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पूर्व उप मुख्यमंत्री के ड्रीम प्रोजेक्ट को झटका, 70 फीसदी सेवा केंद्र होंगे बंद

मुख्य सचिव ने सेवा केंद्रों को बंद करने का अपना निर्णय सुनाने से पहले सभी डिप्टी कमिश्नरों के साथ वीडियो कॉफ्रेंसिंग के जरिये बातचीत कर उनका फीडबैक लिया।

By Ankit KumarEdited By: Published: Thu, 25 May 2017 12:30 PM (IST)Updated: Thu, 25 May 2017 12:30 PM (IST)
पूर्व उप मुख्यमंत्री के ड्रीम प्रोजेक्ट को झटका, 70 फीसदी सेवा केंद्र होंगे बंद
पूर्व उप मुख्यमंत्री के ड्रीम प्रोजेक्ट को झटका, 70 फीसदी सेवा केंद्र होंगे बंद

जेएनएन, चंडीगढ़। पूर्व उप मुख्यमंत्री सुखबीर बादल के 'ड्रीम प्रोजेक्ट' सेवा केंद्रों पर ताला लगना तय हो गया है। मुख्य सचिव करन अवतार सिंह ने इस संबंध में सभी डिप्टी कमिश्नरों को आदेश दे दिए हैं। वहीं सेवा केंद्र का इन्फ्रास्ट्रक्चर खत्म नहीं किया जाएगा। क्योंकि सरकार इस बात का विकल्प खोल कर रखना चाहती है कि भविष्य में अगर इन्हें दोबारा खोलने की जरूरत पड़ी, तो फिर से इन्फ्रास्ट्रक्टर खड़ा करने की जरूरत न पड़े।

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मुख्य सचिव ने सेवा केंद्रों को बंद करने का अपना निर्णय सुनाने से पहले सभी डिप्टी कमिश्नरों के साथ वीडियो कॉफ्रेंसिंग के जरिये बातचीत कर उनका फीडबैक लिया। अधिकांश जिलों में सेवा केंद्र का नकारात्मक रिस्पॉन्स मिला। इसे देखते हुए मुख्य सचिव ने 70 फीसद सेवा केंद्रों को बंद करने के लिए कहा। क्योंकि सेवा केंद्र अपना खर्च नहीं निकाल पा रहे थे। सरकार ने 30 फीसदी सेवा केंद्रों खुला रखने का फैसला डिप्टी कमिश्नरों पर छोड़ दिया है। यानी डीसी जिस सेवा केंद्र को खुला रखना चाहते हैं, उसे खुला रख सकते हैं। बाकी को बंद कर सकते हैं।

पूर्व सरकार ने खोले थे 2100 सेवा केंद्र

पूर्व अकाली-भाजपा सरकार ने 2100 के करीब सेवा केंद्र खोले थे। इसमें से 1400 के करीब ग्रामीण क्षेत्रों में और 700 करीब शहरी क्षेत्र में खोले गए थे। इनमें बिजली बिल, आधार कार्ड बनवाने, जन्म मृत्यु प्रमाण पत्र, हथियारों के लाइसेंस आदि के आवेदन करने समेत करीब 67 सेवाओं की सुविधा दी जा रही थी। लेकिन सेवा केंद्रों में दी जा रही सुविधाओं की फीस काफी होने के कारण यहां पर लोगों की ओर से सेवाएं कम ली जा रही थी। इस वजह से इन केंद्रों का खर्च नहीं निकल पा रहा था। सेवा केंद्रों पर 118 करोड़ रुपये का मसिक खर्च आ रहा था। 

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दोबारा भी खोला जा सकता है

मुख्य सचिव ने सभी डिप्टी कमिश्नरों को आदेश दिए हैं कि सेवा केंद्रों पर अगर लोगों की संख्या बढ़ती है और यह केंद्र स्वावलंबी बनते हैं, तो इन्हें दोबारा भी खोला जा सकता है। इसलिए केंद्रों पर काम की क्वालिटी को बढ़ाया जाए। अहम बात यह है कि सरकार ने सेवा केंद्रों की नीयत पर सवाल नहीं उठाया हैं। बल्कि आर्थिक स्थिति को देखते हुए इसे फौरी रूप में बंद करने का फैसला लिया है।


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