चीफ व्हिप सुखपाल सिंह खैहरा ने संजय सिंह व दुर्गेश के इस्तीफे का स्वागत किया। उन्होंने कहा कि दोनों के पद छोड़ने के बाद पार्टी दोबारा उभरेगी। पार्टी में चल रही जंग के सवाल पर कहा कि पार्टी की भलाई के लिए कुछ मुद्दों पर बेबाक बातचीत होनी चाहिए, तभी उनका हल निकलता है।
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परफारमेंस को लेकर पार्टी को मंथन करना चाहिए : मान
पार्टी के वरिष्ठ नेता व सांसद भगवंत मान ने कहा, विधानसभा चुनाव में खराब परफारमेंस को लेकर पार्टी को उल्टे-सीधे आरोप लगाने की बजाय आत्ममंथन करके किसी परिणाम पर पहुंचना चाहिए। मैं काफी पहले से इस बात को उठा रहा हूं। इस्तीफा किसी बात का हल नहीं होता है, अगर समय रहते हमने अपनी खामियों को दूर कर लिया होता तो आज पार्टी की परफारमेंस ऐसी न होती। सभी से राय लेने के बाद किसी निष्कर्ष पर पहुंचना सही होता है, न कि चंद लोगों की राय से।
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परिवार की तरह है पार्टी : फूलका
आम आदमी पार्टी के विधायक दल के नेता व विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष एडवोकेट एचएस फूलका ने कहा है कि कुछ साल पुरानी पार्टी है, लेकिन दशकों पुरानी पार्टियों से मजबूत है। हार और जीत की जिम्मेवारी लेना हमारी नैतिक मजबूरी है। पार्टी में सब ठीक चल रहा है। फरफारमेंस हमेशा एक जैसी नहीं रहती है, पार्टी में कुछ मुद्दों को लेकर नए सिरे से फैसले लेने हैं। हाई कमान की जानकारी में सारी बातें हैं। हम जल्द ही सकारात्मक नतीजों पर पहुंच जाएंगे।